न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरूक्षेत्र।“दिल्ली में जी20 शिखर सम्मेलन में बताए गए वसुधैव कुटुंबकम में आश्वस्त परिवार बनने हेतु हमें अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता के गुणक प्रभाव के लिए गीता-आधारित नीडोनोमिक्स को अपनाना चाहिए। ” ये शब्द प्रो. मदन मोहन गोयल पूर्व कुलपति जिन्हें नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक के रूप में जाना जाता है जो अर्थशास्त्र विभाग कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त हुए ने कहे । वे आज यहां कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में आठवें अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार के परिपूर्ण सत्र में बोल रहे थे।
उनका विषय “वसुधैव कुटुंबकम हेतु गीता-आधारित नीडोनोमिक्स की प्रासंगिकता” था । प्रो. तेजिंदर शर्मा, निदेशक सेमिनार ने स्वागत भाषण दिया। श्री नील भट्ट, रिचमंड, वर्जीनिया के सह-निदेशक। जेफ़री आर्मस्ट्रांग, आध्यात्मिक व्यवसायी, डॉ. संजय सारदा, कॉर्पोरेट ट्रेनर, सत्या कालरा, आध्यात्मिक व्यवसायी, मुसाशिनो यूनिवर्सिटी जापान में प्रोफेसर हिरोयुकी सातो और प्रोफेसर शुचिस्मिता, डीन छात्र कल्याण, केयूके ने भी इस अवसर पर ने अपने विचार व्यक्त किये। प्रो. वनिता ढींगरा, उप निदेशक सेमिनार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
8वें अंतर्राष्ट्रीय गीता सेमिनार के दौरान कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में अनु-गीता के बारे में बोलते हुए पूर्व कुलपति प्रो.एम.एम.गोयल ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को उनके कार्यों के लिए जीवन मुक्ति व्यक्ति कहा। प्रो. गोयल का मानना है कि जी20 दिल्ली शिखर सम्मेलन में अनिवार्य ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की भावना को साकार करने के लिए गीता आधारित नीडोनॉमिक्स की आवश्यकता है।
प्रो. गोयल ने समझाया कि वसुधैव कुटुंबकम में वैश्विक पारिवारिक दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए, हमें व्यय से अधिक कमाई के साथ परोपकारिता के लिए स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) होने की सामूहिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। प्रो. गोयल ने बताया कि सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में गीता-आधारित नीडोनोमिक्स की शिक्षा आवश्यक है और वैश्विक परिवार में एकता के लिए पर्याप्त शर्त है।
नीडोनॉमिक्स के प्रस्तावक का मानना है कि गीता और अनु-गीता के आध्यात्मिक इनपुट के साथ सामाजिक-आर्थिक वैश्विक मुद्दों के बीच कई विसंगतियों के साथ-साथ नीति निहितार्थ उन्मुख अनुसंधान की आवश्यकता है ।प्रो. गोयल ने बताया कि वैश्विक परिवार के लिए बाधाओं से परे सोचने हेतु देखभाल-रहित और लापरवाह को सावधान और उपयोग-कम और बेकार को उपयोगी नागरिकों में परिवर्तित करके गीता-आधारित नीडोनॉमिक्स को अपनाएं।