कहा- जायज मांगों संवेदनशीलता के साथ सुने और समाधान निकाले सरकार
समायोजन की आड़ में भर्तियों पर रोक लगाकर एडेड कॉलेजों को पूरी तरह ध्वस्त करना चाहती है सरकार- हुड्डा
97 एडेड कॉलेजों के 2 लाख छात्रों से खिलवाड़ कर रही है बीजेपी-जेजेपी- हुड्डा
एडेड और सरकारी कॉलजों में खाली पड़े सभी पदों पर भर्तियां करे सरकार- हुड्डा
डॉक्टरों से बातचीत में देरी सरकार की संवेदनहीनता, मर्जों की जिंदगी से खेल रही सरकार- हुड्डा
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़ । पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एडेडे कॉलेज में नई भर्तियों पर रोक के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश के एडेड कॉलेजों में कुल 4347 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में सिर्फ 2573 पद ही पदों पर ही नियुक्तियां हुई है और 1774 यानी लगभग 41% पद खाली पड़े हुए हैं। इन पर पदों को भरने की बजाय समायोजन की आड़ में बीजेपी-जेजेपी एडेड कॉलेजों की व्यवस्था को पूरी तरह ध्वस्त करना चाहती है।
हुड्डा ने कहा कि आज सरकारी कॉलेज में भी लगभग आधे पद खाली पड़े हैं। लेकिन उनपर भी भर्ती नहीं की जा रही। समायोजन की प्रक्रिया अपनाकर सरकार शिक्षण संस्थानों में नई भर्तियों के रास्ते पूरी तरह बंद करना चाहती है। प्रदेश में 97 ऐडेड कॉलेजों में करीब 2 लाख विद्यार्थी पढ़ते हैं। अगर इन कॉलेज में स्टाफ की कमी होगी तो निश्चित तौर पर इन 2 लाख विद्यार्थियों का भविष्य अंधकारमय होगा। यह तमाम विद्यार्थी गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के हैं, जिन्हें कम से कम फीस में इन संस्थानों में शिक्षा दी जाती है।
यह वह संस्थाएं हैं जिन्होंने उस समय शिक्षा की अलख जगाई, जब सरकारी शिक्षा तंत्र मौजूद नहीं था। आजादी से पहले भी इन संस्थाओं ने देश व प्रदेश में युवाओं को शिक्षित करने का काम किया। कई बड़े अधिकारी और नेता इन्हीं कॉलेज से पढ़कर निकले। अगर सरकार इन कॉलेजों को अपने हाल पर छोड़ देगी तो इन्हें चला पाना संभव नहीं होगा। इससे शिक्षा के व्यवसायिकरण को भी बढ़ावा मिलेगा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 5000 सरकारी स्कूलों को बंद करके बीजेपी-जेजेपी पहले ही शिक्षा विरोधी होने का परिचय दे चुकी हैं। अब इनके निशाने पर कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं। सरकार उच्च शिक्षा को गर्त में पहुंचाना चाहती है। लेकिन कांग्रेस हर कदम और हर मंच पर सरकार के शिक्षा विरोधी फैसलों का विरोध करेगी।
अपने बयान में हुड्डा ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलनरत डॉक्टरों की आवाज भी उठाई है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा हड़ताली डॉक्टरों से बातचीत में रत्तीभर भी देरी नहीं होनी चाहिए। स्वास्थ्य कर्मियों की सभी मांगों पर फौरन विचार किया जाना चाहिए। डॉक्टर्स, स्वास्थ्य कर्मियों और सेवाओं के प्रति ढुलमुल रवैया अपनाकर बीजेपी-जेजेपी लाखों मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है।