न्यूज डेक्स संवाददाता
रोहतक। “नीडो-गवर्नेंस के प्रयासों के साथ मानवीय शिक्षण प्रदान करने के लिए शैक्षणिक नेतृत्व के बंदर दिमाग को भिक्षु दिमाग में बदलना होगा” I ये शब्द नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक एवं पूर्व कुलपति, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक द्वारा आयोजित एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम (ऑनलाइन मोड) के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उनका विषय “संस्थागत प्रबंधन में नीडो-गवर्नेंस हेतु शैक्षणिक नेतृत्व” था । डॉ. माधुरी हुडा , प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर तथा उपनिदेशिका,एमएमटीटीसी ने स्वागत भाषण दिया और प्रो एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।
प्रो. गोयल का माननाहै कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को रोजगार हेतु आवश्यक शिक्षा के रूप में पर्याप्त बनाने के लिए हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम कर के नीडो-गवर्नेंस सुनिश्चित करने हेतु एक अच्छी तरह से परिभाषित सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाना चाहिए।नीडोनोमिस्ट गोयल ने बताया कि शैक्षणिक नेतृत्व की प्रभावशीलता और दक्षता को बढ़ाने हेतु हमें गीता-आधारित नीडोनोमिक्स को समझना और अपनाना होगा। प्रो. गोयल ने कहा कि पेपरवेट के साथ खेलने के लिए सशक्तिकरण और जागरूकता हेतु विकेंद्रीकरण दृष्टिकोण की आवश्यकता है। उनका का मानना है कि दूसरों से सर्वश्रेष्ठ पाने के लिए हमें अपने शैक्षणिक प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ से बेहतर देना होगा।
प्रो. गोयल ने समझाया कि सहयोग के साथ शैक्षणिक नेतृत्व की एक नई कहानी लिखने के लिए हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनने के लिए साहसी होना चाहिए । प्रो संदीप मलिक, निदेशक, एम एम टी टी सी, ने प्रो एम एम गोयल का आभार व्यक्त किया।