सरस्वती बोर्ड की टीम धूमन सिंह किरमच के नेतृत्व में पहुंची गुजरात की इस खूबसूरत धरोहर पर
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा सरस्वती धरोहर बोर्ड के उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि क्या आपने कभी 100 के नोट पर जो तस्वीर छपी है, वह देखी है, नहीं तो आज वह देखे। सरस्वती नदी के तट पर रानी की वाव (द क्वीन्स स्टेपवेल) भारत गुजरात राज्य के पाटन शहर में स्थित एक बावड़ी है। इसके निर्माण का श्रेय 11वीं शताब्दी के चौलुक्य राजा भीम प्रथम की पत्नी उदयमती ने अपने पति की याद में बनवाया था। गाद से भरे हुए, इसे 1940 के दशक में फिर से खोजा गया और 1980 के दशक में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा बहाल किया गया । इसे 2014 से भारत में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
बोर्ड उपाध्यक्ष धुमन सिंह किरमच ने कहा कि महारानी विद्यापति ने अपने पति की याद में हजारवीं सदी के आसपास यह वाव बनवाया था इसमें माना यह जाता है कि यह सरस्वती नदी के तट पर है और यह बावड़ी के रूप में पानी संरक्षण के रूप में बनवाया गया था ताकि इस क्षेत्र का जो जल है वह बह कर आगे ना जाए और सरस्वती के पानी को रोक कर लोगों के लिए इस्तेमाल पानी के लिए पीने के लिए किया जा सके। रानी इस वाव को बनाने में करीब 20 साल लगे ऐसा आर्कियोलॉजी विभाग ने बताया। यह सरस्वती के तट पर है 1940 में इसकी खुदाई पुरातत्व विभाग के द्वारा की गई और जब इसकी गाद निकाली गई तो यह बहुत खूबसूरत एक आकृति सामने आई। 1980 में पुरातत्व विभाग ने इसको सहेजा और सहेजने के बाद इसको हेरिटेज घोषित किया।
उन्होंने कहा कि 2014 में यूनेस्को ने भी इस धरोहर को विश्व धरोहर घोषित किया। यह बहुत सुंदर कलाकृति हमारी धरोहर है और इसमें हमारे सांस्कृतिक रूप की वर्णन आता है। सभी देवताओं का इसमें वर्णन है, भगवान विष्णु के सभी अवतारों के चित्र इसमें लगे हैं, मां दुर्गावती, मां सरस्वती का बहता हुआ स्वरूप बीच में लगा हुआ है। यह बावड़ी पाटन जिला में सबसे खूबसूरत धरोहर मानी जाती है और इसकी खास बात यह है कि यह भारत देश की करेंसी 100 के नोट पर भी छुपी हुई है, जिसको बहुत कम लोग जानते है। इसकी खूबसूरती सरस्वती के किनारे होने से और बढ़ गई है।