न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।“ वैश्विक नागरिक बनने हेतु वादा , प्रदर्शन एवं पूर्णता के प्रतीक के रूप में एनईपी में समग्र शिक्षा को समझने की आवश्यकता है। ” ये शब्द नीडोनोमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक एवं पूर्व कुलपति, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. मदन मोहन गोयल ने कहे । वह यूजीसी-मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (एमएमटीटीसी) देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर द्वारा आयोजित एनईपी ओरिएंटेशन एंड सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम (ऑनलाइन मोड) के प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। उनका विषय ” समग्र शिक्षा: नीडोनॉमिक्स गीता आधारित विचार ” था । प्रो. नम्रता शर्मा निदेशक एमएमटीटीसी ने स्वागत भाषण दिया एवं प्रो एम.एम. गोयल की उपलब्धियों पर एक प्रशस्ति पत्र प्रस्तुत किया।
प्रो. गोयल का मानना है कि समग्र शिक्षा व्यक्तित्व के सभी आयामों को आवश्यक रूप से पोषित करने का आह्वान करती है जो व्यक्तियों को आवश्यक समाधानों के साथ सभी प्रकार की चुनौतियों के लिए तैयार करती है। प्रो. गोयल ने कहा कि समग्र शिक्षा के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को पर्याप्त बनाने हेतु हमें इसके कार्यान्वयन में चुनौतियों को कम करने के एक अच्छी तरह से परिभाषित सार्वजनिक-निजी-साझेदारी (पीपीपी) मॉडल को अपनाना होगा। नीडोनोमिस्ट गोयल ने बताया कि समग्र शिक्षा के लिए हमें गीता आधारित विचार नीडोनोमिक्स को समझना और अपनाना होगा । प्रो. गोयल ने कहा कि सामान्य ज्ञान दृष्टिकोण के रूप में नीडोनोमिक्स की नीडो-शिक्षा समग्र शिक्षा हेतु आवश्यक और पर्याप्त शर्त है। उनका का मानना है कि दूसरों से सर्वश्रेष्ठ पाने के लिए हमें अपने शैक्षणिक प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ से बेहतर देना होगा।प्रो. गोयल ने समझाया कि सहयोग के साथ शैक्षणिक नेतृत्व की एक नई कहानी लिखने के लिए हमें स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) वैश्विक नागरिक बनने हेतु साहसी और उत्साही होना चाहिए ।