सेवन हाई स्पीड रेल कॉरिडोर के रेलमार्ग पर कुरुक्षेत्र के 24 गांवों का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र होगा शामिल
अधिकारियों ने गांव के जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से की चर्चा
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड एनएचएसआरसीएल के अधिकारी शरीन ने कहा कि 7 हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना के तहत दिल्ली-अमृतसर रेल मार्ग पर 350 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड से बुलेट ट्रेन चलाने की परियोजना पर काम किया जा रहा है। इस परियोजना के तहत कुरुक्षेत्र जिले के 30.9 किलोमीटर मार्ग पर 24 गांव का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र आएगा।नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड एनएचएसआरसीएल के अधिकारी शरीन ने कहा कि जिला मजिस्ट्रेट और अन्य सभी हितधारकों का दिल्ली-अमृतसर उच्च गति रेल परियोजना पर पर्यावरणीय और सामाजिक विचारों के प्रस्तुतीकरण हेतू सार्वजनिक परामर्श किया गया है। इस परियोजना के तहत रेल मंत्रालय ने 7 हाई स्पीड रेल कॉरिडोर की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का काम नेशनल हाई स्पीड रेल कारपोरेशन लिमिटेड का सौंपा है। दिल्ली-चंडीगढ़-अमृतसर कॉरिडोर इनमें से एक प्राथमिक गलियारा है। इस कॉरिडोर में दिल्ली से अमृतसर को जोड़ने वाला एचएसआर कॉरिडोर लगभग 474.772 किलोमीटर लंबा है। इस परियोजना को लेकर डीपीआर तैयार करने, लिदार सर्वेक्षण, यातायात अध्ययन, सामाजिक प्रभाव अध्ययन व पर्यावरणीय प्रभाव का अध्ययन का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस रेलमार्ग पर कुल 10 स्टेशन, जिसमें दिल्ली, सोनीपत, पानीपत, करनाल, अंबाला, चंडीगढ़, लुधियाना, जालंधर, ब्यास और अमृतसर को शामिल किया गया है। इस रेलमार्ग पर रेल की रफ्तार लगभग 350 किलोमीटर प्रति घंटा होगी। इस रेल के संचालन की गति 320 किलोमीटर प्रतिघंटा और औसत गति 250 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी। यह दिल्ली, हरियाणा व पंजाब 3 राज्यों को कवर करेगी। उन्होंने कहा कि कुरुक्षेत्र जिले में सडक़ के किनारे वृक्षारोपण में विलायती बबूल, करंज, शीशम, नीम और सफेदा के पेड़ मुख्य रुप से लगाए जाएंगे। इस मार्ग पर लाइन में आने वाले पेड़ों की संख्या लगभग 107 है। इस जिले में जंगली जानवरों में सामान्य प्रजातियां पाई जाती है, जो कृषि क्षेत्र में उपस्थित दर्ज करती है, जैसे कि लंगूर, नीलगाय, खरेगाश, नेवला, जंगली सूअर, गिलहरी आदि शामिल है। भारतीय मोर के अतिरिक्त परियोजना क्षेत्र में मौजूद कोई भी प्रजाति वन्य जीव संरक्षण नियम 1972 की प्रथम श्रेणी के अंतर्गत नहीं आती है।
उन्होंने चर्चा करते हुए कहा कि एचएसआर परियोजना की प्रमुख पर्यावरणीय समस्याएं और समाधान के सभी बिंदुओं को लेकर कुरुक्षेत्र जिले के लोगों की राय ली गई है। इस राय के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। एनएचएसआरसीएल निर्माण और संचालन चरण के दौरान सर्वोत्तम प्रबंधन को अपनाकर पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के लिए प्रतिबद्ध है। पर्यावरण प्रबंधन योजना तैयार की गई है और निर्माण के दौरान इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना को ठेकेदारों के निविदा दस्तावेजों में शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य की वन नीतियों के अनुपालन में वृक्षों के कटान के लिए प्रतिपूरक वृक्षारोपण किया जाएगा। भारत सरकार के सभी कानूनों और विनियमों का पालन किया जाएगा। इस रेल यातायात के अंतर्गत कुरुक्षेत्र जिले में 30.9 किलोमीटर मार्ग के लंबाई होगी और इस रेलमार्ग से 24 गांव प्रभावित होंगे। इन गांव का 66.43 हेक्टेयर क्षेत्र आएगा। इस मौके पर पर्यावरण सर्वेक्षण प्राइवेट लिमिटेड की तरफ से डा. प्रतिभा सिंह, मयंक झा, संदीप सहित कुरुक्षेत्र के सभी ब्लॉकों के बीडीपीओ उपस्थित थे।