न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।नीडोनॉमिक्स स्कूल के संस्थापक प्रोफेसर एम.एम.गोयल, पूर्व कुलपति ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा की गई घोषणाओं पर तुरंत टिप्पणी करते समय कहा कि वित्त मंत्री द्वारा अंतरिम बजट 2024-2025 सहित हमारे प्रयासों के प्रदर्शन संकेतकों के सर्वोत्तम से बेहतर होने की गुंजाइश हमेशा रहती है।धन सृजन करने वालों को प्रोत्साहन का स्वागत है, लेकिन उन्हें नैतिक और परोपकारी भी होना चाहिए जैसा कि गीता-आधारित नीडोनॉमिक्स में अनिवार्य है।लेखानुदान 2024-25, 2047 के लिए विकसित भारत के लिए दीवार पर लिखी इबारत की भविष्यवाणी है, लेकिन यह जनता के लिए गुणवत्ता संकेतकों की मांग करता है, न कि वर्गों के लिएI राज्य सरकारों पर्यटन के लिए ब्याज मुक्त ऋण स्वागत योग्य है। लेखानुदान 2024-25 पर वोट सुनिश्चित करने के लिए गरीबों, महिलाओं, युवाओं और किसानों सहित चार जातियों के लिए उपाय आवश्यक हैं लेकिन पर्याप्त नहीं हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘रिफार्म, परफार्म प ट्रान्सफार्म, की आत्मा के सर्वांगीण व समावेशी विकास के लक्ष्य को इंगित करते हुये माननीय वित्त मन्त्री जी ने अन्तरिम बजट 2024 प्रस्तुत किया । अर्थात यह सत्र का अंतिम बजट नहीं है इसलिए लगी हुई उम्मीदों का भी अंत नहीं है जबकि जुलाई तक आशा है ।
सरकार की तारीफ करनी चाहिए कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भी लोक लुभावन योजनाओं व नई घोषणाओं से इस बजट में बचा गया है और पिछले 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था में क्या परिवर्तन हुए उन पर बात की गई है यद्यपि गत 10 वर्षों में अर्थव्यवस्था का आकार बहुत बढ़ गया है लेकिन इस बड़ी अर्थव्यवस्था में डिस्ट्रीब्यूटिव जस्टिस की बात बजट में नहीं है ।
सुखद एहसास है कि अब संरचना विकास पर गत वर्ष के 10 लाख करोड रुपए पर 10ः बढ़कर 11.11 लाख करोड़ किया गया है जो प्रभावी मांग को बढ़ाकर उत्पादन व नवीन रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा । इसी क्रम में तीन बड़े आर्थिक रेलवे कॉरिडोर को बनाना, 40000 बोगियों को वंदे भारत से जोड़ना, राज्यों में पर्यटन हेतु पर्यटन केंद्र विकसित करना आज निश्चित ही पूंजी सृजन को बढ़ावा देकर अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाएंगे लेकिन कैसे और कब तक – प्रश्नों का उत्तर नहीं मिला है । प्रधानमंत्री आवास योजना में 2 करोड़ नए घर बनाना लखपति दीदी योजना 9 से 14 वर्ष की बालिकाओं के सर्वाइकल कैंसर की वैक्सीन योजना आत्मनिर्भर भारत और लैंगिक समानता के दावे को मजबूत करता है किंतु यह 4.5ः के राजकोषीय घाटे और बजट घाटे के लक्ष्य में बाधा उत्पन्न ना करें इसका जिक्र नहीं है ।
इलेक्ट्रॉनिक गाड़ियों को प्रोत्साहन व नए सीमेंट उद्योगों की स्थापना ऊर्जा संरक्षण व देश में ऊंची विकास दर को प्रोत्साहन देने वाला कदम है किंतु इनके लिए फंडिंग का जिक्र ना होना निराशाजनक है और तब जब उनकी समय सीमा निर्धारित ना हो और चुनाव सिर पर हो तब यह महज घोषणाएं लगते हैं या सरकार पुनः सरकार गठन हेतु पूर्ण आशवसत है और पूर्ण बजट में इन्हें जारी रखेगी ।
इस अंतरिम बजट का एक निराशाजनक पहलू यह भी है जिसमें नौकरी पेसा, बेरोजगार विद्यार्थी, किसान, मध्यम वर्ग और ग्रहणिया शामिल है जिन्हें प्रत्यक्ष रूप से कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है नौकरी पेसा के लिए कर स्लैब में कोई परिवर्तन न होना बेरोजगारों के लिए रोजगार हेतु नवीन औद्योगिकरण ना होना विद्यार्थियों हेतु नई शिक्षा नीति के उत्पादन के रूप में निकलने पर बाजार व सरकार की आवश्यकताओं में स्वीकार्यता पर प्रश्न होना सम्मान निधि व फसल बीमा योजना व अनुसंधान की बात ना होना बताता है कि यह काम चलाऊ अंतरिम बजट है पूर्ण बजट नहीं मध्यम वर्ग बा ग्रहणियों को मुद्रास्फीति से राहत न मिलाना भी इसी बात की ओर संकेत करता है ।
किंतु निराश लोगों को यह याद रखना चाहिए कि यह पूर्ण बजट नहीं है इसलिए उनकी उम्मीद और आशा जीवित रहनी चाहिए जो नई सरकार गठन के बाद पूर्ण बजट जुलाई 2024 में पूर्ण हो सकती है । अर्थशास्त्र का विद्यार्थी होने के नाते मेरी चिंता राजकोषीय घाटे व वित्तीय घाटे को लेकर है जो क्रमशः 4.5 व 5.5ः का लक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं कर पाया जबकि थ्त्ठड के तहत इसे 3ः के नीचे होना चाहिए ।
साथ ही रूपया कहां से आता है और कहाँ जाता है का समीकरण व चित्र बहुत उत्साहित करने वाला नहीं है। आज भी एक रूपये में ब्याज अदायिगियों पर २० प्रतिशत का व्यय गैर उत्पादकीय है। इसे कम करने का कोई प्रयास नहीं किया गया। वहीं प्राप्तयों में एक रुपये में सर्वाधिक 28 प्रतिशत प्राप्तियां उधार और अन्य देयताओं से होना अर्थ व्यवस्था पर आर्थिक बोझ बढ़ा रही हैं जिनका ब्याज भुगतान करना अर्थव्यवस्था के आकार व्यापकीकरण में निश्चित ही बाधा उत्पन्न करेगा। इसके हल के लिये नये ‘स्रोत व नये साधनों को विकसित करने की नीति बनानी होगी। जनसंख्या लाभांश और भारतीय कृषि में इस समस्या का हल छिपा हुआ है जिसे प्रोत्साहित व प्रयुक्त करना होगा यदि अमृतकाल के उपरान्त 2047 तक हम विकसित भारत चाहते हैं तो आन्तरिक रूप से साधनो विशेषकर श्रम साधनों को गतिशीलता देना, नये, बाजारों, नयी मण्डियों की स्थापना व ग्रामीण विकास को. वल देना होगा जो पूर्ण बजट में शामिल होने की संभावना है।
प्रत्यक्ष करों में सुलभता व सरलता, आयुष्मान भारत प्रत्यक्ष करो में योजना को महत्व देना, राज्यों को ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध कराना आदि के लिये सरकार की सराहना करनी चाहिए जो सबका साथ सबका विकास की अवधारणा को सिद्व करता है। जनसंख्या पर समिति का गठन अच्छे लक्षण हैं युवा शाक्त के आकडों गत संग्रहण की किन्तु इस शक्ति जनसांख्यिक लाभांश के रूप में लेकर उत्पादक बनाना होगा। अन्तरिम बजट 2024 सरकार का तीन-चार महीने का कार्य चल सके उसके लिये है- उम्मीदें पूरी करने के लिये नहीं। इस लिहाज से यह सन्तुलित लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा रहित विशुद्व लोकतान्त्रिक बजट है।