कश्मीर आंदोलन,गोवध बंदी आंदोलन,आपातकाल और रामजन्मभूमि आंदोलन में रही सक्रिय भूमिका
1954 में विवाह के महज 7 माह पश्चात पति,सास के साथ कश्मीर आंदोलन के दौरान सत्याग्रह कर गईं थीं जेल
1966 में गोवंध बंदी आंदोलन में 10 वर्षीय बेटे बल्देव भाई शर्मा के साथ 30 दिन हिसार जेल में बंद रहीं थीं श्रीमती पुष्पलता शर्मा
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
दिल्ली। शिक्षा,साहस,संघर्ष, सरलता और स्वाभिमान आखिरी सांस तक श्रीमती पुष्पलता शर्मा जी इन्हीं आभूषणों से अलंकृत रहीं। अफसोस कि अब वह हमारे बीच नहीं हैं। एक सप्ताह से वह अस्वस्थ थीं और उपचार के लिए उन्हें रायपुर के वी वाई अस्पताल में दाखिल कराया गया था,जहां उन्होंने अंतिम सांस ली। मूलरुप से दिल्ली के किशनगंज वासी श्री रघुबीर प्रसाद शर्मा की सुपुत्री पुष्प लता शर्मा का विवाह जिला मथुरा के दाऊजी क्षेत्र में आने वाले गांव पटलौनी वासी श्री फूलचंद शर्मा के सुपुत्र श्री मंगीलाल शर्मा जी से हुआ था,लेकिन विवाह के महज 7 माह पश्चात ही उन्हें पति और सास जी के साथ दिल्ली में कश्मीर आंदोलन (1954) में शामिल होने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया और इस आंदोलन में श्रीमती पुष्पलता शर्मा जेल में रहीं।
1966 में देशव्यापी गोवंध बंदी आंदोलन में 10 वर्षीय पुत्र के साथ एक माह तक हिसार जेल में बंद रहीं थीं श्रीमती पुष्प लता शर्मा
1966 में गोवध बंदी आंदोलन और सत्याग्रह में श्रीमती पुष्पलता शर्मा अपने 10 वर्षीय पुत्र बल्देव भाई शर्मा सहित परिवार के दस सदस्यों के साथ हिसार सैंट्रल जेल में 30 दिन तक बंद रहीं। उनके साथ पति श्री मंगीलाल शर्मा सास श्रीमती चंपी देवी, 9 वर्षीय सावित्री देवी,7 वर्षीय शीला देवी, चचिया सास श्रीमती शिवदेवी को इस आंदोलन में शामिल होने के कारण मथुरा से सत्याग्रह करने के बाद दिल्ली में गिरफ्तार कर लिया था और इसके बाद उन्हें हिसार सेंट्रल जेल भेज दिया गया। उल्लेखनीय है कि गो हत्या के खिलाफ दिल्ली में करपात्री जी महाराज के नेतृत्व में 7 नवंबर 1966 को संसद के सामने संतों का बड़ा आंदोलन हुआ था। तब सरकार के इशारे पर संतों पर गोलियां चलाई गई थीं। इस आंदोलन में कई संत शहीद हो गए थे। इस घटना के विरोध में देशभर में सत्याग्रह आंदोलन शुरु हुआ था। श्री मंगीलाल शर्मा मथुरा जिला से अपने परिवार सहित 500 गोभक्तों का जत्था लेकर दिल्ली पहुंचे थे,मगर पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार कर हिसार जेल भेज दिया था।
जून 1975 में कल्याण सिंह के गांव में किया था वो कारनामा,पुलिस देखती रह गई
तत्कालीन केंद्र की कांग्रेस सरकार ने जब भारत में आपातकाल की घोषणा 25 जून 1975 को थी। इसके विरोध में कुछ नेता और पत्रकारों के अलावा खास वर्ग के लोग ही आगे आए थे और इन्हें सत्ता के इशारे पर गिरफ्तार किया जा रहा था। गिरफ्तार नेताओं का खास ढंग से स्वागत हो,इसकी योजना तब बनाई गई थी पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गांव अतरौली में। यहां के एक प्रसिद्ध चिकित्सक डा.तेग सिंह को पुलिस ने आपातकाल का विरोध करने पर गिरफ्तार लिया था। अतरौली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे मंगीलाल शर्मा की पत्नी पुष्पा बहनजी ने पुलिस के सामने बड़ी हिम्मत दिखाई और इमरजेंसी के खिलाफ जनता में जोश भरने के लिए सत्याग्रहियों की गिरफ्तारी के समय अतरौली थाना के सामने पुलिस की मौजूदगी में उनका फूल मालाओं से स्वागत हो,इसके लिए कई लोगों से बात की,मगर कोई आगे नहीं आया,आखिरकार यह काम उत्तर प्रदेश शासन में बतौर शिक्षिका सेवाएं दें रहीं श्रीमती पुष्पलता शर्मा ने वो किया,जिसे सब देखते रह गए। जैसे ही अतरौली थाना में डा.तेगसिंह सहित दस सत्याग्रहियों को गिरफ्तार कर पुलिस लेकर आई तो वहां अपनी साड़ी में 10 फूल मालाएं छुपाकर लेकर आईं पुष्पलता शर्मा ने ये मालाऐं एक एक कर उनके गले में डाल दी थीं। यह दृश्य देखते ही वहां जोरदार नारेबाजी शुरु हो गई और पुलिस हक्की बक्की रह गई।
1992 में अयोध्या जाकर की थी रामजन्म भूमि पर कारसेवा
श्रीमती पुष्पलता शर्मा जैसे अनेक रामभक्तों के तप का प्रताप है कि आज दुनिया अयोध्याजी के राम मंदिर की धूम देख रही है।इसी राम मंदिर में श्रीमती पुष्पलता शर्मा ने 1992 में कारसेवा की थी। वह उन खुशनसीब कारसेवकों में शामिल रहीं जिन्हें अयोध्या में तब कारसेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था और उन्हें मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा का भव्य नजारा देखने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ। मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा के चंद रोज बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ी और 88 वर्ष की आयु में उन्होंने दुनिया को अलविदा कहा। उन्होंने 40 वर्ष तक उत्तर प्रदेश शासन में बतौर शिक्षिका सेवाएं दीं और पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के गांव अतरौली के सरकारी स्कूल से प्रधानाचार्य के पद से सेवानिवृत्त हुईं थीं।
उनके सुपुत्र प्रख्यात पत्रकार एवं लेखक बल्देव भाई शर्मा नेशनल बुक ट्रस्ट आफ इंडिया के चेयरमैन रह चुके हैं,जबकि वर्तमान में छत्तीसगढ़ रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता यूनिवर्सिटी के कुलपति हैं। उन्होंने बताया कि माताजी 23 जनवरी को अस्वस्थ हुईं थीं। इसके बाद उन्हें रायपुर के वी वाई अस्पताल में दाखिल कराया गया,वह अपने बेटे और पुत्रवधु हर्षलता के साथ अस्पताल तक भली भांति बातचीत करते हुए पहुंचीं लेकिन यहां उपचार के दौरान उनकी तबीयत में सुधार नहीं हुआ। देश विदेश से इस सूचना पर शोक प्रस्ताव मिल रहे हैं।उनका अंतिम भोग गाजियाबाद में होगा।