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तानाशाह सरकार के रवैये के चलते 20 किसानों को गवानी पड़ी है अब तक जान बोले, एसवाईएल के नाम पर भाजपा के सांसद, विधायक व नेता कर रहे लडवाने का कार्य न्यूज डेक्स संवाददाता कुरुक्षेत्र, 17 दिसंबर। हरियाणा के पूर्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने कहा है कि सरकार के तानाशाही रवैये से तंग आकर व किसानों की दुर्दशा को देखकर संत रामसिंह द्वारा अपने प्राणों को त्यागना बहुत बड़ी दु:ख की बात है। इससे किसानों के साथ समस्त समाज में गुस्सा है। उन्होने कहा कि संत जी की मौत का समाचार सुनकर उसे बहुत दुख हुआ। कई बार संत जी से मिलने का भी मौका मिला। आज ऐसे संत जो समाज सेवा में लगे थे और सर्दी के मौसम के बावजूद किसान आंदोलन में सेवा कर रहे थे, उन्होने देश व प्रदेश की तानाशाही सरकार का रवैया देखकर दु:खी मन से प्राण त्याग दिए। अशोक अरोड़ा ने सरकार पर वार करते हुए कहा कि कितने दिनों से देश का पेट भरने वाला अन्नदाता सड़कों पर पड़ा है लेकिन सरकार के कानों पर आज तक जूं तक नही रेंग रही। कड़कती सर्दी में अपनी जमीनें बचाने के लिए धरना दे रहे किसानों में 20 किसानों को अपनी जान तक भी गंवानी पडी और सड़कों पर पडे किसानों को सर्दी में कितनी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है इसका भी अंदाजा लगाया जा सकता है लेकिन देश व प्रदेश की तानाशाह सरकार पर इसका कोई असर नही है। मोदी सरकार घमंड से भरी हुई है लेकिन इतिहास गवाह है कि घमंड तो रावण का भी एक दिन टूट गया था। अरोड़ा ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि किसानों की मांगों को जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि सर्दी के मौसम में किसान अपने घरों को जा सकें। पूर्व मंत्री ने कहा कि बडे दु:ख की बात है कि जिन सांसदों, विधायकों व नेताओं को किसानों के समर्थन खडा होना चाहिए था, आज वे सांसद, विधायक व भाजपा नेता एसवाईएल के नाम पर हरियाणा व पंजाब के लोगों को लडवाने का कार्य कर रहे हैं। उन्होने कहा कि जो भाजपा के नेता आज एसवाईएल का मुद्दा उठा रहे हैं वे लोग पिछले 4 वर्षों से कहां थे। इन लोगों ने पिछले चार सालों में एक बार भी एसवाईएल के मुद्दे को पार्लियामैंट में नही उठाया। ले लोग आज हरियाणा व पंजाब की बात कर देश का भाईचारा खराब करने पर तुले हुए हैं। अरोड़ा ने कहा कि भारत देश प्रजातांत्रिक देश है और यहां प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जनता के समर्थन से बनता है नाकि अंबानी व अडानी द्वारा इन्हे बनाया जाता है। इसलिए आज देश का किसान अपनी मांगों को लेकर सडकों पर पडा है, जिसे सरकार द्वारा तुंरत मान लेना चाहिए। |