जब घर लौटने का सोच रहा था,तभी विपुल शाह को केरला स्टोरी की सुनाई थी कहानी
कुछ हो ना हो,सपने होने चाहिए और इसे साकार करने का जुनून हो तो कोई रोक नहीं सकताःसुदीप्तो सेन
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
पंचकूला। आपके पास कुछ हो ना हो,लेकिन सपना होना चाहिए और फिर उस सपने को साकार करने का जुनून होना चाहिए,फिर आपको कोई रोक नहीं सकता। अवसर आपके दरवाजे पर दस्तक देगा और सपना पूरा होगा। भारतीय चित्र साधना के अखिल भारतीय पांचवें फिल्म फेस्टिवल की मास्टर क्लास में यह कहना था बहुचर्चित फिल्मकार द केरला स्टोरी के लेखक एवें निर्देशक सुदीप्तो सेन का। उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र की सभी विधाओं से जुड़े कलाकारों को अपने संबोधन के जरिए प्रेरित करते हुए कहा कि अगर आपमें सच्चाई है और दिल से फिल्म बनाना चाहते हैं,फिर कोई दिक्कत आपको रोक नहीं पाएगी,यह बात मैं अपने अनुभव से कह रहा हूं।
द केरला स्टोरी बनाते हुए जब आर्थिक और अन्य दिक्कतें सामने आई तो उन्होंने कई बार वापिस अपने घर जलपाईगुढ़ी जाने का सोचा,लेकिन निर्माता विपुल शाह को जब उन्होंने अपनी स्टोरी सुनाई तो उनकी आंखों से आंसू बहने लगे और फिल्म ने 700 करोड़ से ज्यादा का बिजनेस कर लिया और साढ़े पांच करोड़ से ज्यादा लोगों ने इस फिल्म को सिनेमा हाल में जाकर देखा। मैंने तय किया था कि मैं अपने सपनों से समझौता नहीं करुंगा। मैं केवल एक अवसर की तलाश में था और प्रकृति एक मौका दे ही देती है। मैं केरला स्टोरी संतुलित फिल्म बना सकता था। आम भारतीय फिल्मों की तरह हिंदू मुस्लिम करते हुए मैं बैलेंसिंग एक्ट कर सकता था। हमने सच दिखाने का तय किया,चाहे इससे कुछ लोग आहत ही क्यों ना हों। मैंने यह फिल्म कुछ लोगों को आहत करने के लिए भी बनाई है। मेरी अगली फिल्म बस्तर में कुछ असहज बाते होंगी,जो सच भी होंगी। अब देश में इस तरह की फिल्मों का दौर चलेगा।
सुदीप्तो सेन ने कहा कि बालीवुड को राजनीतिक रुप से पूर्वाग्रह से ग्रसित करार देते हुए कहा कि वहां अभी तक इस्लामों माओसिस्ट विचार हावी था,लेकिन अब स्थिति बदल रही है। मेरी फिल्म से कई छोटे डिस्टीब्यूटर के परिवार बच गए। यह एक सोशल मूवमेंट की तरह थी,जिसमें एक इमोशन था और इसने देश के इमोशन को छुआ। बालीवुड में अभी तक मनोरंजन की परिभाषा दी जाती है,वह एक वामपंथी साजिश है। राजकपूर कहते थे कि हम सपने बेचते हैं,क्योंकि भारतीय सपने देखते हैं। यह देश के जनमानस का अपमान है।