न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव उपेंद्र सिंघल ने कहा कि गीता जयंती इस बार 48 कोस महाभारत कालीन तीर्थ में जो 18 तीर्थ शामिल किए गए, उनमें से एक तीर्थ सिसला धाम जाने का अवसर प्राप्त हुआ। यहां पर हर वर्ष फाल्गुन मास में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मानद सचिव तीर्थ सिसला धाम की यात्रा के दौरान बातचीत कर रहे थे। इससे पहले मानद सचिव उपेंद्र सिंघल, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के सदस्य अशोक रोशा, डॉ मोनिन्द्र कुमार मुद्गल ने झंडी दिखाकर निशान यात्रा को रवाना किया।
मानद सचिव ने कहा कि श्याम बाबा बारे चार मंदिरों के साक्षी मिलते हैं पहले जहां पर शीश दान दिया, दूसरा जहां पर शीश रखा गया, तीसरा जहां पर शीश लाया गया, चौथा जहां शीश का पूजन होता है। जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ सिसला स्थित दंडक ऋषि के आश्रम में सभी पांडवों में जीत का श्रेय लेने की होड लगी। कृष्ण मंद मंद मुस्कुरा रहे थे अंत में तय हुआ बर्बरीक ने सारा युद्ध 48 कोस युद्ध भूमि बीच में स्थित सरेदा से देखा वही निर्णय कर सकते हैं की युद्ध में किसके कारण पांडवों की जीत हुई।
उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने चक्र द्वारा बर्बरीक का शीश सिसाला में ऊंचे टीले पर स्थापित कर दिया तो बर्बरीक ने कहा कि युद्ध में मुझे भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र ही घूमता नजर आ रहा था। इनके चक्र के कारण ही यह युद्ध में जीत हुई है। यहां के पंचायत समिति एवं गांव की नौजवान समिति और तीर्थ मित्र द्वारा मंदिर के अनेक विकास कार्य हुए हैं जो आज मंदिर भव्य स्वरूप में स्थापित है। टीले की खुदाई में हजारों साल पुरानी मूर्ति प्राप्त हुई है आज शोभायात्रा में हजारों लोग महिलाएं युवक, युवतियां, बच्चे बूढ़े नंगे पैर धैर्य से कई किलोमीटर की यात्रा के लिए तैयार खड़े थे आस्था का सैलाब और चारों तरफ पिले झंडे मनमोहन दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे।