पहले चुनाव में 7 प्रतिशत वोट प्राप्त कर कांग्रेस के रामकिशन से हारे, पांचवें स्थान पर रहे, हुई थी ज़मानत जब्त
5 वर्ष बाद मई,2014 में नारायणगढ़ से रामकिशन को ही पराजित कर लिया था पहली हार का बदला
मई,2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री चौधरी निर्मल सिंह को 3.84 लाख वोटों से हराकर बने सांसद
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। हरियाणा के नए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, जो मई, 2019 से प्रदेश की कुरूक्षेत्र लोकसभा सीट से सांसद है एवं जिन्हें गत वर्ष अक्तूबर, 2023 में हरियाणा भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया, प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री हैं जिनका मूल गृह जिला अंबाला है। शहर के सेक्टर 7 निवासी पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानूनी विश्लेषक हेमंत कुमार ( 9416887788) ने बताया कि वर्तमान में 54 वर्षीय नायब सैनी ने उनके राजनीतिक जीवन का पहला विधानसभा चुनाव आज से साढ़े 14 वर्ष पूर्व अक्तूबर, 2009 में अंबाला जिले के अंतर्गत पड़ने वाली नारायणगढ़ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर लड़ा था जिसमें उन्हें कुल पड़े वोटों के केवल 7 प्रतिशत अर्थात 8082 वोट ही मिले थे और उनकी जमानत जब्त हो गई थी. उस चुनाव में वह पांचवे स्थान पर रहे थे एवं तब कांग्रेस के राम किशन जीते थे।
हालांकि उसके 5 वर्ष पश्चात अक्तूबर, 2014 में भाजपा से दोबारा चुनाव लड़ते हुए नायब सैनी ने नारायणगढ़ सीट से ही कांग्रेस के राम किशन को 24 हजार वोटों के विशाल अंतर से पराजित किया था और पहली बार विधायक बने. जुलाई, 2015 में मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में हरियाणा की पहली भाजपा सरकार में नायब सैनी को राज्य मंत्री बनाया गया था एवं वह जून, 2019 तक उस पद पर रहे थे। मई, 2019 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए नायब सैनी ने कुरुक्षेत्र लोकसभा हलके से कांग्रेस के दिग्गज चौधरी निर्मल सिंह को 3 लाख 84 हजार वोटों के विशालकाय अंतर से हराया एवं पहली बार सांसद बने।
बहरहाल, नायब सैनी के हरियाणा का अगला मुख्यमंत्री बनने के विषय पर एडवोकेट हेमंत ने बताया कि चूँकि वर्तमान में नायब हरियाणा विधानसभा के सदस्य अर्थात विधायक नहीं है, इसलिए वह बगैर विधायक बने अधिकतम आगामी 11 सितम्बर 2024 अर्थात 6 महीने तक मुख्यमंत्री के पद पर रह सकते हैं. भारत देश के संविधान के अनुच्छेद 164(4) का हवाला देते हुए हेमंत ने बताया कि उसमें स्पष्ट उल्लेख है कि कोई मुख्यमंत्री जो निरंतर 6 माह की किसी अवधि तक राज्य के विधान-मंडल का सदस्य नहीं है,उस अवधि की समाप्ति पर मुख्यमंत्री नहीं रहेगा।
उन्होंने आगे बताया कि चार माह पूर्व 3 नवंबर 2023 को मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा के कार्यकाल के चार साल पूरे हो गए थे. बहरहाल, मौजूदा हरियाणा विधानसभा का कार्यकाल इस वर्ष 3 नवंबर 2024 तक है, हालांकि इसे समय से पहले ही भंग किया जा सकता है। हेमंत ने आगे बताया कि 3 नवंबर 2023 के बाद यानी वर्तमान 14 वीं हरियाणा विधानसभा के चार साल के कार्यकाल के पूरा होने के बाद, यदि कोई विधानसभा सीट किसी मौजूदा विधायक की निधन, त्यागपत्र या उसकी अयोग्यता के कारण खाली हो जाती है एवं रिक्त घोषित कर दी जाती है तो भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उस रिक्त विधानसभा सीट पर कोई उपचुनाव नहीं कराया जा सकता है क्योंकि 3 नवंबर 2023 की तारीख से उस ऐसे पूर्ववर्ती विधायक का शेष बचा कार्यकाल एक वर्ष से कम समय का होगा एवं लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 151(ए) के अंतर्गत ऐसी रिक्त सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव नहीं कराया जाता है जिस पर पूर्ववर्ती विधायक का शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम होता है।
इसी बीच उपरोक्त का एक तोड़ बताते हुए हेमंत ने बताया कि अगर विधानसभा के कार्यकाल के अंतिम वर्ष की अवधि दौरान किसी ऐसे व्यक्ति को प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त किया जाता है, जैसे नायब सैनी को हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाया गया है, जो मौजूदा हरियाणा विधानसभा के सदस्य नहीं है तो उस परिस्थिति में विधिवत रूप से रिक्त हुई किसी विधानसभा सीट पर चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराया जा सकता है।
हेमंत ने बताया कि चूंकि आज की तारीख में हरियाणा प्रदेश की वर्तमान 14 वीं विधानसभा में कोई सीट रिक्त नहीं है, इसलिए अगले 6 माह में तभी उपचुनाव कराया जा सकता है जबकि कोई मौजूदा विधायक सीट से त्यागपत्र दे जिसकी सम्भावना बहुत ही कम है. हालांकि अगर कोई मौजूदा भाजपा विधायक आगामी लोकसभा चुनाव में सांसद निर्वाचित होता है, तो उसके द्वारा छोड़ी विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराना संभव है. बहरहाल, अगर अगले 6 माह अर्थात 11 सितम्बर 2024 से पूर्व नायब सिंह सैनी विधायक नहीं बन सकते हैं. तो उन्हें समय रहते मौजूदा 14वीं हरियाणा विधानसभा को निर्धारित समय से पूर्व अर्थात 3 नवम्बर 2024 से पहले भंग कराना होगा ताकि विधानसभा के अगले आम चुनाव कराए जा सकें.