गीता मात्र पुस्तक नहीं जीवन को सीखने व समझने का बहुत बड़ा माध्यमः जयराम ठाकुर
भारत की दुनिया में आध्यात्मिक पहचान का कारण है श्रीमद्भगवद् गीताः स्वामी ज्ञानानंद
भारत देश की पहचान अध्यात्म के कारणः कंवरपाल
कुवि में सतत् अस्तित्व एवं श्रीमद्भगवद गीता दर्शन विषय पर आयोजित 5वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 21 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा है कि गीता मात्र पुस्तक नहीं जीवन को सीखने व समझने का बहुत बड़ा माध्यम है। गीता सम्पूर्ण जीवन को जीने की संहिता है। श्रीमद् भगवद् गीता जीवन के द्वन्दों से बाहर निकालती है व 21वीं सदी के डिजिटल युग में तनाव, दुविधा, अप्रसन्नता से मुक्ति का रास्ता श्रीमद्भगवद् गीता हमें दिखाती है। इसको अपने व्यवहार में शामिल कर ही स्थिर, सफल व दुविधा रहित जीवन की दिशा में हम आगे बढ़ सकते हैं। वे सोमवार को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के आडिटोरियम हॉल में सतत् अस्तित्व एवं श्रीमद्भगवद गीता दर्शन विषय पर आयोजित 5वीं अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गीता का संदेश महाभारत के दौरान श्रीकृष्ण भगवान ने अर्जुन को दिया था। गीता की प्रासंगिकता हर युग में रही है। गीता का सार हम सभी के लिए आध्यात्मिक औषधि है। और यह गीता महोत्सव हरियाणा, भारत व पूरी मानवता के लिए नैतिक व सांस्कृतिक जागरण है। उन्होंने कहा कि बेहतर राष्ट्र के निर्माण के लिए गीता को अपने आचरण में ढाले इसी में गीता की सार्थकता है। चकाचौंध व प्रतिस्पर्धा के दौर में हम अपनी संस्कृति को छोड़ यदि आगे जाते हैं तो हम सही दिशा में नहीं जा सकते। कोविड के दौर में पूरा विश्व प्रभावित हुआ। आर्थिक व्यवस्था सहित पूरे विश्व में हर तरह की व्यवस्था ठप्प पड़ गई है, जीवन रूक सा गया है। मनुष्य टैक्नालॉजी के इस दौर में अपने आप को सशक्त मानने लगा था किन्तु कोविड वायरस ने हमें यह संदेश दिया कि मानव तुम शक्तिशाली नहीं हो। इस वायरस के असर के कारण लोग वापिस अपने घरों में रहने के लिए मजबूर होने लगे। हमें अपना मूल कभी नहीं भूलना चाहिए, जहां से जुडाव हो वहां मजबूती के साथ कायम रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि गीता के हर श्लोक में बताया गया है कि मनुष्य को जीवन में किस तरह व्यावहारिक होना चाहिए। गीता में कहा गया है कि हमें कर्म करना चाहिए फल की चिन्ता नहीं करनी चाहिए। हम गीता को एक धर्म तक सीमित नहीं कर सकते। गीता मानव जीवन के कल्याण का ग्रंथ है।इससे पहले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हरियाणा के शिक्षामंत्री कंवर पाल, गीता के प्रणेता एवं गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, सांसद नायब सिंह सैनी, अमेरिका से आए विद्वान डेविड, कुरुक्षेत्र के विधायक सुभाष सुधा, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, मौला काकू, राज्यपाल सचिव डॉ. जी अनुपमा, समाजसेवी आचार्य लोकेश मुनि, शंकराचार्य जी महाराज, मौला काकू, उपायुक्त शरणदीप कौर बराड़, प्रो. मंजूला चौधरी ने विधिवत रूप से दीप प्रज्ज्चलित कर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ किया व सेमिनार के सोविनियर का विमोचन भी किया गया।
अपने आनलाईन संदेश में हरियाणा के राज्यपाल व कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलाधिपति सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि गीता के ज्ञान के बिना हमारा जीवन अधूरा है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में समन्वयता, अनुकूलता व सामंजस्य के लिए श्रीमद्भगवद्गीता जरूरी है। गीता पूरे विश्व का संदेश है। भारत की दुनिया की आध्यात्मिक पहचान का कारण श्रीमद्भगवद् गीता है। कुरुक्षेत्र में आयोजित किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में संत से लेकर बच्चों के लिए कार्यक्रम हैं जो दुनिया को शान्ति का संदेश देते हैं। उन्होंने इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए केडीबी के अधिकारियों व कुवि के आयोजकों को बधाई दी।
महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि गीता जीवन का सार है। गीता का संदेश सम्पूर्ण विश्व के लिए है। गीता मनुष्यों को जीवन जीने का एक अद्भुत तरीका सिखाती है। कुरुक्षेत्र को महाभारत की भूमि के नाम से जाना जाता है लेकिन पिछले 5 वर्षो से एक परिवर्तन विश्व को लगने लगा है कि कुरुक्षेत्र महाभारत की भूमि नहीं बल्कि गीता की भूमि है। पूरे विश्व में गीता की दिव्यता गूंजी है। गीता ने पूरे विश्व को संघर्ष से शान्ति का संदेश दिया है। गीता का तत्व अनादिकाल है। गीता का मूल तत्व अध्यात्म है। जब तक मानवीय मूल्यों का विकास नहीं होता तब तक सारे विकास अधूरे रहते हैं।
हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवरपाल ने कहा कि भारत देश की पहचान अध्यात्म के कारण है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि भारत अध्यात्म के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्व कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में गीता का प्रचार व प्रसार देश व दुनिया में हुआ है। दुनिया को ठीक से चलाने के लिए गीता को अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है। आत्मा अमर है यदि यह ज्ञान मनुष्य को हो जाए तो दुनिया में लालच कम हो जाएगा। गीता का प्रचार व प्रसार ज्यादा से ज्यादा होना चाहिए। यदि हमें मनुष्यता का ज्ञान होगा तभी विश्व का कल्याण संभव है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा ने कहा कि श्रीमद्भगवद् गीता सम्पूर्ण मानव कल्याण के लिए एक दिव्य ग्रंथ है जो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला है। गीता समस्त वेदों का सार है। गीता से हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है। इस ग्रंथ का प्रत्येक शब्द मानवता की भलाई के लिए है। उन्होंने कहा कि दुनिया में आपसी प्यार प्रेम व भाईचारे के लिए गीता को पढऩा जरूरी है। गीता के श्लोक हमें भयभीत नहीं होने देते। गीता पर शोध करते हुए हम नवाचार के साथ वैश्विक उन्नति की ओर अग्रसर होंगे। राज्यपाल सचिव जी अनुपमा ने कहा कि गीता मानवता का संदेश देती है। कुरुक्षेत्र महाभारत की धरा के साथ-साथ गीता की भी भूमि है। यहां संघर्ष और रणभूमि के समय भी ज्ञान का संचार हुआ। समूचे विश्व एवं मानवता के लिए श्रीमद्भगवद् गीता एक परम उदाहरण है। जब तक सृष्टि पर मानव जीवन होगा तब तक गीता का महत्व रहेगा। उन्होनें गीता महोत्सव के कार्यक्रमों बारे में बताया तथा अपील की केडीबी द्वारा इन कार्यक्रमों का लाईव प्रसारण किया जा रहा है। पहली बार गीता महोत्सव के कार्यक्रमों का लाईव प्रसारण ग्राम सचिवालय, अटल केन्द्रों व जिला कारागार में किया जा रहा है।
यूएसए के विद्वान डॉ. डेविड ने कहा कि गीता ही शान्ति, खुशी, आनंद व अध्यात्म का रास्ता है। गीता की प्रासंगिकता हर युग में रही है। गीता का सार हम सभी के लिए आध्यात्मिक औषधि है। और यह गीता महोत्सव हरियाणा, भारत व पूरी मानवता के लिए नैतिक व सांस्कृतिक जागरण है। उन्होंने कहा कि बेहतर राष्ट्र के निर्माण के लिए गीता को अपने आचरण में ढाले इसी में गीता की सार्थकता है। गीता मनीषी मौला काकू ने कहा कि गीता ईश्वर का पैगाम है। भारत आध्यात्मिक ज्ञान के माध्यम से दुनिया को एक नई रोशनी दे सकता है। आचार्य लोकेश मुनि ने कहा कि आत्मा शाश्वत है केवल गति बदलती है। गीता दर्शन जीवन का मूल मंत्र देता है। यदि गीता को स्कूल, कालेज में पढ़ाया जाए जो जीवन में बदलाव आ सकता है। शंकराचार्य महाराज ने कहा कि गीता महान ग्रंथ है जो सभी प्राणियों के साथ-साथ सभी देशों के लिए भी है। गीता का संदेश पूरी दुनिया के लिए है। गीता, वेद व पुराणों मे निहित संदेश मानव कल्याण की भलाई के लिए, आज पूरी दुनिया भारत की ओर आशा भरी निगाहों से देख रही है।
अंत में सभी मुख्यातिथि व मुख्य वक्ताओं को स्मृति चिन्ह व शाल भेंट कर सम्मानित किया गया। सेमिनार की निदेशिका प्रो. मंजूला चौधरी ने मुख्यातिथि, सभी मुख्य वक्ताओं व इस कार्यक्रम से जुडे लोगों का धन्यवाद किया। इस मौके पर सांसद नायब सैनी, विधायक सुभाष सुधा, पूर्व विधायक कृष्ण बेदी, गुरदयाल सुनहडी, राजकुमार सैनी, केडीबी सीईओ अनुभव मेहता, कुलसचिव डॉ. संजीव शर्मा, केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबडा, केडीबी सदस्य सौरभ चौधरी, विजय नरूला सहित विश्वविद्यालय के शिक्षक मौजूद थे।