मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वाधान में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत 2081 के स्वागत एवं अभिनन्दन के उपलक्ष्य में ब्रह्मसरोवर पर कार्यक्रम संपन्न
ब्रह्मचारियों द्वारा शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से सम्पूर्ण ब्रह्मसरोवर का वातावरण गुंजायमान हो गया
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। सनातन वैदिक संस्कृति, मान्यता एवं परम्परा संसार की सबसे प्राचीन ज्ञान परम्परा है। भारतीय में सर्व मंगल का भाव समाहित है। भारतीय सनातन नववर्ष हमारी संस्कृति व सभ्यता का स्वर्णिम दिन है। यह दिन भारतीय संस्कृति की गरिमा में निहित अध्यात्म व विज्ञान पर गर्व करने का अवसर है। जिस भारत भूमि पर हमारा जन्म हुआ, जहां हम रहते हैं, जिससे हम जुड़े हैं उसके प्रति हमारे अंदर अपनत्व व गर्व का भाव होना ही चाहिए। इसी दिन ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि का निर्माण किया था और सभी देवताओं ने सृष्टि के संचालन का दायित्व संभाला था।
यह विचार मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा भारतीय नववर्ष विक्रमी संवत 2081 के स्वागत एवं अभिनन्दन के उपलक्ष्य में ब्रह्मसरोवर पर आयोजित कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। इस नववर्ष पर सूर्योदय की प्रथम किरण का स्वागत डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने विश्व मंगल के निमित्त शंख ध्वनि, वैदिक मंत्रोच्चारण पवित्र ब्रह्मसरोवर के जल से अर्घ्य से ब्रम्हचारियों के साथ किया। ब्रह्मचारियों द्वारा शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से सम्पूर्ण ब्रह्मसरोवर का वातावरण गुंजायमान हो गया। इस अवसर उपस्थित सभी लोगों ने जल, जंगल एवं जमीन के संरक्षण का संकल्प लिया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा वैदिक मान्यता के अनुसार विक्रम संवत्सर के प्रथम दिन सृष्टि की उत्पत्ति हुई थी और इसी दिन ब्रह्मा जी ने संसार की रचना की थी। सूर्य देव भी इसी दिन उदित हुए थे और भगवान श्री राम ने बाली का वध किया था। देश के अलग-अलग राज्यों में हिंदू नववर्ष के दिन कई त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे- असम में बिहू, पंजाब में बैसाखी, ओडिशा में पना संक्रांति और पश्चिम बंगाल में नबा वर्षा पर्व के रूप में सहित विभिन्न प्रांतों में अलग अलग नाम से मनाया जाता है।विक्रम संवत् शुरू होते ही विक्रमादित्य ने अपनी प्रजा को सभी कर्जों से मुक्ति दिलाई थी। बारह महीनों का एक वर्ष और सात दिनों का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत् से ही शुरू था।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारतीय सनातन धर्म का कैलेंडर आंग्ल वर्ष से 57 वर्ष आगे चल रहा है। सनातन धर्म इस धरा का सबसे प्राचीन और सबसे प्रथम धर्म है, इस सृष्टि का प्रथम धर्म भी इसे कहा जा सकता है। समय, वर्ष, माह और घडी की गणना भारतीय वैदिक गणित पद्धति पर ही आधारित है। संसार को समय की गणना की पद्धति देने वाला देश भारत है। विश्व भर में घड़ी शब्द का प्रयोग आज हो रहा है, यह घड़ी शब्द घटी शब्द का ही बदला हुआ रूप है। समय समय पर भारत में आने वाले आक्रांताओं ने यहां के ज्ञान और संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयास किया। वैदिक उपलब्धियों और ज्ञान को चुराकर अपने साथ ले गए और उस ज्ञान को अपना नाम दे दिया। आज आवश्यकता है हम सब अपनी संस्कृति की जड़ो को पहचाने एवं उनका अनुसरण करे। कार्यक्रम में आचार्य सतीश जी, प्रसिद्ध समाजसेवी जसवीर सिंह राणा जी आचार्य नरेश कौशिक जी साहित मातृभूमि सेवा मिशन परिवार से जुड़े अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे। मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से सभी अतिथियो क अंगवस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।