न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 22 दिसम्बर। अन्तर्राष्ट्रीय गीता संगोष्ठी में सोमवार को ’गीता संसद’ नामक प्रथम तकनीकी सत्र अपराह्न तीन बजे से संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र द्वारा आयोजित किया गया। इस सत्र में ’मानवीय मूल्य एवं स्थाई अस्तित्व’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत हुए। डॉ. रामचंद्र, विभागाध्यक्ष, संस्कृत विभाग, आईआईएचएस, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने विषय-प्रवर्तन करते हुए गीता में मानव धर्म एवं मानवीय मूल्य किस प्रकार प्रतिपादित हैं, यह बताया।
मुख्य अतिथि प्रोफ़ेसर रणवीर सिंह, दयानंद चेयर, केन्द्रीय विश्वविद्यालय, महेन्द्रगढ़ ने कहा कि भारतीय भोग और त्याग की संस्कृति ही स्थाई अस्तित्व का आधार है। उन्होंने गीता में विद्यमान मानवीय मूल्यों के साथ भविष्य के सशक्त निर्माण पर विचार प्रस्तुत किए। विशेष अतिथि के रूप में प्रोफ़ेसर पंकज माला शर्मा, पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ ने गीता में प्रतिपादित यज्ञों को मानवीय मूल्यों के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करते हुए कर्मयोग का महत्त्व बताया।
सत्र के अध्यक्ष एवं विशेष वक्ता स्वामी विवेकानंद सरस्वती, गुरुकुल, प्रभात आश्रम, मेरठ ने अद्वैत वेदांत एवं गीता के दृष्टांत से ज्ञानवान एवं कर्मठ योगी बनने का संदेश दिया। सत्र का संचालन डॉ. विभा अग्रवाल, निदेशिका, संस्कृत एवं प्राच्यविद्या संस्थान तथा मनु आर्य ने संयुक्त रूप से किया । इस सत्र में नसीर उल असलम, कीर्ति, नीरज, रिमी, डॉ. रीजा, डॉ. अनिल, सत्यम, अंग्रेज, गीता, सीमा, अंकिता आदि अनेक छात्रों व विद्वानों ने विचार व्यक्त किए तथा सौ से अधिक लोग आनलाइन जुड़े