आपसी रंजिश भुलाकर सभी को अपने गले लगाना ही असली ईद – सैयद अहमद खान
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। आज ईद-उल-फितर का त्यौहार बड़े हर्ष व उल्लास के साथ मनाया गया। शहर की सभी प्रमुख मस्जिदों में जिसमें शहर की जामा मस्जिद, मक्का मस्जिद, मस्जिद मदीना, मस्जिद गनी, मस्जिद लक्खीशाह, मस्जिद ईदगाह में ईद की नमाज अता हुई और मस्जिदों में देश में अमन व शांति के लिए दुआ की गई। इस अवसर पर अंजुमन इस्लाहुल मुस्लिमीन सोसाइटी (स्थापना 1980) के जिला प्रधान सैयद अहमद खान ने तकरीर करते हुए बताया कि ईद-उल-फितर मुसलमानों के लिए खुदा की नेमत का दिन है। ईद-उल-फितर अरबी का शब्द है जिसका मतलब होता है फितरा अदा करना। फितरा हर मुसलमान पर वाजिब होता है। रोजा सब्र सिखाता है और रमजान के पूरे महीने रोजे रखने के बाद ईद मनाई जाती है। ईद का दिन मुसलमानों के लिए ईनाम का दिन है। इस दिन को बड़ी सादगी से मनाना चाहिए। इस्लामी त्यौहार मानवता की सेवा व संदेश लेकर आते हैं और समाज साफ-सुथरा बनाते हैं।
सैयद खान ने कहा कि इसलिए इस्लाम ने समाज में सहानुभूति पैदा करने के लिए मानव मैत्री का संदेश दिया। इस्लाम में सदका-फितर नाम का एक नियम बनाकर विधवाओं, गरीबों, अनाथों और बेसहारा लोगोे की मदद करने का संदेश दिया गया है ताकि ये गरीब लोग भी ईद की खुशी में इनके साथ शामिल हों। सदका फितर उस पर बन्दे पर लागू होता है। जिसके पास 640 ग्राम चांदी या 86 ग्राम सोना हो। जिसेक अन्तर्गत घर के प्रत्येक सदस्य की ओर से दो किलो गेहूं या उसकी कीमत गरीब लोगों को देनी जरूरी है। इस नियम का उद्देश्य रोजों में होने वाले किसी कमी को दूर करना है। सैयद अहमद खान ने कहा कि सही मायनों में ईद का त्यौहार तभी सार्थक होगा जब हम आज के दिन आपसी रंजिश भुलाकर सभी को अपने गले लगाकर, ऊंच-नीच, गरीब-अमीर की दूरियों को समाप्त कर दें। इस अवसर पर प्रमुख रूप से मुफती मोहम्मद शहबाज कासमी, कारी मोहम्मद राशिद, जाहिद हुसैन, कमरूल इस्लाम, नासीर हुसैन, मा0 शकिल, मो0 सुहेल, कारी उजैर अहमद, नौशाद हुसैन, असद अहमद, रियाज राजपूत, रिज्जुक तुल्ला खान, मुहम्मद सिराजुल, शाहिद ठेकेदार, याशीन अहमद, मशरूफ रिद्दीकी, अब्दुल वली खान, नासिर हुसैन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।