चंडीगढ़ के मौसम में तरावट,कांग्रेस में 40 से ज्यादा इस्तीफों की पवन चलने से भाजपा को हुआ ठंडा ठंडा कूल कूल जैसा अहसास
कांग्रेस हितैषी मन मसोस कर बोल रहे हैं कि उनकी पार्टी के गलत निर्णय ने खुद भाजपा प्रत्याशी को लोकसभा पहुंचने के लिए बिछा दिया रेड कारपेट
एनडी हिंदुस्तान/ साभारः वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य के फेसबुक वाल से
चंडीगढ़। शनिवार शाम से चंडीगढ़ मौसम की तरावट का लुत्फ ले रहा है,मगर इसी दिन चंडीगढ़ में कांग्रेस प्रत्याशी के टिकट की घोषणा ने पार्टी के भीतर तपिश बढ़ा दी।रविवार से कांग्रेसियों के त्यागपत्र दिए जाने की सूचनाएं आ रही हैं।वहीं सोमवार कांग्रेसियों के बंपर इस्तीफों की पवन चलने से भाजपाई ठंडा ठंडा कूल कूल का अहसास ले रही है। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल का टिकट कटना फिलहाल कांग्रेस पर भारी दिख रहा है। नतीजन कांग्रेस के कई पुराने कार्यकर्ता उखड़े हुए हैं। इनमें 40 के कांग्रेस छोड़ने की घोषणा का समाचार सोमवार को सोशल मीडिया ग्रुपों में सुबह से तैर रहे हैं।डैमेज कंट्रोल के लिए कांग्रेस क्या कदम उठाएगी ? यह अगले दिनों में मालूम होगा।
दरअसल, कई राजनीतिक पंडितों ने मनीष तिवारी की टिकट घोषणा के साथ ही यह भविष्यवाणी कर दी थी कि कांग्रेस के इस ऐलान ने भाजपा प्रत्याशी संजय टंडन के लिए लोकसभा तक पहुंचने के लिए रेड कार्पेट बिछाने का खुद ही इंतजाम कर दिया है। खैर यह तो भविष्यवाणी है,कितनी सटीक होगी यह तो एक जून के मतदान के रूझान और प्रमाणिक रुप से 4 जून को सब मालूम पड़ जाएगा,मगर खबरियां प्लेटफार्म अगले दिनों में इस तरह की खबरों से गुलजार रहने वाले हैं,क्योंकि डैमेज कंट्रोल में कांग्रेस की स्थितियां पिछले अधिकांश मामलों में भी काफी निराशाजनक रही है।पवन बंसल जैसे चेहरे को छोड़ मनीष तिवारी पर दाव खेलना फिलहाल कांग्रेस की बोहनी केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में खराब कर चुका,शायद कांग्रेस इसका अंदाजा नहीं होगा।
हां,कांग्रेस में आस्था रखने वाले बोल रहे हैं कि पार्टी आलाकमान को अपने मुक्कदर के सिकंदर मनीष तिवारी पर पूरा भरोसा है,क्योंकि तिवारी पंजाब में दो अलग अलग जगहों यानी लुधियाना और आनंदपुर साहिब जैसी महत्वपूर्ण सीट से चुनाव जीत कर सांसद बन चुके हैं। कांग्रेस ने इसी भरोसे उनकी तीसरी लोकसभा सीट पर जीत का परचम के लिए चंडीगढ़ भेजा है। कांग्रेस इस बार पवन बंसल को टिकट देकर उनके ऊपर लगे मामा-भांजा प्रेम और भ्रष्टाचार के किस्सों का पिटारा खुलवाने के मूड में नहीं थी।कहीं न कहीं कांग्रेस को अहसास था कि विपक्ष को एक बार फिर बैठे बिठाए आसान टारेगट मिल जाएगा।लिहाजा चंडीगढ़ सीट के चुनावी महाभारत में कांग्रेस ने भाजपा के लोकल प्रत्याशी संजय टंडन के सामने रोमिंग हार्स उतारा है।
मतलब यह की तिवारी कांग्रेस के ड्यूल मोड पर सेवाएं देने वाले उम्मीदवार है,जो बाहरी तो हैं,लेकिन सेमी लोकल भी कहे जा सकते हैं। भले उनका जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ हो,मगर उन्होंने पढ़ाई चंडीगढ़ से की है,उनके माता पिता अभी चंडीगढ़ में रह रहे हैं। हालांकि टंडन का जन्म भी पंजाब अमृतसर का है,लेकिन वह लंबे समय चंडीगढ़ में रह कर ही राजनीति कर रहे हैं और उनकी यहां अच्छी पकड़ से विपक्ष भी अवगत है, जबकि तिवारी स्वयं चंडीगढ़ की राजनीति से दूर रहे हैं। हालांकि चंडीगढ़ के चुनाव में उन्हें लुधियाना और आनंदपुर साहिब से चुनाव लड़ने का अनुभव का लाभ कितना मिलेगा ? एक अच्छे वक्ता माने जाने वाले तिवारी को माता पिता के चंडीगढ़ में रहने का लाभ कितना मिलेगा ? यह मतदाताओं को तय करना है। अब इससे अलग कांग्रेस के लिए मनीष तिवारी चंडीगढ़ सीट पर कितना कारगर सिद्ध होंगे ? इस पर नजर सबकी है।