Monday, November 25, 2024
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मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय संस्कृति की सतत प्रवाहमान धारा हैं –  डा. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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नवरात्रि के पावन अवसर एवं श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर के तत्वावधान में वैदिक लोक मंगल यज्ञ एवं शक्ति संवाद कार्यक्रम संपन्न।

सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए ज्योतिषाचार्य सतीश कौशिक को मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंगवस्त्र, श्रीफल एवं  स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

कुरुक्षेत्र । मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय सनातन परम्परा का अभिन्न हिस्सा हैं। गोस्वामी तुलसी के श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और वाल्मीकि के राम मानवीय भावनाओं से ओत प्रोत संतुलित राम हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने जीवन में एक एक मर्यादा की पालना की, समाज के सम्मुख आदर्श रखे। पुत्र, पिता, भाई, पति, राजा, मित्र तमाम स्वरूपों में मानवीय भावनाओं के संतुलक राम सिर्फ भारत के ही आदर्श नहीं है बल्कि पूरे विश्व के लिए आदर्श रूप में अनुकरणीय हैं। यह विचार नवरात्रि के पावन अवसर एवं श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के तत्वावधान  में आयोजित वैदिक लोक मंगल यज्ञ एवं शक्ति संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ ब्रम्हचारियों  वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ में अग्नि प्रज्जवलन से हुआ।ब्रम्हचारियों ने नवरात्रि के पावन अवसर एवं श्रीराम नवमी के उपलक्ष्य में आयोजित वैदिक लोक मंगल यज्ञ में राष्ट्र मंगल के निमित्त आहुति डाली। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्रीराम के चरित्र में पग पग पर मर्यादा है, त्याग है, प्रेम है और लोक व्यवहार का साक्षात्कार है। राम मानवता में मथे महापुरुष हैं। राम लोकतंत्र के लोकपाल हैं, सबके प्रेरक हैं और समाज के सह-निर्माता हैं। राम के आदर्शों का जनमानस पर इतना गहरा प्रभाव तब ही संभव हो भी पाया। श्रीराम से भारतीय समाज सदैव सार्थकता पाता रहा है। भारत का आम जन-जीवन युगों युगों एक श्रीराम के दृष्टिकोण के साथ जीवन के संदर्भों, स्थितियों,परिस्थितियों, मनःस्थितियों, घटनाओं और प्रघटनाओं को मूल्यांकित करता रहा है। श्रीराम भारतीय समाज की वैचारिक थाती हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम भारतीय संस्कृति की सतत प्रवाहमान धारा हैं। उनके उग्र स्वरूप के चित्रण में वैसा प्रभाव नहीं है जैसा उनकी सौम्यता में समाया हुआ है। श्रीराम बहुत सहज, सौम्य और सम्मोहक हैं। इसलिए वह सर्वत्र हैं, सबके हैं और सब उनके हैं। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा श्रीराम किसी धर्म, देश, दुनिया की सीमाओं में सीमित नहीं हैं, अपितु वह एक विलक्षण विचार हैं। साहित्य में खुसरो, रसखान, आलम रसलीन, हमीदुद्दीन नागौरी, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती आदि सब ने राम की काव्य पूजा की तो किसी ने श्रीराम की शक्ति पूजा की है। तुलसी, कबीर, नानक और रैदास सब राम में रमे रहे। आज आवश्यकता है हम सब अपने लोक जीवन में भगवान श्रीराम के जीवन को एक प्रेरणा के रूप में स्वीकार करे। बतौर अतिविशिष्ट अतिथि ज्योतिषाचार्य सतीश कौशिक ने कहा श्रीराम का पारिवारिक व्यवहारिक जीवन दर्शन भारतीय समाज की रग रग में रहता है। उनके आदर्श उत्तर से दक्षिण तक सम्पूर्ण भारतवर्ष के जनमानस में जमे हुए है। श्रीराम का तेजस्वी और पराक्रमी स्वरूप भारत राष्ट्र को रक्षित रखता है। असीम क्षमता और अपार शक्ति वाले श्रीराम संयमित और मर्यादित जीवन जीते हैं। सामाजिक, पारिवारिक, लोकतांत्रिक और आध्यात्मिक आह्वान के साथ लोक कल्याण में रत श्रीराम मानवीय करुणा वाले कर्मवीर हैं।
 सामाजिक क्षेत्र में विशिष्ट कार्य के लिए ज्योतिषाचार्य सतीश कौशिक को मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अंगवस्त्र, श्रीफल एवं  स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, कार्यकर्ता, विद्यार्थी एवं अनेक गणमान्य जन उपस्थित रहे

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