मंडियों में नहीं हो रही सुचारू खरीद, बारिश से बचने के लिए तिरपाल व बारदाना भी नहीं- हुड्डा
ट्रांसपोर्टर्स के पास नहीं है उठान के लिए पर्याप्त गाड़ियां, उठान में हो रही देरी- हुड्डा
उठान में देरी के चलते किसानों को नहीं हो रहा भुगतान, इसलिए ब्याज भी दे सरकार- हुड्डा
पोर्टल का झंझट खत्म कर जल्दी खरीद करे सरकार, नमी में छूट की लिमिट भी बढ़ाए – हुड्डा
डा.प्रदीप गोयल/न्यूज डेक्स संवाददाता
चंडीगढ़।पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने बारिश के चलते मंडियों में फैली अव्यवस्था पर प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि बीजेपी सरकार की अनदेखी ने एकबार फिर किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। क्योंकि बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने मंडियों में सुचारू खरीद की और ना ही बारिश से फसल को बचाने के लिए तिरपाल व बारदारने की व्यवस्था की। किसान कई-कई दिनों से अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं और सरकार पोर्टल का झुंझुना बजा रही है। मंडियों में नियमित खरीद व उठान की कोई व्यवस्था नहीं हुई। उठान नहीं होने के चलते किसानों को भुगतान भी नहीं हो रहा है। 72 घंटे के भीतर भुगतान का दावा करने वाली सरकार की हकीकत एकबार फिर उजागर हो गई है।
मंडी में काम करने वाले कारोबारियों ने बताया कि गेहूं उठान का टेंडर सिस्टम लगभग फेल हो चुका है। जिन ट्रांसपोर्टर्स को टेंडर दिया गया है, उनके पास पर्याप्त मात्रा में गाड़ियां ही नहीं है। इसलिए आढ़तियों को फसल उठवाने के लिए मजबूरी में टांसपोर्टर्स को नजराना यानी रिश्वत देनी पड़ रही है। किसान और आढ़ती ही नहीं, सरकार ने मजदूरी की दरों में भारी कटौती करके, मजदूरों पर भी बड़ी मार मारी है।
हुड्डा ने कहा कि मौसम विभाग द्वारा पहले से दी गई चेतावनी के बावजूद सरकार आंखें बंद करके सोती रही। उठा नहीं होने के चलते मंडियां अनाज से अटी पड़ी हैं। मजबूरी में किसानों को अपना गेहूं सड़कों पर डालना पड़ रहा है। इसलिए 6 महीने की दिनरात मेहनत से तैयार की गई किसान की फसल खुले आसेमान के नीचे पड़ी है और बार-बार भीग रही है। भारी मात्रा में गेहूं पानी के साथ बह गया है। किसान को हुए नुकसान के लिए सीधे तौर पर बीजेपी सरकार जिम्मेदार है।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भुगतान में देरी के चलते किसानों को ब्याज देने की मांग उठाई है। उन्होंने दोहराया है कि सरकार पोर्टल का झंझट खत्म करके जल्द उठान और भुगतान करे ताकि किसान अगले सीजन की तैयारी कर सकें। साथ ही बारीश की वजह से जिन किसानों को नुकसान हुआ है, उनकी भरपाई सरकार द्वारा की जानी चाहिए। किसानों की परेशानी कम करने के लिए नमी में छूट की लिमिट को भी बढ़ाना चाहिए।