हर क्षेत्र का प्रबंधन है गीता में : स्वामी ज्ञानानंद
गीता केवल धर्मशास्त्र ही नही संपूर्ण जीवन शास्त्र : गीता मनीषी
गीता प्रबंधन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण राम मंदिर निर्माण : डा. सुरेंद्र जैन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 23 दिसंबर। जीवन प्रबंधन ही नही बल्कि हर क्षेत्र का प्रबंधन गीता जी में है। यह उद्गार गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित न्याय और प्रबंधन में गीता जी की भूमिका विषय पर आयोजित सेमिनार को व्यास पीठ से संबोधित करते हुए गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने प्रकट किए। गीता मनीषी ने कहा कि गीता केवल धर्मशास्त्र ही नही बल्कि संपूर्ण जीवन शास्त्र है। गीता हिंदूओं का गौरव ग्रंथ है, आत्मा है लेकिन गीता में जाति और धर्म से उपर उठकर संपूर्ण प्राणी मात्र के लिए है। गीता कोई भोदभाव नही करती प्रबंधन के लिए गीता एक पावन प्रेरणा है। कुरुक्षेत्र की धरा पर भगवान श्री कृष्ण के मुख से गाया गया यह दिव्य गीता हर क्षेत्र के लिए व्यवहारिक है।
जीओ गीता और गीता ज्ञान संस्थानम का एक ही प्रयास है कि यह दिव्य गीता हर क्षेत्र की पहचान बने। गीता के प्रत्येक श£ोक में प्रबंधन का सूत्र छिपा हुआ है। गीता में कर्म को महत्व दिया गया है। इसके अलावा गीता में हर क्षेत्र का प्रबंधन है। गीता न्याय की प्रेरणा है और मानवीय मूल्यों की बात गीता में कही गई है। गीता परहित को आगे रखकर जीवन निर्वाह का संदेश देती है।
इस सेमिनार को संबोधित करते हुए विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री डा. सुरेंद्र जैन ने अपने संबोधन में कहा कि राम मंदिर का निर्माण गीता प्रबंधन का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। कर्मयोग गीता ज्ञान से ही निकलता है।
गीता युद्ध के समय में शांति का संदेश देने के लिए प्रकट हुई। जब लगभग 34 वर्ष पूर्व विहिप ने राम मंङ्क्षदर को लेकर आंदोलन किया तो उस समय आंदोलन शुरु करने वालों का यह सपना था कि राम मंदिर बने। राम मंदिर उनके जीवन में तो नही लेकिन आने वाली पीढीओं के लिए अवश्य बन रहा है। विहिप नेता ने कहा कि गीता व्यक्ति को असमंजस से बाहर निकालती है और असमंजस से बाहर निकालने पर व्यक्तित्व में निखार आता है।
इस अवसर पर गुरुग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा. मारकंडेय आहुजा ने अपने संबोधन में कहा कि गीता एक माध्यम है अक्षुप्त शक्तियों को जागृत करने का। प्रबंधन में गीता का समायोजन है। गीता प्रबंधन सफल एवं कुशल प्रबंधन है। गीता के पहले श्लोक से ही प्रबंधन शुरु हो जाता है। उन्होने कहा कि गीता मानव जाति के लिए भगवान श्री कृष्ण का अनूठा उपहार है। गीता हर प्रकार का प्रबंधन सीखाती है। मानव रचना विश्वविद्यालय के कुलपति डा. संजय श्रीवास्तव तथा शिक्षाविद एडी गांधी व आरएसएस के विभाग कार्यवाह डा. प्रीतम सिंह ने भी सेमिनार को संबोधित करते हुए गीता के प्रबंधन पर प्रकाश डाला।
इससे पूर्व कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने कुरुक्षेत्र में शुुरु की गई विकास योजनाओं की विस्तार से जानकारी दी और अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के बारे में उपस्थित गणमान्य लोगों को बताया। उन्होने जीओ गीता द्वारा स्थापित गीता ज्ञान संस्थान की विस्तृत जानकारी भी दी। इस अवसर पर स्वामी धर्मदेव पटौदी, स्वामी अरूणदास, अंबाला के एडीजे प्रवीण गुप्ता, बार काऊंसिल पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सदस्य रामकुमार चौहान, जिला बार एसोसिएशन कुरुक्षेत्र के प्रधान गुरतेज सिंह शेखों, श्री ब्राह्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के संरक्षक जयनारायण शर्मा, प्रधान प. पवन शास्त्री, वरिष्ठ उपप्रधान एवं पार्षद नीतिन भारद्वाज लाली, श्रीकृष्ण कृपा गौशाला के संस्थापक आरडी गोयल व प्रधान हंसराज सिंगला, दलजीत मान, भाजपा जिला प्रधान करनाल योगेंद्र राणा, एएजी दीपक मनचंदा, बृजेश शर्मा, जीओ गीता के राष्ट्रीय महामंत्री प्रदीप मित्तल, अमित भल्ला, रामनिवास शर्मा, सतीश गुप्ता, पूनम, विजय नरूला, मीडिया प्रभारी रामपाल शर्मा सहित अनेक गणमान्य लोगों ने गीता जी पर पुष्पांजलि अर्पित की। मंच संचालन प्रिंसीपल डा. ऋषिपाल ने किया। सेमिनार में न्याय व प्रबंधन क्षेत्र से जुडे अनेक गणमान्यजनों ने भाग लिया