Tuesday, November 26, 2024
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सम्पूर्ण विश्व में पत्रकार एवं पत्रकारिता अन्याय एवं पाखंड की पीठ पर चुनौती एक सशक्त चाबुक हैः डा. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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रामावतार से लेकर कृष्णावतार तक देवर्षि नारद की पत्रकारिता लोकमंगल की ही पत्रकारिता और लोकहित का ही संवाद संकलन है

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र भारत में वैदिक काल से पत्रकारिता की स्वतंत्रता का एक समृद्ध इतिहास है। देवर्षि नारद दुनिया के प्रथम पत्रकार हैं, क्योंकि देवर्षि नारद ने इस लोक से उस लोक में परिक्रमा करते हुए संवादों के आदान प्रदान द्वारा पत्रकारिता का प्रारंभ किया। सम्पूर्ण विश्व में पत्रकार एवं पत्रकारिता अन्याय एवं पाखंड की पीठ पर चुनौती एक सशक्त चाबुक है। देवर्षि नारद इधर उधर घूमते हुए जो पाखंड देखते हैं उसे खंड-खंड करने के लिए  लोकमंगल की दृष्टि से संवाद करते हैं। रामावतार से लेकर कृष्णावतार तक देवर्षि नारद की पत्रकारिता लोकमंगल की ही पत्रकारिता और लोकहित का ही संवाद संकलन है। यह विचार अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में  मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने कल्याण मंत्र से कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है, इससे समझा जा सकता है कि पत्रकारिता का कार्य कितना महत्वपूर्ण है। वास्तव में पत्रकारिता का कार्य बहुत जोखिम भरा है। दुनियाभर में आए दिन पत्रकारों पर जानलेवा हमले होते रहते हैं। पत्रकारिता के महत्व और इस पेशे के खतरों को देखते हुए वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र महासभा के जन सूचना विभाग ने मिलकर 03 मई को अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्‍वतंत्रता दिवस की घोषणा की थी। यूनेस्को महासम्मेलन के 26वें सत्र में 1993 में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। वर्ष 2024 की अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस की थीम वैश्विक पर्यावरण संकट के संदर्भ में पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का महत्व कि। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में पत्रकारों का अतुलनीय योगदान है। पत्रकारों का सब प्रकार से सुरक्षा एवं सहयोग सरकार का नैतिक दायित्व है। आज आम आदमी को सामाजिक न्याय प्राप्त करने में पत्रकारिता का महत्वपूर्ण योगदान है। इस अवसर पर समाजसेवी मनीष बाजपेई जी को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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