भाजपा में पंजाबी समुदाय के बड़े नेता खट्टर,विज,सुधा और कांग्रेस ने अशोक अरोड़ा को दी तरजीह
पंजाब से अलहदा अलग सूबा बनने के बाद हरियाणा के राजनीतिक फलक पर कई पंजाबी सियासी चेहरे टिमटिमाए
वक्त के साथ साथ अधिकांश की चमक लुप्त होने के बाद गायब हो गई, डा.मंगलसेन कहे जा सकते हैं अपवाद
अशोक अरोड़ा को कांग्रेस और भूपेंद्र सिंह हुड्डा मान कर चल रही है तुरुप का पत्ता और लोकसभा चुनाव में है पहली पहली परीक्षा
एनडी हिंदुस्तान/साभार वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य की फेसबुक वाल से
चंडीगढ़। हरियाणा की सियासत में अगला बिग पी कौन होगा ? इनमें भाजपा से तीन बड़े चेहरे सामने हैं।इनमें मनोहर लाल खट्टर,अनिल विज और सुभाष सुधा,जबकि कांग्रेस में फिलहाल पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और पूर्व कैबिनेट मंत्री अशोक अरोड़ा दिख रहे हैं। फर्श पर गिरी इनेलो के ग्राफ से निकाल कर अरोड़ा को जिस तरह से कांग्रेस ने अर्श तक पहुंचाने का ताना बाना बुना है,उससे लगता है कि पंजाबी वर्ग का होने के कारण अशोक अरोड़ा को कांग्रेस तुरुप का पत्ता मान चुकी है।
वहीं सियासी पंडित मानते हैं कि यह खेल किसी को खड़ा करने या गिराने का नहीं,बल्कि जातीय समीकरणों को अपने पक्ष में साधने का है। भाजपा और कांग्रेस या अन्य राजनीतिक दल अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए इस तरह का प्रयास करते रहते हैं। हरियाणा की सियासत के ताजा परिदृश्य को देखते हुए राजनीतिक पंडित अपने पूर्वानुमान और गुणा भाग के आधार पर भविष्यवाणी भी करने लगे हैं। अगर इस पर गौर ना भी करें तो सवाल तो उठेगा कि हरियाणा की सियासत का अगला बिग पी कौन ? बेशक इसे सियासी पंडितों की भविष्यवाणी के रुप में ना सही,मगर कयास और अटकलों पर आधारित बनते बिगड़ते समीकरणों के आधार पर स्वीकार सकते हैं,जो भविष्य में फलीभूत होने से परे,यानी दरकिनार भी हो सकते हैं। वैसे भी सियासत और क्रिकेट में कभी भी और कुछ भी होने की गुंजाइश अंत तक रहती है।
हरियाणा के पूर्व डिप्टी स्व.सीएम डा.मंगल सेन,डा.कमला वर्मा, पूर्व मंत्री ओमप्रकाश महाजन,पूर्व मंत्री लक्ष्मण दास अरोड़ा,पूर्व मंत्री एसी चौधरी, पूर्व मंत्री सुभाष बत्रा,पूर्व मंत्री धर्मवीर गाबा, पूर्व राज्यसभा सदस्य एवं सुप्रीम कोर्ट के जाने माने वकील आरके आनंद,पूर्व विधायक स्व. अमीर चंद मक्कड़,विधायक बीबी बतरा,पूर्व विधायक स्वर्गीय कुंदन लाल भाटिया और चंद्र भाटिया जैसे कई पंजाबी चेहरे चुनाव जीत कर हरियाणा सियासत में टिमटिमाएं और एक वक्त के बाद इनकी चमक धीमी होने के साथ लुप्त प्रायः हो गई।हालांकि इनमें सबसे बड़ा नाम और अपवाद डा.मंगलसेन को कह सकते हैं।हरियाणा के दो बार मुख्यमंत्री रहे मनोहर लाल भले डा.मंगलसेन से एक कदम आगे सीएम की कुर्सी पर साढ़े नौ साल रहे हों और उनके खाते में अनेक उपलब्धियां हों,लेकिन हरियाणा की सियासत में डा.मंगलसेन जैसा कद उनका भी नहीं बन सका। हरियाणा की सियासत पर नजर रखने वाले पुराने लोग तो यह भी मानते हैं कि डा.मंगलसेन को किसी एक समुदाय के साथ बांध कर देखना उनके साथ अन्याय होगा,वे सर्वमान्य नेता थे।
भविष्य में पंजाबी समुदाय से डा.मंगल सेन को कंपीट कर आगे दिखने वाला चेहरा कौन होगा.. ? इस पर फैसला तो भविष्य के रिपोर्ट कार्ड से तय होगा।बावजूद इसके वर्तमान में पंजाबी समुदाय के नेताओं की अग्रणी पंक्ति में देखे जा रहे मनोहर लाल खट्टर,अनिल विज,सुभाष सुधा के अलावा कांग्रेस की ओर से बड़ा नाम अशोक अरोड़ा का उभर कर सामने आ रहा है। इन चार नेताओं में अनिल विज छह बार और अशोक अरोड़ा चार बार विधायक बन चुके हैं और दोनों प्रभावशाली विभागों के मंत्री रहे हैं। हालांकि अशोक अरोड़ा कैबिनेट मंत्री से पहले हरियाणा के विधानसभा अध्यक्ष भी रह चुके हैं,जबकि मनोहर ला दो बार विधायक बन कर दो बार हरियाणा के सीएम रह चुके हैं। वहीं सुभाष सुधा दो बार विधायक बनने के अलावा हाल ही में राज्य मंत्री पद तक पहुंचे हैं,जो इन चारों में कद, पद, आयु और तजुर्बे के लिहाज से चौथे नंबर भले हों,लेकिन यहां उनकी कम आयु भविष्य के नए पंजाबी नेता के रुप में मार्ग प्रशस्त कर रही है। संयोग से अरोड़ा और सुधा दोनों कुरुक्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं। सुधा को भाजपा की ओर से पंजाबी नेता के रुप में उभारने के लिए पार्टी लाइन पर कितनी ताकत मिलेगी,यह भविष्य के गर्भ में है,मगर अशोक अरोड़ा को कांग्रेस कुछ इसी दिशा में पूरी ताकत के साथ बढ़ाने में जुटी है,इसका अंदाजा लोकसभा चुनाव की गतिविधियां आरंभ से सीधे संकेत दे रही है।
इसका बड़ा कारण यह भी है कि कांग्रेस हरियाणा में 10 वर्षों से सत्ता से बाहर है। इधर मोदी मैजिक अभी भी कम नहीं हुआ है।हरियाणा में नान जाट पालिटिक्स की घेराबंदी को तोड़ने के लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा केवल जाटों के सहारे कोई बड़ा करने करने की स्थिति में नहीं है। इसके लिए उन्होंने बिग पी की डोज निकाली है। हालांकि उनके खेमे में पहले से बीबी बतरा जैसे कुछ और पंजाबी चेहरे हैं,मगर जो कद अशोक अरोड़ा का है,वैसे कद वाला चेहरा उनके हाथ 2019 में आया था। अरोड़ा इनेलो के शासनकाल से लेकर 2019 तक करीब 15 वर्षों से प्रदेशाध्यक्ष रह चुके हैं। पंजाबी समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ है और थानेसर विधानसभा क्षेत्र में उनकी पहचान भी सर्वमान्य यानी हर वर्ग में अच्छी पैठ रखने वाले नेता के रुप में है।
दरअसल अशोक अरोड़ा पर कांग्रेस की विशेष कृपा केवल उनके तजुर्बे और कद की वजह से ही नहीं,बल्कि पंजाबी समुदाय के 22 से 23 प्रतिशत वोट बैंक और 25 से 30 विधानसभाओं में निर्णायक भूमिका में होने की वजह से भी है।हां लाजिमी तौर पर अरोड़ा को जरुर अपने कद और पुराने पदों के साथ तजुर्बे का लाभ मिल रहा है।वैसे भी सक्रिय राजनीति में अरोड़ा के 40 वर्ष पूरे होने के करीब हैं। अगर भविष्य में कांग्रेस के कदम सत्ता की ओर बढ़े तो निस्संदेह इसमें बड़ी भूमिका अरोड़ा की भी होगी,लेकिन इससे पहले लोकसभा चुनाव में अरोड़ा का सेमीफाइनल है। वहीं हरियाणा में भाजपा की ओर से थानेसर विधानसभा सीट पर सुभाष सुधा की हैट्रिक बनी तो इसका लाभ उन्हें अवश्य मिलेगा।