Friday, November 22, 2024
Home Kurukshetra News आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा प्रणीत अद्वैत वेदांत दर्शन  वास्तविक रूप में विश्व दर्शन हैःडा. श्रीप्रकाश मिश्र

आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा प्रणीत अद्वैत वेदांत दर्शन  वास्तविक रूप में विश्व दर्शन हैःडा. श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
0 comment

कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा प्रदत्त अद्वैत वेदांत के मार्ग को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। वेदोक्त सनातन, शाश्वत जीवन दर्शन एवं धर्म के आचार्यों में भगवान श्रीआदिगुरु शंकराचार्य का स्थान निश्चित रूप से सर्वोपरि है। उनके द्वारा प्रदत्त उदार जीवन दर्शन एवं उनके द्वारा किए गए अथक प्रयासों से, विविध विघटित संप्रदायों को सत्य के एक सूत्र में पिरोया गया था।आदिगुरु शंकराचार्य को हम भगवान के अवतार की तरह इसलिए स्वीकार करते है, क्योंकि जो महान कार्य उन्होंने अत्यंत लगभग बत्तीस वर्ष की अल्पायु में किये वह एक साधारण मानव के लिए असंभव प्रतीत होते है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने आदि गुरु शंकराचार्य जयंती के उपलक्ष्य में आश्रम परिसर में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने आदि गुरु शंकराचार्य के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन, माल्यार्पण एवं पुष्पार्चन से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। विद्यार्थियों ने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा प्रदत्त अद्वैत वेदांत के मार्ग को अपने जीवन में आत्मसात करने का संकल्प लिया। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आदि गुरु शंकराचार्य अद्वैत वेदांत के प्रणेता, संस्कृत के विद्वान, उपनिषद व्याख्या और सनातन वैदिक धर्म के प्रचारक थे। हिन्दू सनातन वैदिक मान्यता के अनुसार इनको भगवान शंकर का अवतार माना जाता है। शंकराचार्य ने लगभग अखंड भारत की सम्पूर्ण यात्रा कर चारो दिशाओ में चार पीठों  की स्थापना कर भारत को धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से एकता एवं अखंडता की दृष्टि से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास किया। उनके द्वारा स्थापित चारों पीठे वर्तमान भारत में जो आज भी मौजूद है।

 डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आदि गुरु शंकराचार्य ने मनुष्य को छोटे-छोटे स्वार्थों, एवं संकीर्णताओं से ऊपर उठाया तथा उसकी संवेदना को विस्तार दिया। उन्होंने बताया और समझाया कि मनुष्य यदि स्वार्थ एवं संकीर्णताओं से ऊपर उठ जाए तो वह संपूर्ण सृष्टि के साथ गहरा आत्मिक संबंध स्थापित कर सकता है।उनके अनुसार बाहरी संसार में जो भेद या अलगाव दिखाई देता है, वह अज्ञानता के कारण है। सत्य का साक्षात्कार हो जाने या सच्चा ज्ञान जान लेने पर यह भेद-बुद्धि अपने-आप समाप्त हो जाती है और सारा संसार उसी परम ब्रह्म का अभिव्यक्त स्वरूप जान पड़ता है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा प्रणीत अद्वैत वेदांत दर्शन  वास्तविक रूप में विश्व दर्शन है, जिसमें संपूर्ण धरती एवं मानवता के कल्याण का भाव निहित है। कार्यक्रम का समापन लोक मंगल की कामना के साथ शांति पाठ से हुआ। कार्यक्रम में आश्रम के सदस्य, विद्यार्थी एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00