एचएफपीसी एफपीओ के साथ आईआईडब्ल्यूबीआर का एमओयू करार हुआ
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
करनाल। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) व हार्टीकल्चर फार्मर्स प्रोड्यूसर समूह करनाल (एचएफपीसी एफपीओ) के बीच गेहंू के बीज उत्पादन को लेकर एमओयू करार हुआ है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने एचएफपीसी के चेयरमैन डॉ. डीएस मलिक व डॉ. एसपी तोमर के साथ एमओयू साइन करते हुए खुशी जाहिर की कि यह किसान संगठन उच्च गुणवत्ता के बीजोत्पादन व प्रसार पर कार्य करेगा। डॉ. एसपी तोमर ने संस्थान का आभार व्यक्त किया।
डॉ. तोमर ने बताया कि इस करार के तहत एफपीओ (फार्मर्स प्रोड्यूर्स आर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया) उन्नतशील बीजों का उत्पादन, प्रसार व प्रचार करेगा। बीजों की उच्च गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाएगा। करनाल जिले में इस एफपीओ का गठन वर्ष 2016 में नाबार्ड के माध्यम से मिनिस्ट्री ऑफ कार्पोरेट के तहत किया गया। अब इस किसान समूह में 700 किसान जुड़े हुए हैं। किसानों की आमदनी बढ़ाने के उद्देश्य को आगे बढ़ाते हुए यह एफपीओ उपभोक्ताओं व किसानों के बीच सीधी भूमिका में है। जैविक कृषि पर जोर दिया गया है। किसान कीटनाशकों का अनियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करते हैं जिस कारण खाद्य पदार्थों में जहर के अंश विद्यमान रहते हैं। इसलिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इस एफपीओ ने नाबार्ड के साथ मिलकर कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की। वर्ष 2021-22 में एक परियोजना के तहत जिले में 500 किसानों की एक हजार एकड़ जमीन में बासमती धान पैदा की जिसमें वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन न्यायोचित तरीके से रसायन का इस्तेमाल किया गया। टेस्टिंग में उस चावल में जहर की मात्रा नहीं मिली। इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होकर कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के तत्कालीन चेयरमैन डॉ. अंगामुथु 2022 में करनाल आए थे। इसके अलावा 2023-24 में नाबार्ड के साथ टमाटर पर एग्री स्मार्ट कृषि टेक्नालाजी पर प्रोजेक्ट चलाया गया। टमाटर की फसल में विभिन्न उपकरणों का इस्तेमाल करके कीटनाशकों की भूमिका नगण्य की गई। इस फसल में ड्रोन का भी इस्तेमाल किया गया।