कृषि के क्षेत्र में ड्रोन रोबोटिक जैसे नई तकनीक कृषि के क्षेत्र में भी प्रयोग करने की जररुत: कुलपति
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
करनाल । जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय गुजरात में भोजन पोषण ओर उद्यमिता के लिए डिजिटल बागवानी के प्रतिमान और गतिशीलता पर 3 दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति माननीय डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की। राष्ट्रीय सम्मेलन का विषय डिजिटल टैक्नोलॉजी के माध्यम से बागवानी में कैसे परिवर्तन हो रहा है।
राष्ट्रीय सम्मेलन में कृषि विश्वविद्यालय जूनागढ़ गुजरात द्वारा महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय करनाल के माननीय कुलपति डॉ. सुरेश कुमार मल्होत्रा को उनकी कृषि के क्षेत्र में अनुसंधान, शिक्षा एवम प्रसार के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान को देखते हुए ओर विभिन्न पदों पर काम करते हुए की गई महत्वपूर्ण उपब्धियों ओर कुलपति के पद पर पहुंचने की सफलता के उपलक्ष्य में चाय-अचीवर्ड अवार्ड 2024 देकर सम्मानित किया गया। ये पुरस्कार हर साल उन जाने माने प्रोफेशनल को दिया जाता हैं, जो कृषि के क्षेत्र ओर बागवानी के क्षेत्र में विभिन्न उपलब्धियों को छूते हुए कुलपति के पद तक पहुंचे हो। यह पुरस्कार खोज समिति की अनुशंसा के आधार पर प्रतिवर्ष दिया जाता है। राष्ट्रीय सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए प्लेनरी व्याख्यान दिया। माननीय कुलपति डॉ. सुरेश ने बताया कि डिजिटल तकनीक के माध्यम से बागवानी क्षेत्र में आत्म निर्भरता 2047 तक कैसे प्राप्त किया जा सकता है ताकि बागवानी के क्षेत्र में भारत आत्म निर्भरता और फ्रूट सिस्टम के लिए पूरे विश्व में अग्रणी रहे। उन्होंने बताया कि डिजिटल टैक्नोलॉजी में विभिन्न मुद्दों जैसे कृषिजन एग्रीकल्चर, जिसमें सेंसर, ड्रोन, उपग्रह की इमेज का प्रयोग करते हुए बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन, गुणवत्ता बढ़ाने के लिए कैसे समुचित
प्रयोग किया जा सकता है। जिससे की वातावरण पर कोई दुष्प्रभाव न पड़े ओर बागवानी के क्षेत्र में वेस्ट को कम किया जाए और फसलों को खराब होने से कैसे बचाया जा सके। जितने आदान है, उनका सही प्रकार से प्रयोग किया जा सके। सम्मेलन में इन सभी मुद्दों पर चर्चा की ओर इन सभी का समाधान भी बताया।
नई टैक्नोलॉजी कृषि के क्षेत्र में प्रयोग की जरुरत
उन्होंने समाधान बताते हुए कहा कि कृषि के क्षेत्र में ड्रोन रोबोटिक जैसे नए तकनीक कृषि के क्षेत्र में भी प्रयोग करने की जररुत है। आर्टिफिशल इंटेलिजेंस, क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी डिजिटल टेक्नोलॉजी के माध्यम से प्रतिकूल परिस्थितियों में भी प्रोटक्टिड कल्टीवेशन, वर्टीकल फार्मिंग, हाइड्रोपोनिक जैसे विभिन्न पद्धति में उद्यान विज्ञान में उत्पादन के लिए उचित ढंग से समावेश करने की जरूरत है।
एमएचयू ने शुरू किया नए विषयों पर अनुसंधान शुरू: कुलपति
करनाल स्थित महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय ने कुछ ऐसे नए विषयों पर अनुसंधान शुरू कर दिया है। कुलपति डॉ. सुरेश के सुझावों के आधार पर कृषि के क्षेत्र में डिजिलट टैक्नोलॉजी में रोड मैप बनाने का निर्णय लिया गया ताकि 2047 तक जब भारत आजादी के 100 साल पूरे करेगा ओर जब तक आत्म निर्भर बन जाए ताकि बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए खादय एवं पोषण सुरक्षा को बेहतर किया जा सके।