1999 में बंतो के पति रतनलाल कटारिया ने वरूण के पिता फूलचंद मुलाना को किया था पराजित
अब नियमानुसार 14 दिनों के भीतर वरूण को मुलाना वि.स. सीट के विधायक पद से देना होगा त्यागपत्र
न्यूज डेक्स संवाददाता
अंबाला। 18 वीं लोकसभा आम चुनाव में हुए मतदान की मतगणना के नतीजों में अंबाला ( अनुसूचित जाति – एससी आरक्षित) लोकसभा सीट से 15 वर्षों के बाद कांग्रेस पार्टी की जीत हुई है. कांग्रेस के उम्मीदवार वरूण चौधरी ( मुलाना) ने भाजपा की प्रत्याशी बंतो देवी कटारिया को हालांकि लाखों मतों के मार्जिन से तो नहीं बल्कि 47 हजार से अधिक वोटों के अंतर से पराजित कर दिया है। शहर निवासी हाईकोर्ट एडवोकेट और चुनावी विश्लेषक हेमंत कुमार (9416887788) ने बताया कि वरूण और बंतो के अतिरिक्त अंबाला लोकसभा सीट पर शेष सभी 12 उम्मीदवार अपनी जमानत राशि भी नहीं बचा सके जबकि नोटा विकल्प के पक्ष में 6 हजार 4 सौ से करीब वोट पड़े हैं।
वरूण अक्टूबर, 2019 से अंबाला जिले के मुलाना विधानसभा हलके से कांग्रेस पार्टी के विधायक हैं. वह कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष और प्रदेश सरकार में मंत्री एवं 4 बार विधायक रह चुके फूल चंद मुलाना के सुपुत्र हैं। हेमंत ने बताया कि चूंकि विधायक रहते हुए वरूण लोकसभा सांसद निर्वाचित हैं, इसलिए भारत के संविधान के अनुच्छेद 101 के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए दोहरी सदस्यता निषेध नियम, 1950 के अंतर्गत वरूण को उनकी निर्वाचन नोटिफिकेशन प्रकाशित होने के 14 दिनों के भीतर हरियाणा विधानसभा की सदस्यता अर्थात विधायक पद से त्यागपत्र देना होगा।
इसी बीच हेमंत ने एक रोचक जानकारी साझा करते हुए बताया कि अंबाला लोकसभा सीट जीतकर 44 वर्षीय वरुण चौधरी ने करीब 25 वर्ष अपने पिता फूलचंद मुलाना की बंतो कटारिया के पति दिवंगत रतनलाल कटारिया के हाथों हुई पराजय का बदला ले लिया है। सितम्बर-अक्टूबर, 1999 में जब 13वी लोकसभा के गठन के लिए आम चुनाव हुए थे तब अम्बाला लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर बंतो के पति दिवंगत रतन लाल कटारिया ने उनके राजनीतिक जीवन में लोकसभा सांसद के लिए पहला चुनाव लड़ा था जबकि उनके विरूद्ध कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर वरुण के पिता फूल चंद मुलाना चुनावी मैदान में थे. उस चुनाव में रतन लाल कटारिया ने फूल चंद मुलाना को 1 लाख 24 हज़ार 478 वोटों के अंतर से हराया था. उस चुनाव में कटारिया को 3 लाख 57 हज़ार जबकि मुलाना को 2 लाख 33 हज़ार वोट प्राप्त हुए थे।
बहरहाल, हेमंत ने भारतीय निर्वाचन आयोग के रिकॉर्ड से आज तक अम्बाला संसदीय क्षेत्र का आधिकारिक चुनावी डाटा प्राप्त कर उसका अध्ययन करने के उपरान्त बताया कि पांच वर्ष पूर्व मई, 2019 में हुए 17वीं लोकसभा आम चुनाव में भाजपा के दिवंगत रतन लाल कटारिया को तब मतदान में पड़े 13 लाख 16 हज़ार 235 वोटो में से 7 लाख 46 हज़ार 508 वोट प्राप्त हुए थे अर्थात उन्हें 56.64 % वोट हासिल हुए थे एवं कटारिया ने कांग्रेस की कुमारी सैलजा, जिन्होंने 4 लाख 4 हज़ार 163 अर्थात 30.67% वोट प्राप्त किए थे, को 3 लाख 42 हज़ार 345 वोटो के विशाल अंतर से हराकर जीत हासिल की थी।
उससे पूर्व अप्रैल, 2014 में हुए 16 वीं लोकसभा के आम चुनाव में भाजपा के रतन लाल कटारिया ने मतदान में पड़े 12 लाख 18 हज़ार 995 वोटो में से 6 लाख 12 हज़ार 121 वोट प्राप्त किये अर्थात उन्होंने 50.17 % वोट हासिल किये एवं कटारिया ने कांग्रेस के राज कुमार बाल्मीकि पर 3 लाख 40 हज़ार 74 वोटो से जीत हासिल की थी. वाल्मीकि को कुल 2 लाख 72 हज़ार 47 वोट अर्थात 22.30 % वोट प्राप्त हुए थे।
उससे पहले वर्ष 2009 और 2004 में हुए लोकसभा आम चुनावो में कांग्रेसी प्रत्याशी के तौर पर सैलजा ने कटारिया को लगातार दो बार मात दी थी. वर्ष 2009 लोक सभा चुनावो में सैलजा को 37.19 % ही वोट मिले जबकि कटारिया 35.50 % वोट लेने में सफल हुए एवं सैलजा ने मात्र 14 हज़ार 570 वोटो से कटारिया को शिकस्त दी. उस चुनाव में हालांकि बसपा के चन्द्र पाल भी 21.76 प्रतिशत वोट लेकर ज़मानत राशि बचा गये थे।
उससे पहले वर्ष 2004 में सैलजा ने 49 % वोट हासिल किये एवं उन्होंने कटारिया को 2 लाख 34 हज़ार 935 मतों के विशाल अंतर से हराया. उस चुनाव में कटारिया को मात्र 21.27 % वोट प्राप्त हुए थे। हेमंत ने बताया कि कटारिया हालांकि सर्वप्रथम वर्ष 1999 के लोकसभा आम चुनावो में भी अम्बाला सीट से निर्वाचित हुए थे जब उन्होंने 51.63 % वोट हासिल कर कांग्रेस के फूल चंद मुलाना को हराया था. उस चुनाव में मुलाना को 33.65 % वोट प्राप्त हुए थे. इस प्रकार आज तक रतन लाल कटारिया तीनो बार 50 प्रतिशत से ऊपर वोट शेयर प्राप्त कर अम्बाला से लोकसभा निर्वाचित हुए थे.