Friday, November 22, 2024
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जेनेसिस के ट्विंकल ने 710 अंक प्राप्त कर प्रदेश का नाम रोशन किया

by Newz Dex
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जेनेसिस के 300 बच्चों ने किया नीट को क्वालीफाई, छह बच्चों ने 700 अंक प्राप्त किए, 82 बच्चों ने किए 650 से ज्यादा अंक

न्यूज डेक्स संवाददाता

करनालमेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित प्रवेश परीक्षा नीट का परिणाम घोषित होने के साथ ही करनाल में खुशी की लहर दोड़ गई। करनाल ही नहीं देश और प्रदेश में प्रतिष्ठत और भरोसेमंद कोचिंग शिक्षण संस्थान जेनिसिस क्लासिस के 300 बच्चों ने नीट क्वालिफाई किया। वही पर 82 बच्चों ने 650 से अधिक अंक प्राप्त किए। यही के ट्विंकल ने 710 अंक प्राप्त कर केटेगरी में 185 रैंक लेकर करनाल का नाम रोशन किया। वहीं पर मयंक गुप्ता और दीप्यांशी ने 720 में से 705 अंक प्राप्त किए। इसके अलावा आर्यन राज ने 700, मनीष कुमार ने 700 धनंजय ने 700 अंक प्राप्त किए। तरुण चौधरी, आर्यन मित्तल अभिषेक चौधरी ने 695 अंक प्राप्त किए। 650 से अधिक अंक पाने वालों की संख्या भी काफी अधिक रही। इस खुशी को सैक्टर -6 मार्किट में जेनिसिस परिसर में नाच-गाकर मनाया गया।

इस खुशी को जेनिसिस क्लासिस के डायरेक्टर जितेंद्र सिंह अहलावत तथा नवनीत कल्हण ने विद्यार्थियों की मेहनत और जेनिसिस स्टॉफ की लग्न और सतत मार्गदर्शन को समर्पित किया। वहीं अभिभावकों ने कहा कि जेनिसिस का जवाब नहीं। वहीं बच्चों ने कहा कि इस सफलता के असली हकदार जेनिसिस क्लासिस के टीचर्स और स्टॉफ है। जिन्होंने कभी मायूस नहीं होने दिया। सफल विद्यार्थियों की कतार में ऐसे विद्यार्थी भी थे। जिन्होंने ने एक बार नहीं तीन-तीन बार विफलता के बाद भी निराशा नहीं फटकने दी, सफलता अर्जित की। उन्होंने कहा कि बच्चे निराश नहीं हों। पिछले 15 साल पहले जेनिसिस ही नहीं करनाल और हरियाणा में गिनती के बच्चें मेडिकल कॉलेज और इंजीनियिर कॉलेजों में प्रवेश ले पाते थे। 14 साल पहले जो सपना जेनिसिस क्लासिस के संस्थापक जितेंद्र अहलावत और नवनीत कल्हण ने करनाल ही नहीं उत्तर भारत के लोगों को दिखाया था।

आज जेनिसिस क्लासिस के बच्चों को एम्स, मेडिकल कॉलेज, आईआईटी, प्रतिष्ठित और सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में प्रवेश का प्रतिशत 70 प्रतिशत से अधिक पहुंच गया। जो देश ही नहीं उत्तर भारत में एक रिकॉर्ड है। जानकारी देते हुए जेनिसिस क्लासिस के संस्थापक जितेंद्र अहलावत तथा नवनीत कल्हण ने बताया कि उन्होंने हौसले और मेहनत के साथ बच्चों के लेकर 15 साल पहले सफर शुरू किया था। जो बच्चों की मेहनत, शिक्षकों का मार्गदर्शन और करनाल ही नहीं उत्तर भारत के लोगों का भरोसा कारण बना। एक सफल और क्वालिटी वाईज विद्यार्थियों के कारवां। जेनिसिस क्लासिस के बच्चें आज दुनिया में देश ही नहीं विदेश में भी कार्यरत है। आज यहां के बच्चें मल्टीनेशनल कम्पनियों में करोड़ों का पैकेज ले रहे है। वहीं यहां के विद्यार्थी जो मेडिकल कॉलेजों में सलेक्ट हुए वह भी आज देश-विदेश में सफलता का इतिहास रच रहें हैं।

ट्विंकल ने बताया कि उसका लक्ष्य एम्स दिल्ली में प्रवेश लेना है। उसने बताया कि अभी उसने तय नहीं किया कि कौनासी स्ट्रीम में जाना है। उसने बताया कि उसके माता-पिता दोनों का सहयोग मिला है। वह भी सेवा को ध्वेय बनाना चाहता है। उसने बताया कि सफलता के पीछे जेनिसिस को अधिक श्रेय देना चाहता है। उसकी सफलता का राज नियमित पढ़ाई है। उसकी बहन भी उसे पढ़ाती थीं।

दिव्यांशी के पिता ने कि उनकी बेटी ने 720 में से 705 अंक प्राप्त किए हैं । उन्होंने बताया कि दूसरे प्रयास में उनकी बेटी का सिलैक् शन हुआ। उन्होंने बताया कि बच्चों को बेहतर मार्गदर्शन जेनेसिस में मिला हैं। जेनिसिस क्लासिस ही नहीं करनाल में तीसरे स्थान पर रहने वाले मयंक गुप्ता ने बताया कि उसने सफलता का स्वाद विफलता के बाद चक्खा हैं। उसने बताया कि जेनिसिस क्लासिस ने उसे निराश नहीं होने दिया। वह एक सफल डाक्टर बनना चाहती है। उसने बताया कि वह दिल्ली के किसी मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेंगे। वह मेडिकल प्रोफेशन को सेवा के काम में आगे बढ़ाना चाहते है। उसके पिता ने उसका हौसला बढ़ाया।

जेनिसिस पर भरोसा करना जीवन में टर्निंग प्वांईट साबित हुआ।
अभिभावकों ने कहा! जेनिसिस का जवाब नहीं।

जेनिसिस क्लासिस में बच्चों की सफलता का श्रेय अभिभावकों ने जेनिसिस को दिया। जेनिसिस का लेकर नीट में टॉपर रहे ट्विंकल के पिता वरिंदर कुमार ने बताया कि उन्होंने तो अपने बच्चों को पूरी तरह जेनिसिस को सौंप दिया था। उनकी बड़ी बेटी को भी जेनिसिस का मार्गदर्शन मिला उनके सामने कई बातें आई जिसमें देश के और भी कोचिंग संस्थानों का नाम लिया। लेकिन उन्होंने जेनिसिस का चुनाव किया। उनकों अपने चयन पर गर्व है। सफल बेटी दीप्यांशी के पिता सुनील कुमार ने बताया कि उनके अधुरे सपने को उनकी बेटी ने पूरा किया है। वह भी सफलता का पूरा श्रेय जेनिसिस क्लासिस को देती है। जेनिसिस के माध्यम से आज उनके परिवार में खुशी का माहौल है।

तीसरे स्थान पर रहें मयंक के पिता दीपक कुमार ने बताया कि उन्होंने जेनिसिस पर भरोसा किया। वह आज से नहीं कई सालों से जेनिसिस क्लासिस के साथ जुड़े हुए है। जेनिसिस क्लासिस ने के संचालक जितेंद्र और नवनीत कल्हण के 14 साल के सफर का बढ़ी नजदीकी से देखा है। जेनिसिस क्लासिस ने शहर के कई बड़े और नामचीन डाक्टरों के बच्चों को सफलता तक पहुंचाया है। आर्यन राज के पिता नागेंदर प्रसाद ने बताया कि ने बताया कि उन के बेटे सफलता में जेनिसिस का बहुत बढ़ा हाथ है। उन्होंने बताया कि न्होंने जेनिसिस की गुडविल के कारण दिया था। उनकी बेटी की सफलता ने उनकी कठिनाईयों को दूर कर दिया। यूपी के कई जिलों से यहां पर बच्चे पढने आए है। उन्हें कोचिंग संस्थानों की भीड़ में केवल जेनिसिस की भरोसेमंद मिला।

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