न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। हरियाणा के एकमात्र शक्तिपीठ श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर में शनि जयंती के शुभ अवसर पर नवनिर्मित मंदिर में आज श्री शनिदेव महाराज जी प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न कर स्थापित विराजित किए गए । पीठाध्यक्ष पंडित सतपाल शर्मा ने बताया कि प्रथम आशीर्वाद दर्शन करने कुरुक्षेत्र नगर के हजारों भक्त मंदिर दर्शन करने पहुंचे और इस अवसर के साक्षी बनें ।पीठाध्यक्ष ने बताया कि ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को शनि जयंती मनाई जाती है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन ही शनिदेव का जन्म हुआ था। इस खास दिन पर पूरे विधि-विधान से शनि देव की पूजा करने और व्रत रखने से कुंडली में शनि दोष दूर हो जाता है और जीवन से कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं और मनचाही फलों की प्राप्ति होती है। आज शनि जयंती के दिन सर्वप्रथम प्रातः 10 बजे माँ भद्रकाली जी से अपनी चेतना शक्ति का अंश शक्ति त्रिशूल में स्थापित करने की प्रार्थना की । उसके बाद चिरकाल से मंदिर में स्थापित तेल ज्योति को शनि देव मंदिर में ले जाने की अनुमति मांगी । उसके बाद शनि मंदिर का स्वास्तिक तिलक कर रिबन काटा गया ।
ततपश्चात शनिशिला का दशविध स्नान किया गया जिसमें घी, इत्र, गौमूत्र, दूध, दही, गन्ने, अनार व आम रस, नवग्रह संविधा, गंगाजल,सर्वोषधी, भस्म, शहद का प्रयोग किया गया। फिर शानिदेव महाराज जी को स्थापित विराजित कर उनकी शिला में प्राणों का आवाह्न मंत्रो द्वारा किया गया । अंग चेतन व समाविष्ट पूजन किया गया, जिसमें चेतनपूर्ण शक्ति त्रिशूल को शिला व सभी नवग्रहों पर लगाकर प्राण ऊर्जा को स्थानांतरित किया गया । उसके बाद प्राण स्थिरीकरण पूजन कर शनिदेव से चिरकाल तक इस शिला के माध्यम से भक्तों पर कृपा बरसाते रहने का आशीर्वाद मांगा । फिर शोभा श्रृंगार पूजन किया गया और शनि देव जी को नीले पुष्प आर्किड की माला, मुकुट, तिलक इत्यादि डाला गया । ततपश्चात षोडशोपचार पूजन किया गया । नैवैद्य पूजन किया गया जिसमें नौ तरह के फल-अन्न की डालियों को अर्पित किया गया । फिर हवन कर शनिदेव जी के 108 नामों का जप, आरती व भोग कार्यक्रम किया गया । फिर शिखर कलश की स्थापना की गई ।
शुभमुहूर्त अनुसार लगभग 11 बज कर 58 मिनट पर शनि शिला पर चढ़ा हुआ काला कपड़ा हटा कर उसे दर्शनों के लिये खोल दिया गया । उसके बाद तेलाभिषेक किया गया । मुख्य यजमान के रूप में देवेंद्र गर्ग, अनुराग कौशिक, संजीव सीकरी, नरसिंह गोयल, गौरव अग्रवाल , डॉ पवन बंसल, गोबिंद सिंगला इत्यादि रहे । छह दिवसीय अधिवास कार्यक्रम इत्यादि प० पवन शर्मा द्वारा करवाए गए । फिर नवग्रहों से सम्बंधित पेड़-पौधरोपण किया गया जिसमें खैर, शमी, अपमार्ग, चन्दन, पीपल इत्यादि रहे । इसके बाद मंदिर को भक्तों के दर्शनों के लिए खोल दिया गया और भक्त शनिदेव महाराज जी को तेल, तिल इत्यादि अर्पण कर आशीर्वाद प्राप्त कर सके। पीठाध्यक्ष जी ने आगे बताया की इस मंदिर के लिए शनिशिला विशेषतौर पर ध्यान मुद्रा व आनंद मुद्रा में जयपुर से तैयार करवाई गई । इस शिला के चारों तरफ चारों दिशाओं पर प्रभाव रखने वाले चतुर्मुख शानिमुख स्थापित है ।
मंदिर में नवग्रहों की मूर्तियां भी स्थापित की गई है । मंदिर गुम्बद की कुल ऊंचाई 61 फुट है ।इस मंदिर की विशेषता यह है गर्भगृह में नवग्रहों की आकाशीय स्तिथि भी प्रकट रूप में है । 27 नक्षत्रों, 12 राशियों की संक्षिप्त जानकारी व नवग्रह यंत्र को भी स्थान दिया गया है । शनि ग्रह को पिंड रूप में भी स्थान दिया गया । न्याय व सन्तुलन के देवता शनि देव को दर्शाने के लिए तुला तराजू को भी प्रदर्शित किया गया । यह कार्यक्रम प्रातः 9 से 12 बजे तक किए गए । मंदिर परिसर मे स्वास्थ्य चेकअप शिविर भी लगाया गया, जिसमें हड्डी विशेषज्ञ, त्वचारोग विशेषज्ञ, हृदय विशेषज्ञ, दन्त चिकित्सक, नेत्र कान व गला चिकित्सक भक्तों का इलाज करते रहे, मुफ्त दवाइयां वितरित करते रहे । सारा दिन मीठे जल को वितरित किया गया । भंडारे का आयोजन दोपहर 2 बजे तक किया गया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण मंदिर के फेसबुक व यूट्यूब पेज पर किया गया । इस शुभ अवसर पर एम के मौदगिल, धर्मपाल गोयल, जीवन मौदगिल, शिमला देवी, हेमराज शर्मा, अन्नू पॉल, डॉ संजय शर्मा, स्नेहिल शर्मा, संजीव मित्तल, रामपाल लाठर, वैभव, अश्विनी शर्मा, राजकुमार धवन, एस के गोयल, सतपाल मथाना,विपुल बंसल, इत्यादि सैंकड़ो कार्यकर्ता उपस्थित रहे।