तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में प्रबुद्ध नागरिकों का संवाद कार्यक्रम आयोजित
भारत लोकतंत्र के माडल में हर व्यक्ति को अपनी उपासना पद्धति चुननेःकेतकर
सिलेक्टिव रिफरेंस से भारत के ज्ञान परंपरा और सभ्यता को खंडित करने का हुआ निरंतर प्रयास
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
चंडीगढ़। तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान में आयोजित प्रबुद्ध नागरिकों के संवाद कार्यक्रम में प्रफुल्ल केतकर ने कहा कि लोकतंत्र के यूरोपीय माडल की बजाय भारत में अध्यात्मिक लोकतंत्र हैं।यूरोपीय माडल में जहां हर एक व्यक्ति को एक वोट समझा जाता है,वहीं भारतीय माडल में हर व्यक्ति को अपनी उपासना पद्धति चुनने और उसे छोड़ने का अधिकार प्राप्त है। भारत प्रकाशन एवं आर्गेनाईजर साप्ताहिक के संपादक प्रफुल्ल केतकर राष्ट्रीय विमर्श और पत्र पत्रिकाएं विषय पर आयोजित संवाद कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे।
केतकर ने कहा कि दुनिया के इतिहास में दर्ज है कि भारत के अतिरिक्त विश्व में जहां भी आक्रांता पहुंचे,वहां की स्थानीय सभ्यता 70 से 80 वर्षों में ध्वस्त हो गई।वहीं हमारे देश में मुस्लिम,ईसाई,पारसी,यहूदी समुदाय के लोग आए और यहां आकर रचे बसे। इन्हें भारत के लोगों ने स्वीकार किया और इनके साथ चले,लेकिन अपनी ज्ञान परंपरा,धर्म संस्कृति और सभ्यता से जुड़े रहे। उन्होंने कहा कि भारत की यही ज्ञान परंपरा और सभ्यता की बेजोड़ ताकत को तोड़ने के लिए ब्रिटिश सत्ता ने निरंतर षड्यंत्रों के तहत क्षति पहुंचाने का प्रयास किया।
ब्रिटिश सत्ता ने एक विमर्श तैयार किया था कि भारत एक राष्ट्र नहीं है,भारत का कोई इतिहास नहीं है,भारत का इतिहास गुलामी का
केतकर ने कहा कि ब्रिटिश सत्ता ने एक विमर्श तैयार किया था कि भारत एक राष्ट्र नहीं है,भारत का कोई इतिहास नहीं है,भारत का इतिहास गुलामी का है। इस तरह के सिलेक्टिव रिफरेंस से भारत के गौरव और ज्ञान परंपरा को खंडित करने का काम उन्होंने किया,लेकिन गिर कर भारत कैसे खड़ा हुआ,इसका उल्लेख कहीं नहीं किया।केतकर ने इस विषय पर वीर सावरकर की एक टिप्पणी का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के यह सिलेक्टिव रिफरेंस ठीक वैसे हैं,जैसे मैं किसी को कहूं कि मैंने 17 चाय पानी छोड़ा,मगर मगर मैंने 16 बार चाय पीना शुरु किया,इसका जिक्र नहीं। केतकर ने कहा कि भारत की संस्कृति विलक्षण है,जो विविधताओं को उत्सव के रुप में स्वीकार करती है। हमने विविधता को भेद नहीं माना।
बेशक भारत में राज्य व्यवस्था अलग अलग थी,मगर राष्ट्र एक था और अलग राज्य व्यवस्था होते हुए भी हमारी जीवन दृष्टि एक रही
केतकर ने कहा कि बेशक भारत में राज्य व्यवस्था अलग अलग थी,मगर राष्ट्र एक था।अलग राज्य व्यवस्था होते हुए भी हमारी जीवन दृष्टि एक थी। उस दौर में भारतीय राज्य का संचालन करने वाले भले अलग भाषा अलग क्षेत्र के हो,लेकिन सभी के लिए काशी,गंगा,हिमालय और धर्म संस्कृति के मानबिंदू समान थे। भारत एक सनातन सांस्कृतिक प्रवाह है और इसकी रक्षा के लिए हमेशा कोई ना कोई खड़ा रहा। यह पांच हजार साल से सांस्कृतिक रुप से निरंतर चलने वाला एक राष्ट्र है। केतकर ने यहां प्रबुद्द वर्ग से आह्वान किया कि राष्ट्रीय विमर्श के लिए सभी भूमिका निभाने की आवश्यकता है।
प्राचीन समय से ही देश में संवाद की एक अनोखी परंपरा रही-प्रोफेसर डा.भोला नाथ गुर्जर
कार्यक्रम के मुख्यातिथि तथा नीटर के निदेशक प्रोफेसर डा.भोला नाथ गुर्जर ने कहा कि प्राचीन समय से ही देश में संवाद की एक अनोखी परंपरा रही है। कठपुतलियों और कहानियों के माध्यम से समाज में एक संवाद निरंतर चलता रहा है,लेकिन पत्र पत्रिकाओं का दौर शुरु होने के साथ संवाद माध्यम और सशक्त हुआ।अब आवश्यकता इस बात की है कि प्रौद्योगिकी से जुड़े जो बच्चे पत्र पत्रिकाओं में रुचि नहीं रखते,उनके रुचिकर सामग्री को डिजिटल और अन्य माध्यमों से तैयार किया जाए। संवाद कार्यक्रम से पहले पांचजन्य और आर्गेनाईजर पत्रिकाओं की शुरुआत और समाज में इनकी भूमिका पर दो लघु फिल्मों का प्रदर्शन भी किया गया। इसी के साथ ही राष्ट्रवादी साहित्य की एक प्रदर्शनी भी लगाई गई। कार्यक्रम में प्रबुद्ध वर्ग की बड़ी संख्या में भागीदारी रही।
लोकसभा चुनाव प्रभावित करने को विदेशी एजेंसियों ने खर्चे ढाई बिलियन डालर
केतकर ने कहा कि हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने के लिए कई विदेशी एजेंसियों ने ढाई बिलियन डालर खर्च किया था।उन्होंने कहा कि इन विदेशी एजेंसियों में अमेरिका यूरोप और इस्राईल की एजेंसियां शामिल हैं।इस्राईल की एक एजेंसी की फंडिंग चीन से भी होती है।