रील वाली शोले की टंकी और रीयल के राजनीतिक मंच,कुछ तो अंतर हो,पर हालात बन रहे हैं एक जैसे
और जब गोटियां सिरे से बैठते ही दोनों ओर से आवाज आती है तूं मुझे कबूल,तूं मुझे कबूल,इस बात का जमाना गवाह
ताजा एक पंडित जी ने कहा है,जिन्होंने मंच पर चढ़ कर कहा है दुनिया से जा सकता हूं पर पार्टी नहीं छोडूंगा
बहुत बेइंसाफी तो ये है कि इसके बाद भी कहा जा रहा है कि भाजन की कोशिश ना करिए
करीब साल पहले एक बाबू जी ने आन कैमरा कहा था मर जाना कबूल है,मगर उनके साथ जाना कबूल नहीं,यह जान लीजिए आप…
मगर लोकसभा चुनाव से पहले प्रेम पूर्वक गठबंधन में बंध गए थे बाबू जी,वैसे इनसे अलग भी सूची लंबी है
साभार वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य की फेसबुक वाल से
एनडी हिंदुस्तान
चंडीगढ़।मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा…ये संवाद सुना है ना आपने।अवश्य सुना होगा। अपने धर्म पाजी ने ड्रीम गर्ल के लिए टंकी पर चढ़ कर बोला था।खैर, वो रील लाइफ का सीन था। रीयल लाइफ में दोनों परिणय सूत्र में बंधे और बाद में भाजपा के सांसद भी बने। इस प्रेमी युगल में से एक तो आज भी भाजपा की माननीय सांसद हैं।
यूं की बात ये है कि इनका जिक्र इसलिए आया,क्योंकि आज फिर एक बार मर जाऊंगा, मिट जाऊंगा जैसी बोल बाणी सुनने को मिली।करीब एक साल के भीतर इस तरह की बात आज दूसरी बार कानों में गूंजी है।हाल फिलहाल में इस तरह की बात एक बिहारी बाबू जी ने कही थी।बाबू जी तो परिणय सूत्र में बंध चुके हैं,दूसरे की स्थिति कब या कभी नहीं ? जैसी है।
दरअसल, दूजे वाले ने आज ही टंकी पर चढ़ कर बोला है…ओह नहीं,नहीं… मंच पर चढ़ कर बोला है। मर जाऊंगा,दुनिया से चला जाऊंगा पर पार्टी नहीं छोडूंगा। मंच से कहे ये बोल कानों तक पहुंचे तो कुछ सुने सुणे से लगे। क्योंकि करीब साल पहले बिहारी बाबू ने बोला था मर जाना कबूल है,उनके साथ जाना कबूल नहीं,यह जान लीजिए आप…। मगर लोकसभा चुनाव से पहले प्रेम पूर्वक गठबंधन में बंध गए थे बाबू जी।
अब आज के ताजा घटनाक्रम के बाद बस एक धड़े को यही इंतजार है कि किसी तरह बाबू जी जैसा संजोग जुड़ जाए और दस साल से बसे घर का अंधेरा कुल के दीपक से रोशन हो जाए। पर क्या कर सकते हैं, क्योंकि वो भी कह चुके हैं छोड़ का भाजन भी चाहेगा तो हाथ छोडूंगा पंडित जी…मतलब ये तो फिर ठाकुर के हाथ हो गए,क्योंकि उन्होंने शोले में ही कहा था ये हाथ नहीं फां….का फं… है।
जय श्रीराम पंडित जी