Friday, November 22, 2024
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आईएएस सुमेधा कटारिया साढे़ 31 वर्ष प्रशासनिक सेवा के बाद हुई सेवानिवृत्त

by Newz Dex
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1989 में नियुक्त हुई थी हरियाणा की पहली महिला बीडीपीओ

अबोहर में जन्मीं सुमेधा ने कुरुक्षेत्र को बनाया अपनी कर्मस्थली

आर्यन/न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र, 31 दिसंबर। कुुरुक्षेत्र निवासी आईएएस सुमेधा कटारिया आज लगभग साढे 31 वर्ष की प्रशासनिक सेवा के बाद सेवानिवृत्त हो गई। वे आजकल हरियाणा एग्रीकल्चर मार्किटिंग बोर्ड में मुख्य प्रशासक के पद पर सेवारत थीं। सुमेधा कटारिया सबसे पहले 1989 में एचसीएस अलाईड में आकर हरियाणा की पहली महिला बीडीपीओ बनीं। उनकी पहली नियुक्ति कुरुक्षेत्र में ट्रेनिंग लेने के पश्चात तत्कालीन कुरुक्षेत्र जिले गुहला में हुई। उसके बाद सुमेधा 1992 में एचसीएस में चयनित हो गईं। 2016 में उनका चयन आईएएस के लिए हुआ और उन्हे 2005 का बैच अलॉट हुआ।


मूलरूप से पंजाब के शहर अबोहर की रहने वाली सुमेधा ने कुरुक्षेत्र को अपनी कर्मस्थली बनाया और कुरुक्षेत्र में बीडीपीओ, नगर परिषद प्रशासक, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सिटी मैजिस्ट्रेट, एसडीएम, अतिरिक्त उपायुक्त तथा उपायुक्त पद पर सेवारत रहीं। इसके अलावा उन्होने एमडी शुगर मिल सोनीपत, एसडीएम पिहोवा, रजिस्ट्रार भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय खानपुर, अतिरिक्त उपायुक्त कैथल व अंबाला, अतिरिक्त निदेशक शिक्षा विभाग हरियाणा, करनाल तथा पंचकूला में नगर निगम की आयुक्त और पानीपत में उपायुक्त के रूप में अपनी सेवाएं दी। गीता जयंती महोत्सव के आयोजन में सुमेधा कटारिया का विशेष सहयोग रहा। इस उत्सव ने जो अंतरराष्ट्रीय स्वरूप पाया है उसमें सुमेधा कटारिया के योगदान का भूलाया नही जा सकता।


सुमेधा कटारिया ने पंजाब विश्वविद्यालय से एमए अंग्रेजी की परीक्षा पास की और सबसे पहले एफसी महिला कॉलेज हिसार में अंग्रेली के लैक्चरर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की। उन्होने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से राजनैतिक विज्ञान और हिंदी साहित्य में एमए की परीक्षा पास की और एमए कम्यूनिटी एजुकेशन की डिग्री डीसी मोनफोर्ट, लेस्टर (यूके) से प्राप्त की। गुजवि हिसार से एमबीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। सुमेधा एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी होने के साथ-साथ प्रख्यात कवियत्री भी हैं। उनके 7 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। जिनमें अमलतास, सफर लफ्जों का-मैं से तुम तक, शिवामन, शरणागति, माँ ठंडी छाँ, मैं शरणागत मेरे साहेब, धरा उवाच-इदम नमम् शामिल हैंं। वे सामाजिक तथा धार्मिक क्षेत्र में गहरी रूचि रखती हैं। वे कुरुक्षेत्र की कई धार्मिक, सामाजिक एवं साहित्यिक संस्थाओं से जुडी हुई हैं।  

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