श्रावण मास के दूसरे सोमवार को की श्री कालेश्वर महादेव की विशेष आरती
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता/हेमंत राणा
कुरुक्षेत्र। प्राचीन एवं ऐतिहासिक श्री कालेश्वर महादेव मंदिर में श्रावण मास के दूसरे सोमवार की रात्रि को विशेष आरती का आयोजन श्री ब्राह्मण एवं तीर्थद्वार सभा द्वारा किया गया। श्री कालेश्वर भगवान की इस आरती में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा ने सपरिवार भाग लिया।
कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा, धर्मपत्नी सुमिता शर्मा तथा पिता ओमप्रकाश शर्मा के साथ अन्य परिजन कालेश्वर मंदिर परिसर में पहुंचे। इस अवसर पर श्री ब्राह्मण एवं तीर्थद्वार सभा द्वारा संचालित वेद पाठशाला के आचार्य नरेश व मंदिर के पुजारी राकेश शुक्ला के नेतृत्व में विद्यार्थियों ने उनका वेद मंत्र उच्चारण तथा शंख ध्वनि के साथ स्वागत किया।ॉ
सभा के मुख्य सलाहकार जय नारायण शर्मा के नेतृत्व में सभा के पदाधिकारी ने कुलसचिव प्रोफेसर संजीव शर्मा और उनके स्वजनों को पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। मुख्य अतिथि ने सपरिवार कालेश्वर भगवान की पूजा अर्चना की और विश्व कल्याण की कामना की। सभा की ओर से मुख्य अतिथि तथा उनके परिजनों को अंग वस्त्र बैठकर सम्मानित किया गया और भगवान कालेश्वर का प्रसाद भेंट किया गया। कालेश्वर महादेव की फल श्रृंगार सेवा केके रेजिडेंसी होटल के मालिक सचिन अत्री ने की। इस आरती में प्रसाद की सेवा समाजसेवी सुनील गोयल, कुलविंद्र खैहरा और कुलविंदर सलूजा परिवार की ओर से रही।
प्रधान महासचिव रामपाल शर्मा ने बताया कि कालेश्वर महादेव मंदिर एकमात्र शिवालय है जहां शिवजी के साथ नंदी नहीं है। इस मंदिर में पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण मास में इस मंदिर में श्री ब्राह्मण एवं तीर्थद्वार सभा द्वारा विशेष आरती का आयोजन किया जाता है। सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा ने बताया कि इस बार पांच सोमवार है और प्रत्येक सोमवार को कालेश्वर महादेव मंदिर में सभा द्वारा विशेष आरती आयोजित की जाएगी। उन्होंने बताया कि कालेश्वर भगवान की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती।
महाप्रतापी राजा रावण ने इस स्थान पर कालेश्वर भगवान की पूजा की थी और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें मृत्यु पर विजय का आशीर्वाद दिया था। रावण की इच्छा अनुसार भगवान शिव इस स्थान पर नंदी को छोड़कर प्रकट हुए थे। इसीलिए इस कालेश्वर महादेव मंदिर में नंदी स्थापित नहीं है। श्रावण के मास में दूर-दूर से श्रद्धालु इस मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं।