Friday, November 22, 2024
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गोस्वामी  तुलसीदास भक्तिकाल की राम काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है – डा.श्रीप्रकाश मिश्र

by Newz Dex
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मातृभूमि सेवा मिशन के तत्वावधान में गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा संत संवाद कार्यक्रम संपन्न।

मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश की आजादी के लिए मात्र 18 वर्ष 8 माह एवं 8 दिन की आयु में फांसी के फंदे को चूमने वाले वीर शहीद खुदी राम बोस को उनकी बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

न्यूज़ डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र । हिंदी साहित्य में महाकवि तुलसीदास का युग सदा अमर रहेगा। वे भक्त कवि शिरोमणि थे। तुलसी ने लोकसंग्रह के लिए सगुण उपासना का मार्ग चुना राम भक्ति के निरूपण को अपने साहित्य का उद्देश्य बनाया। तुलसीदास का भक्तिमार्ग वेदशास्त्र पर आधारित है। कवि के रूप में उन्होने अपने साहित्य में श्रवण, कीर्तन, स्मरण, अर्चन, दास्य ,साख्य और आत्मनिवेदन इन सभी पक्षों का प्रतिपादन बड़ी ही कुशलतापूर्वक किया है।यह विचार गोस्वामी तुलसीदास की जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित संत संवाद कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारम्भ मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थिओ द्वारा गोस्वामी तुलसीदास के चित्र पर माल्यार्पण,पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। विद्यार्थिओ द्वारा हनुमान चालीसा का सस्वर पाठ हुआ। डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा गोस्वामी  तुलसीदास भक्तिकाल की राम काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि है। तुलसी ने रामचरितमानस के ज़रिए भगवान राम की भक्ति को घर-घर तक पहुँचाया है। जहाँ तुलसी का साहित्य भक्ति-भावना जागृत करता है वही सामाजिक चेतना का भी प्रसार करता है। तुलसीदास की सामाजिक और लोकवादी दृष्टि मध्यकाल के अन्य कवियों से अधिक व्यापक और गहरी है।  गोस्वामी तुलसीदास उस काल से संबंध रखते हैं जो सामंती मूल्यों से ग्रस्त काल था। तुलसीदास भक्तिकालीन राम-भक्ति शाखा के शीर्षस्थ कवि हैं।

डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा तुलसीदास ने रामचरितमानस के माध्यम से एक सम्पूर्ण आदर्श समाज का खाका तैयार किया है, जिसकी बुनियाद सामंती जीवन मूल्य है। उन्होंने क्षीण होती वर्ण-व्यवस्था एवं सामाजिक मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया है। रामकथा के माध्यम से घटनाओं के आलोक में पारिवारिक, सामाजिक आदर्शों को उन्होंने व्याख्यायित करने की कोशिश की है। तुलसी की रचना के मूल में लोक-मंगल है, जिसे वे काव्य का उद्देश्य मानते हैं। इसी आलोक में उनकी सामाजिक चेतना की निर्मिति भी होती है।  तुलसी की काव्य-रचना के मूल में लोक-मंगल है। यह लोक-मंगल परिवार और समाज के नैतिक मूल्यों पर आधारित है।गोस्वामी तुलसीदास ने भारतीय समाज में व्याप्‍त जीवन-मूल्यों को रामकथा के माध्यम से व्याख्यायित करने की सार्थक प्रयास किया । जिसकी सामाजिक स्वीकृति को उनके काव्य की लोकप्रियता के माध्यम से देखा जा सकता है। संत संवाद कार्यक्रम में अष्टम के विद्यार्थी नकुल द्वारा गोस्वामी तुलसीदास के जीवन पर सर्वश्रेष्ठ प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत करने पर पुरस्कृत किया गया। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देश की आजादी के लिए मात्र 18 वर्ष 8 माह एवं 8 दिन की आयु में फांसी के फंदे को चूमने वाले वीर शहीद खुदी राम बोस को उनकी बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
 कार्यक्रम में मातृभूमि सेवा मिशन के विद्यार्थी, सदस्य एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे।

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