इस विषय पर गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी के सभागार में कार्यशाला आयोजित
इस परियोजना का नेतृत्व कर रहे हैं ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन के प्रोफेसर डा.हरजीत सिंह
एनडी हिंदुस्तान संवाददाता
अमृतसर। गुरु नानक देव विश्वविद्यालय के सभागार में “2047 और उससे आगे के ग्रामीण भारत के लिए ऊर्जा दक्षता और हरितहाइड्रोजन” विषय पर आयोजित कार्यशाला में वैश्विक विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिया। कार्यशाला में 50 से अधिक प्रतिभागी शामिल हुए। कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों की जिज्ञासा को भी विशेषज्ञों ने शांत किया और विषय संबंधित बेहद उपयोगी सवाल जवाब हुए।
उल्लेखनीय है कि यह कार्यशाला एफसीडीओ (यूके) द्वारा वित्त पोषित परियोजना “ग्रामीण भारत के लिए विकेंद्रीकृत सौर हाइड्रोजन(डीएसएचआई)” द्वारा आयोजित की गई थी। इस परियोजना का नेतृत्व ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन के प्रोफेसर हरजीत सिंह कर रहे है, जिसमें इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आनंद और आर्कटिक रिन्यूएबल्स एंड एनर्जी एफिशिएंसी प्राइवेट लिमिटेड भारतीय भागीदार की भूमिका में हैं।
इस अवसर ब्रुनेल यूनिवर्सिटी लंदन, यूके के प्रोफेसर डा.हरजीत सिंह सहित प्रमुख वैश्विक विशेषज्ञों द्वारा विशेषज्ञ व्याख्यान , प्रोफेसर नरिंदर सिंह (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रोपड़), प्रोफेसर राकेश अरावटिया (ग्रामीण प्रबंधन संस्थान आनंद, गुजरात), प्रोफेसर सुरेश सिवन (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान त्रिची, तमिलनाडु), डॉ. प्रभप्रीत सिंह (गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, पंजाब) , डॉ. राजीव कुमार (पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़), डॉ. अंशुल पानेरी (आर्कटिक रिन्यूएबल्स एंड एनर्जी एफिशिएंसी लिमिटेड, भारत) औरडॉ. मयिल विवेकानंथन (हिल्ड इलेक्ट्रिक, भारत)। व्याख्यान और उसके बाद की चर्चाएं 2047 से आगे भारत की ऊर्जा आवश्यकताऔर शून्य-कार्बन ऊर्जा उत्पादन और दक्षता प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित थीं।
विशेषज्ञों ने बताया कि कैसे यह प्रौद्योगिकी न केवल ऊर्जा की मांग को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि इसी के साथ भारत में 2070 तक शून्य कार्बन अर्थव्यवस्था लक्ष्य को पूरा करने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है। सौर ऊर्जा चालित फोटोकैटलिटिक औरइलेक्ट्रोलाइटिक हाइड्रोजन उत्पादन प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान दिया गया। प्रोफेसर डा.हरजीत सिंह ने फोटोकैटलिटिकहाइड्रोजन और वैक्यूम इन्सुलेशन प्रौद्योगिकियों में ब्रुनेल की अनुसंधान गतिविधियों और आउटपुट प्रस्तुत किए।
खाना पकाने, भंडारण और परिवहन इत्यादि में शामिल कम एवं शून्य ऊर्जा वाले उपकरण और प्रक्रियाओं को वितरित करने के लिएविशेष रूप से उपयुक्त है। जल उपचार और पर्यावरण में नैनोमटेरियल की भूमिका पर प्रोफेसर नरेंद्र सिंह और डॉ. राजीव कुमार नेप्रोफेसर सुरेश के साथ ऊर्जा भंडारण प्रणाली पर चर्चा की। प्रोफेसर अरावतिया ने पांच भारतीय राज्यों में किए गए ऊर्जा मांगसर्वेक्षण के नतीजे प्रस्तुत किए और डॉ. पानेरी ने भारत में सौर हाइड्रोजन उत्पादन में गंभीर क्रांति लाने में भारतीय उद्योग की भूमिकापर प्रकाश डाला।