नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के एक विद्यार्थी समूह द्वारा मातृभूमि सेवा मिशन के फतुहपुर स्थित समस्त सेवा प्रकल्प का भ्रमण किया।
मातृभूमि सेवा मिशन आश्रम परिसर पहुंचने पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र का विद्यार्थी समूह का जय हिंद से स्वागत किया।
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । वर्तमान युग में युवा राष्ट्र की एक शक्तिशाली संपत्ति है जिसमें प्रचुर मात्रा में ऊर्जा और उत्साह है जो समग्र उन्नति के लिए आवश्यक माना जाता है। युवावस्था विकास की एक महत्वपूर्ण उम्र है, अनिश्चितता की अवधि जब सब कुछ उथल-पुथल में होता है। युवा कल की आशा हैं। युवा देश के सबसे ऊर्जावान वर्गों में से एक हैं और इसलिए उनसे बहुत उम्मीदें हैं। सही मानसिकता और क्षमता से युवा देश के विकास में योगदान दे सकते हैं और उसे आगे बढ़ा सकते हैं। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र के विद्यार्थी समूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किये। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन के एक विद्यार्थी समूह द्वारा मातृभूमि सेवा मिशन के फतेहपुर स्थित समस्त सेवा प्रकल्पो का भ्रमण किया। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा समाज के असहाय एवं जरूरतमंद बच्चों के लिए निःशुल्क संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों से संवाद भी किया। मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों से मिलकर एवं उनकी प्रतिभा से परिचित होकर विद्यार्थी समूह बहुत प्रभावित एवं प्रेरित हुआ।मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। विद्यार्थी समूह ने आश्रम के बच्चों की दिनचर्या सहित जीवन निर्माण के समस्त पहलुओं को बहुत गहराई एवं बारीकी से अध्ययन किया। आश्रम परिसर पहुंचने पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र का विद्यार्थी समूह का जय हिंद से स्वागत किया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा कोई भी राष्ट्र युवाओं के बिना जीवित नहीं रह सकता। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारा देश किस उद्योग में आगे बढ़ना चाहते हैं। चाहे वह प्रौद्योगिकी हो, खेल हो, तकनीकी हो या शिक्षा जीवन विकास का कोई भी क्षेत्र या, सभी में युवाओं की आवश्यकता है। सभी युवाओं को उनकी क्षमता और देश के विकास में उनकी भूमिका के बारे में जागरूक करने की आवश्यकता है। देश की राजनीति, अर्थव्यवस्था, प्रौद्योगिकी और चिकित्सा विज्ञान सहित समस्त विकास का भविष्य युवाओं के हाथों में है। विश्व वर्तमान में जिन समस्याओं का सामना कर रहा है उनमें अकाल, बेरोजगारी, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के अन्य रूप शामिल हैं।आने वाली पीढ़ी के पास इन सभी समस्याओं का समाधान है। किसी भी राष्ट्र में युवा जनसंख्या के सबसे महत्वपूर्ण और ऊर्जावान तत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा 19वीं सदी के भारतीय दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता, महान विचारक, वक्ता, कवि और युवाओं के महान संरक्षक स्वामी विवेकानंद ने युवाओं को भारत और दुनिया के उत्थान के पीछे प्रेरक शक्ति के रूप में जाना है। उनका मानना था कि युवाओं के भीतर छिपी शक्ति का यदि उपयोग किया जाए और उसे महान आदर्शों की ओर निर्देशित किया जाए, तो समाज में गहरा परिवर्तन आ सकता है। स्वामी जी ने युवाओं में चरित्र निर्माण, नैतिक अखंडता और आत्मविश्वास की मजबूत भावना के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने उन्हें आधुनिक शिक्षा और आध्यात्मिक ज्ञान का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया, स्वामी विवेकानंद ने भारत के लिए एक ऐसी शिक्षा प्रणाली की वकालत की, जो न केवल ज्ञान प्रदान करे बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी के साथ कर्तव्य और आत्मनिर्भरता की भावना को भी बढ़ावा दे।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र के विद्यार्थी समूह के सदस्य गौतम कुमार,अंजलि कुमावत, प्राची यादव, आसना छाबड़ा, अर्शा बेनीवाल, आदिल एवं कुंजल जैन ने मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों को सम्बोधित किया और मातृभूमि सेवा मिशन के प्रति अपने अनुभव, दृष्टिकोण एवं विचार को साँझा किया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन कुरुक्षेत्र के विद्यार्थी समूह के सभी सदस्यों को मातृभूमि सेवा मिशन परिवार की ओर से अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में आश्रम के विद्यार्थी, सदस्य एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहे