न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। गीता निकेतन आवासीय विद्यालय में संस्कृत सप्ताह का भव्य आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर आज कक्षा एकादशी और द्वादशी के संस्कृत विद्यार्थियों ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के मुख्य पुस्तकालय में स्थित प.स्थाणुदत्त पांडुलिपि अनुभाग में पांडुलिपियों(मैनुस्क्रिप्ट) का अवलोकन किया।विभाग प्रमुख प्रोफेसर ललित गौड जी ने छात्रों को बताया कि लेखन पद्धति का जनक भारत है,और यहां ताड़पत्र,श्रीतालपत्र, वस्त्र आदि पर लिखना प्रारम्भ हुआ।राजा अशोक,भोज, विक्रमादित्य के समय की प्राचीन असंख्य पांडुलिपियां आज प्राप्त हो रही हैं।इन्हीं दुर्लभ पांडुलिपियों को केन्द्र सरकार के निर्देशन में संरक्षित कर डिजिटल रूप में परिवर्तित किया जा रहा है।इस समय विभाग में अष्टाध्यायी, रामायण, महाभारत,षड्दर्शन, ज्योतिष, भगवद्गीता, रामचरितमानस,वेदान्त इत्यादि के दुर्लभ मूल ग्रंथ और पारिभाषिक ग्रंथ विभिन्न लिपियों में उपलब्ध हैं।
लिपि विशेषज्ञा श्रीमती मीरा शर्मा ने विभिन्न प्राचीन लिपियों ब्राह्मी ,शारदा,खरोष्ठी,नागरी ,ताम्र,पाली इत्यादि का परिचय और लिखने का क्रम बताया। उन्होंने यह भी बताया कि पूरे भारत में डेढ़ करोड़ और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सोलह हजार पांडुलिपियां उपलब्ध हैं, इन्हीं पांडुलिपियों में प्राचीन अमूल्य ज्ञान विद्यमान है।
पांडुलिपि अवलोकन के उपरांत छात्रों ने ब्रह्मसरोवर पर स्थित श्री जयराम विद्यापीठ द्वारा संचालित संस्कृत महाविद्यालय का भ्रमण किया।
महाविद्यालय के व्याकरण आचार्य श्री संजय शर्मा ने परम्परागत अध्ययन-अध्यापन,शास्त्र शिक्षण, प्रतियोगिताओं और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का विस्तृत परिचय दिया।
इस अवसर पर छात्रों ने समूह गान, संवाद और श्लोकोच्चारण प्रस्तुत किया।
इस भ्रमण का संयोजन विद्यालय के आचार्य श्री भूपेन्द्रशर्मा एवं श्रीमती नीरज शर्मा ने किया।