कुवि के ललित कला विभाग में राष्ट्रव्यापी प्रिंट मेकिंग कैंप “मुद्रण कृति-उत्तर का हुआ शुभारंभ
कुरुक्षेत्र । कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा ने कहा कि कला केवल समाज का प्रतिबिंब नहीं है, बल्कि एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से हम इसे आकार दे सकते हैं और प्रभावित कर सकते हैं। यह शिविर सहयोग की शक्ति और सीमाओं को पार करने की कला की असीम क्षमता का प्रमाण है।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के ललित कला विभाग द्वारा कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा के मार्गदर्शन में हिना भट्ट आर्ट वेंचर्स, पुणे के सहयोग से मंगलवार को “मुद्रण कृति-उत्तर” नामक छह दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रिंटमेकिंग कैंप श्रृंखला के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्यातिथि बोल रहे थे।
कुलसचिव प्रो. संजीव शर्मा नेे शिक्षा जगत में कला की भूमिका पर भी प्रकाश डाला, उन्होंने कहा कि इस तरह की कार्यशालाएँ छात्रों को सीखने के लिए एक व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करती हैं, जिससे उन्हें नई तकनीकों का पता लगाने और अपने कलात्मक दृष्टिकोण को व्यापक बनाने में मदद मिलती है। उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और हिना भट्ट आर्ट वेंचर्स के बीच सहयोगात्मक प्रयास के लिए अपनी गहरी प्रशंसा व्यक्त की तथा रचनात्मक अभिव्यक्ति को बढ़ावा देने और कलात्मक विकास के लिए अनुकूल वातावरण को बढ़ावा देने में ऐसी पहलों के महत्व पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि प्रयाग शुक्ला ने कला की दुनिया, खास तौर पर प्रिंटमेकिंग के बारे में अपनी गहरी अंतर्दृष्टि साझा की। उन्होंने कहा कि प्रिंटमेकिंग एक ऐसी कला है जिसमें धैर्य, सटीकता और कल्पनाशीलता समाहित होती है। यह एक ऐसा माध्यम है जो कलाकार को पारंपरिक सोच से परे सोचने, प्रयोग करने और नया करने की चुनौती देता है।
हिना भट्ट आर्ट वेंचर्स की निदेशक हिना भट्ट ने कहा कि इस शिविर का प्राथमिक उद्देश्य छात्रों को प्रिंटमेकिंग में विविध शैलियों और तकनीकों से अवगत कराकर उन्हें लाभान्वित करना है। “यह आयोजन केवल कला बनाने के बारे में नहीं है; यह सीखने, ज्ञान साझा करने और कलाकारों की अगली पीढ़ी को प्रेरित करने के बारे में
ललित कला विभाग के अध्यक्ष डॉ. गुरचरण सिंह ने सभी अतिथियों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह शिविर विभाग के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा तथा छात्रों को प्रिंटमेकिंग में अग्रणी हस्तियों से जुड़ने और उनसे सीखने के लिए एक अमूल्य मंच प्रदान करता है। इस तरह की बातचीत उनकी कलात्मक यात्रा के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि 1 सितंबर 2024 तक चलने वाला यह कार्यक्रम कलात्मक प्रतिभा का एक महत्वपूर्ण संगम है, जिसमें प्रसिद्ध प्रिंटमेकर शामिल हैं और छात्रों और कला प्रेमियों के लिए एक असाधारण सीखने का अवसर प्रदान करेगा।
इस अवसर पर वरिष्ठतम संकाय सदस्य और पूर्व अध्यक्ष प्रो. राम विरंजन, डॉ. पवन कुमार, डॉ. मोनिका गुप्ता, डॉ. जया दरोंडे, आयोजन सचिव राकेश बानी डॉ. आनंद जायसवाल, डॉ. आर. के. सिंह, श्री सुशील कुमार और श्री आर. एस. पठानिया शामिल थे।
कार्यशाला में भाग लेने वाले कलाकारों का परिचय
“मुद्रण कृति-उत्तर” नामक छह दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रिंटमेकिंग कैंप श्रृंखला के उद्घाटन अवसर पर समारोह में भाग लेने वाले बारह कलाकारों का भी परिचय कराया गया, जिनमें से प्रत्येक प्रिंटमेकिंग के क्षेत्र में अग्रणी व्यक्ति हैं, जो अपनी अनूठी शैलियों और कला जगत में योगदान के लिए जाने जाते हैं। कलाकारों में नई दिल्ली से आनंद मोय बनर्जी, सुशांत गुहा, दत्तात्रेय आप्टे, कविता नायर और मोती झरोटिया, सोनीपत से राजन फुलारी, चंडीगढ़ से महेश प्रजापति, कुरुक्षेत्र से राकेश बानी, पंजाब से राजेश कलसी, करनाल से इशु जिंदल, हिमाचल प्रदेश से छेरिंग नेगी और जम्मू से देवा शर्मा शामिल हैं।
कार्यशाला में होगा विभिन्न कलाकृतियों का मिश्रण
“मुद्रण कृति-उत्तर” नामक छह दिवसीय राष्ट्रव्यापी प्रिंटमेकिंग कैंप श्रृंखला में विभिन्न कलाकृतियों का मिश्रण देखने को मिलेगा। अपनी नवीन तकनीकों और प्रिंटमेकिंग की गहन समझ के लिए पहचाने जाने वाले ये कलाकार कार्यशाला में सक्रिय रूप से भाग लेंगे, जहाँ वे अपनी विशिष्ट विधियों का उपयोग करके कलाकृतियाँ बनाएंगे। इस शिविर के दौरान बनाई गई कलाकृतियाँ कागज़ पर मुद्रित की जाएँगी, जिसमें पारंपरिक और समकालीन प्रिंटमेकिंग तकनीकों का मिश्रण दिखाया जाएगा। इन कलाकारों की भागीदारी न केवल इस आयोजन की प्रतिष्ठा को बढ़ाती है, बल्कि ललित कला विभाग के छात्रों और संकाय सदस्यों के लिए एक असाधारण सीखने का अनुभव भी प्रदान करती है।