देववाणी संस्कृत को जाने बिना, भारतीय संस्कृति की महत्ता को समझना मुश्किल- प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संहिता एवं सिद्धांत विभाग द्वारा गुरुवार को विश्व संस्कृत भाषा दिवस पर श्लोक वाचन और संस्कृत काव्य प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्यातिथि के रूप में कुलपति प्रो. वैद्य करतार सिंह धीमान और मुख्य वक्ता हरियाणा संस्कृत भारती के संस्थापक सदस्य हरिदेव शास्त्री उपस्थित रहे। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि संसार की समस्त प्राचीन भाषाओं में संस्कृत का सर्वोच्च स्थान रखती है। विश्व साहित्य की प्रथम पुस्तक ऋग्वेद संस्कृत में ही रची गई है इसके साथ ही संपूर्ण भारतीय संस्कृति, परंपरा और महत्वपूर्ण राज इसमें निहित है। देववाणी संस्कृत को जाने बिना भारतीय संस्कृति की महत्ता को जाना नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि संस्कृत केवल ज्ञान नहीं बल्कि वैज्ञानिक भाषा है कई विशेषज्ञों ने वैज्ञानिक रीति से इसका अध्ययन किया और गहरी गवेषणा की है। समस्त भारतीय भाषाओं को जोड़ने वाली कड़ी यदि कोई भाषा है तो वह संस्कृत ही है। मुख्य वक्ता हरिदेव शास्त्री ने विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है। हम जानते हैं कि संस्कृत के कारण ही भारत का गौरव पूरे विश्व में सदैव बढ़ा है और संस्कृत भारती के माध्यम से अब तक दस लाख से अधिक लोग संस्कृत वक्ता बन चुके हैं। संस्कृत भारती संस्कृत में निहित ज्ञान और विज्ञान के लिए एक विश्व स्तरीय मार्गदर्शन और विज्ञान प्रदर्शनियों के माध्यम से संस्कृत जगत के लिए एक विश्व स्तरीय मार्गदर्शन प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा का सम्पूर्ण साहित्य संस्कृत भाषा में रचा गया है इसलिए अगर आयुर्वेद के मूल को जानना है तो संस्कृत भाषा का ज्ञान बहुत जरूरी है। दरअसल भारतीय महापुरुषों ने जो प्रमाणित और सिद्ध किया है उसे ही हम मानने के लिए तैयार नहीं है जबकि वह भारत का स्वर्णिम काल था। कार्यक्रम के अन्त में संयोजक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार ने सभी गणमान्य अतिथियों का धन्यवाद प्रकट किया और श्लोक वाचन और काव्यवाचन प्रतियोगिता के परिणाम घोषित किए गए। संस्कृत श्लोक वाचन प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर ईशा, द्वितीय सीमरन और तीसरे स्थान पर अजय रहा। इसके साथ काव्य प्रतियोगिता में प्रथम प्रतिभा, दूसरा प्रिंसी, तीसरा स्थान ज्योति ने प्राप्त किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. देवेंद्र खुराना, सहायक प्रो. डॉ. लसिथा, डॉ. चक्रपाणि एवं अन्य मौजूद रहे।