मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा मातृभूमि शिक्षा मंदिर के मध्य भाषा संवाद निबंध प्रतियोगिता कार्यक्रम सम्पन्न
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र । एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषण और परिचायक भी है। बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवत सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है जो हमारे पारंपरिक ज्ञान, प्राचीन सभ्यता और आधुनिक प्रगति के बीच एक सेतु भी है। यह विचार मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में मातृभूमि शिक्षा मंदिर द्वारा आयोजित भाषा संवाद कार्यक्रम में व्यक्त किये। इस अवसर पर मातृभूमि शिक्षा मंदिर के बच्चों के मध्य हिंदी भाषा का महत्व विषय पर निबंध प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। निबंध प्रतियोगिता में पंचम के हनी सिंह ने प्रथम स्थान , चतुर्थ के संदीप ने द्वितीय स्थान और तृतीय के शिवा ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। सभी विद्यार्थियों को स्मृति चिन्ह देकर प्रोत्साहित किया गया।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा देश की स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर हिन्दी ने कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां प्राप्त की हैं। हिंदी भारत संघ की राजभाषा होने के साथ ही ग्यारह राज्यों और तीन संघ शासित क्षेत्रों की भी प्रमुख राज्य भाषा है। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल अन्य इक्कीस भाषाओं के साथ हिंदी का एक विशेष स्थान है। हिंदी सिर्फ भाषा या संवाद का ही साधन नहीं है, बल्कि हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि दुनिया भर के 170 से अधिक विश्वविद्यालयों में हिंदी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। हिंदी भाषा भारत के बाहर 20 से अधिक देशों में बोली जाती है। आज की युवा पीढ़ी के लिए हिंदी वैश्विक महत्व की भाषा है, क्योंकि यह संचार, शिक्षा, व्यापार और कूटनीति के अवसर खोलती है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, मॉरीशस, फिजी, गुयाना और सूरीनाम सहित विश्व के अनेक देशों में भी हिंदी भाषा बोली जाती है। हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को मनाया जाता है। भारत में पहली बार हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था। 14 सितंबर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखी गई हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते हिंदी विभिन्न भाषाओं के उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। भाषा वह जीवित रहती है जिसका प्रयोग जनता करती है। इसलिए आवश्यक है की भारत का प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में अधिक से अधिक हिंदी भाषा को आत्मसात करे। कार्यक्रम में मातृभूमि शिक्षा मंदिर के शिक्षक, विद्यार्थी , आश्रम के सदस्य आदि उपस्थित रहे