मनीष सिसोदिया ने भी फैसला लिया है कि वह उपमुख्यमंत्री का पद तभी संभालेंगे, जब जनता जीता कर ईमानदारी का सर्टिफिकेट देगी- केजरीवाल
विधायक दल की होने वाली बैठक में दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा- केजरीवाल
मैं केंद्र सरकार से मांग करता हूं, नवंबर में महाराष्ट्र के साथ ही दिल्ली विधानसभा का चुनाव भी कराया जाए- केजरीवाल
दिल्लीवालों से अपील, आपको लगता है कि मैं ईमानदार हूं तो मेरे पक्ष में वोट देना और लगता है कि गुनाहगार हूं तो मुझे वोट मत देना- केजरीवाल
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक एवं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को अपने इस्तीफा देने की घोषणा कर दिल्ली समेत पूरे देश को चौका दिया। एक फर्जी केस में पांच महीने बाद जेल से बाहर आने के बाद पार्टी मुख्यालय पर ‘‘आप’’ कार्यकर्ताओं और जनता को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगले दो दिन बाद मैं मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने जा रहा हूं और जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देगी कि मैं ईमानदार हूं, तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। इस दौरान केजरीवाल ने एक और बड़ा एलान किया कि मेरे साथ मनीष सिसोदिया ने भी फैसला लिया है कि वह भी डिप्टी सीएम और शिक्षा मंत्री का पद तभी संभालेंगे, जब जनता चुनाव में जीता कर ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे देगी। जल्द ही विधायक दल बैठक में दिल्ली के अगले मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। साथ ही, उन्होंने केंद्र सरकार से नवंबर में ही महाराष्ट्र के साथ दिल्ली विधानसभा का भी चुनाव कराने की मांग की है। इस दौरान पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, संजय सिंह, डॉ. संदीप पाठक, राघव चड्ढा, गोपाल राय, आतिशी, सौरभ भारद्वाज समेत अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद रहे
जब जनता कहेगी कि मैं ईमानदार हूं, तभी सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आज से कुछ महीने बाद दिल्ली विधानसभा का चुना है। मैं दिल्ली की जनता से अपील करना चाहता हूं कि अगर केजरीवाल ईमानदार है तो मेरे पक्ष में वोट दे देना। अगर आपको लगता है कि केजरीवाल गुनाहगार है तो मुझे वोट मत देना। दिल्ली की जनता का एक-एक वोट मेरी ईमानदारी का सर्टिफिकेट होगा। अगर आप मुझे वोट देकर जीताते हैं और कहते हैं कि केजरीवाल ईमानदार है तो चुनाव के बाद मैं सीएम की कुर्सी पर बैठूंगा। तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।
भगवान राम के वापस लौटने पर सीता मैया को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी, आज मैं जेल से आने के बाद अग्नि परीक्षा देने को तैयार हूं- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि आपको लग रहा होगा कि अभी तो मैं जेल से रिहा होकर आया हूं, फिर ऐसा क्यों बोल रहा हूं, इस्तीफा क्यों दे रहा हूं? इन्होंने मेरे उपर आरोप लगाया है कि केजरीवाल चोर है, भ्रष्टाचारी है, भारत माता के साथ धोखा किया है। मैं राजनीति में यह करने के लिए नहीं आया था। सत्ता से पैसा और पैसे से सत्ता का खेल खेलने के लिए राजनीति में नहीं आया था। मैं देश के लिए कुछ करने के लिए आया था। जब 14 साल बाद भगवान राम वापस लौटे तो सीता मैया को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी। आज मैं जेल से आया हूं और अपनी अग्नि परीक्षा देने के लिए तैयार हूं।
मेरा और मनीष सिसोदिया का फैसला अब दिल्ली की जनता के हाथ में है- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि फरवरी में चुनाव हैं। आज इस मंच मांग करता हूं कि दिल्ली का चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर में कराए जाएं। जब तक चुनाव नहीं होता है, तब तक के लिए मेरी पार्टी से कोई और मुख्यमंत्री बनेगा। अगले दो-तीन दिन के अंदर विधायक दल की बैठक होगी और उसमें नए मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जो पीड़ा मेरे मन में है, वही मनीष सिसोदिया के मन में भी है। इनके लिए भी वही सब कहा गया, जो मेरे लिए कहा गया है। मनीष सिसोदिया का भी कहना है कि वो दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री का पद तभी संभालेंगे, जब दिल्ली की जनता कहेगी कि मनीष सिसोदिया ईमानदार हैं। मेरा और मनीष सिसोदिया का फैसला दिल्ली की जनता के हाथ में है। हम दोनों जनता की अदालत में जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में मैंने कहा था कि अगर मैंने काम किया है तो मुझे वोट देना और अगर मैंने काम नहीं किया है तो वोट मत देना। आज मैं जनता से कहना चाहता हूं कि अगर मैं ईमानदार हूं तो मुझे वोट देना, अगर बेइमान हूं तो वोट मत देना।
अंग्रेजों ने भी जेल से लिखी भगत सिंह की सारी चिट्ठियां उनके साथियों तक पहुंचाई, लेकिन मेरी एक चिट्ठी एलजी साहब तक नहीं पहुंच पाई- केजरीवाल
इससे पहले, अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जेल में सोचने और पढ़ने का काफी वक्त मिला। मैंने कई राजनीतिक, स्वतंत्रता आंदोलन, गीता, रामायण और महाभारत की किताबें पढ़ीं। भगत सिंह की जेल डायरी को कई बार पढ़ा। 90-95 साल पहले जेल में भगत सिंह ने लेख लिखे थे और जेल से बाहर कई क्रांतिकारी साथियों और युवाओं को खत लिखे थे और अंग्रेजों ने उन तक पहुंचाया। भगत सिंह ने युवाओं को पत्र लिखे थे, उसे एक सम्मेलन में पढ़कर सुनाया गया। भगत सिंह की शहादत के 95 साल बाद एक क्रांतिकारी मुख्यमंत्री जेल गया। मैंने 15 अगस्त पर जेल से एक ही पत्र एलजी साहब को लिखा। देश का स्वाधीनता दिवस था। देश की आजादी के दिवस पर दिल्ली का मुख्यमंत्री दिल्ली सरकार की तरफ से झंडा फहराता है। मैंने 15 अगस्त से तीन दिन पहले एलजी साहब को पत्र लिखकर कहा कि मैं चूंकि जेल में हूं, तो मेरी जगह आतिशी को झंडा फहराने की इजाजत दी जाए। वह मेरी चिट्ठी एलजी साहब तक नहीं पहुंचाई गई। मुझे चिट्ठी वापस कर दी गई और चेतावनी जारी की गई कि अगर आपने दूसरी बार एलजी साहब को चिट्ठी लिखने की हिम्मत की तो आपकी फैमिली मुलाकात बंद कर दी जाएगी। अंग्रेजों ने भी नहीं सोचा था कि आजाद भारत के 95 साल के बाद अंग्रेजों से भी ज्यादा क्रूर और अत्याचारी शासक देश के उपर आएगा।
मैंने अपने जीवन में इज्जत और ईमानदारी के अलावा कुछ नहीं कमाया- केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह लोग हमारी ईमानदारी से डरते हैं। ये लोग बेइमान हैं, इसलिए बिजली फ्री नहीं कर सकते। कई राज्यों में इनकी 15-30 साल से सरकारें चल रही हैं, लेकिन ये स्कूल-अस्पताल ठीक नहीं कर पाए। ये अच्छा इलाज नहीं दे सके। क्योंकि ये लोग बेइमान हैं। इन्होंने ईडी-सीबीआई, दिल्ली पुलिस हमारे उपर छोड़कर ढेरों केस कर दिया। इसके बाद भी हम डट कर इनके सामने खड़े हैं और मुलाबला कर रहे हैं, क्योंकि हम ईमानदार हैं। इसलिए ये लोग मुझे बेइमान साबित करना चाहते हैं। मेरे उपर कीचड़ फेंक रहे हैं, लांछन लगा रहे हैं, सुबह-शाम मुझे गालियां देते हैं, लेकिन मेरे लिए भाजपा महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मेरे लिए देश की जनता महत्वपूर्ण है। अगर दिल्ली की जनता को लगता है कि केजरीवाल बेइमान है तो मैं एक मिनट के लिए भी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा। मैंने अपने जीवन में कुछ नहीं कमाया, मेरा और मेरी पार्टी का बैंक अकाउंट खाली है। मैंने जीवन में इज्जत और ईमानदारी के अलावा कुछ नहीं कमाया।
अगर मुझे पैसे ही कामने थे तो इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी बुरी नहीं थी- केजरीवाल
रविवार को पार्टी मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि इनकम टैक्स विभाग में कमिश्नर की नौकरी करता था। वर्ष 2000 में नौकरी छोड़ दी और 2010 तक मैंने दिल्ली की झुग्गियों में बिताएं हैं। कुछ दिनों तक नंद नगरी, सुंदर नगरी की झुग्गियों में जाकर रहा भी हूं। मैंने गली-गली में खाक छानी है कि गरीब आदमी रहता कैसे है, उसके घर का गुजारा कैसे चलता है? अगर पैसे ही कामने थे, तो इनकम टैक्स कमिश्नर की नौकरी बुरी नहीं थी। जब मैंने नौकरी छोड़ी थी, तब कोई पार्टी नहीं थी और ना तो मुख्यमंत्री बनने चला था। मेरा कोई भविष्य नहीं था, केवल मेरे अंदर देश के लिए जूनून था कि देश के लिए कुछ करना है। मैंने अपने वसूलों के लिए मात्र 49 दिन के अंदर इस्तीफा दिया था। मुझसे किसी ने इस्तीफा मांगा नहीं था। आज के जमाने में कोई अपनी चपरासी की नौकरी नहीं छोड़ता है, मैंने अपने आप मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ी थी। मुझे न पद का लालच है और न दौलत का लालच है। मुझे केवल देश के लिए कुछ करने का जूनून है।