मोदी सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन लाने से पहले झारखंड और महाराष्ट्र के साथ दिल्ली का चुनाव कराकर दिखाए- डॉ. संदीप पाठक
अगर कोई राज्य सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा किए बिना गिर जाती है तो क्या वहां भाजपा राष्ट्रपति शासन के जरिए राज करना चाहती है?- डॉ. संदीप पाठक
मोदी जी नोटबंदी, जीएसटी, किसान कानून की तरह ही वन नेशन-वन इलेक्शन का जुमला भी बिना किसी सलाह के लेकर आए हैं- डॉ. संदीप पाठक
आम आदमी पार्टी मोदी सरकार के वन नेशन-वन इलेक्शन के फैसले का सड़क से संसद तक पुरजोर विरोध करेगी- डॉ. संदीप पाठक
न्यूज़ डेक्स संवाददाता
नई दिल्ली । आम आदमी पार्टी ने केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लाए जा रहे वन नेशन-वन इलेक्शन को जुमला बताया है। ‘‘आप’’ के राष्ट्रीय महासचिव संगठन डॉ. संदीप पाठक का कहना है कि जो लोग चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करा पा रहे हैं, वो वन नेशन-वन इलेक्शन कैसे करा पाएंगे? हमारी मांग है कि केंद्र की भाजपा सरकार वन नेशन-वन इलेक्शन लाने से पहले झारखंड और महाराष्ट्र के साथ दिल्ली का चुनाव कराकर दिखाए। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर कोई राज्य सरकार पांच साल का कार्यकाल पूरा किए बिना गिर जाती है तो क्या वहां भाजपा राष्ट्रपति शासन के जरिए राज करना चाहती है? सच तो यह है कि जिस तरह मोदी जी बिना किसी सलाह के नोटबंदी, जीएसटी, किसान कानून लाए थे, उसी तरह वन नेशन-वन इलेक्शन का एक और जुमला लेकर आए हैं।
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) एवं सांसद डॉ. संदीप पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि वन नेशन-वन इलेक्शन भाजपा का एक और नया जुमला है। थोड़े दिन पहले चार राज्यों के चुनाव की घोषणा की जानी थी, लेकिन इन चार में से इन्होंने केवल हरियाणा और जम्मू-कश्मीर का चुनाव कराया और झारखंड और महाराष्ट्र को छोड़ दिया। अगर भाजपा चार राज्यों में एक साथ चुनाव नहीं करा पा रही है, तो वह वन नेशन-वन इलेक्शन के तहत पूरे देश में एक साथ चुनाव कैसे कराएगी? हम मांग कर रहे हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड के साथ दिल्ली का चुनाव भी करा दो, लेकिन वे इसमें भी सहमत नहीं हैं। जब ये लोग एक साथ तीन या चार राज्यों में चुनाव कराने में असमर्थ हैं, तो यह कैसे संभव है कि एक साथ पूरे देश में चुनाव करवा सकेंगे? यह सिर्फ एक जुमला है।
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि एक बहुत बड़ा सवाल यह है कि अगर कोई सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किए बिना बीच में गिर जाए, तो क्या बाकी के कार्यकाल के लिए वहां राष्ट्रपति शासन लागू होगा? क्या भाजपा यह सोच रही है कि वह एलजी के माध्यम से वहां अपनी मनमर्जी चलाएगी? भाजपा पहले से ही राज्यपाल या उपराज्यपाल के माध्यम से कई राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है। क्या देश के राज्यों को एक-एक करके अस्थिर करने के लिए यह भाजपा की चाल है?
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि मेरा मानना है कि यह भाजपा का वैसा ही जुमला है, जैसा उसने किसानों के लिए कानून बिना उनकी रायशुमारी किए लाया था, बिना विशेषज्ञों की राय के नोटबंदी लागू की थी और कोरोना में लोगों के थाली बजवाए थे। इसी तरह यह भी भाजपा का एक नया जुमला है। इसका कुछ नहीं होने वाला।
डॉ. संदीप पाठक ने कहा कि भाजपा को केवल जुमलेबाजी करनी है। इसका वास्तविकता से कोई लेना-देना नहीं है। देश में जब भी ऐसी बातें होती हैं, तो उन पर बड़े स्तर पर विचार-विमर्श होना चाहिए। इस देश में 6 मुख्य राजनैतिक दल हैं, करीब 57 राज्य स्तर की पार्टियां हैं और करीब 3 हजार छोटे राजनैतिक दल हैं। अगर इनमें सबकी भागीदारी नहीं होगी, तो यह लोकतंत्र कैसे चलेगा? ज्यादातर दलों से इस पर कोई सुझाव नहीं लिया गया है। अगर लिया भी गया है, तो यह वैसे ही है जैसे नोटबंदी और किसानों के लिए कानून पर सुझाव लिया गया था। इसका भी वही हश्र होगा जैसा नोटबंदी और किसानों के काले कानून का हुआ है। यह केवल एक जुमला है, इसमें कोई गंभीरता नहीं है। स्वाभाविक रूप से आम आदमी पार्टी इसका विरोध करेगी। सरकार को हमारे सवालों के जवाब लेकर सामने आना चाहिए। हर रचनात्मक चीज के लिए हम तैयार हैं, लेकिन हमें नहीं लगता कि भाजपा की सरकार इसे लेकर गंभीर है। यह केवल उसका जुमला है।