न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,8 जनवरी। कुरूक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केन्द्र में आज भारतीय प्रौद्योगिकी विरासत विषय पर एक लोकप्रिय विज्ञान प्राख्यान का आयोजन किया गया। यह व्याख्यान डीएवी महाविद्यालय अम्बाला शहर तथा गवर्नमेन्ट डिग्री कालेज, जहीराबाद, तेलंगाना के संयुक्त तत्वाधान मे आयोजित किया गया था। कुरूक्षेत्र पैनोरमा एवं विज्ञान केन्द्र की तरफ से जितेन्द्र कुमार दास, शिक्षा अधिकारी ने भारतीय प्रौद्योगिकी विरासत विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया । इस व्याख्यान मे डी ए वी महाविद्यालय अम्बाला के 100 से अधिक विद्यार्थियों एव अघ्यापको ने भाग लिया। इस व्याख्यान मे जितेन्द्र कुमार दास, ने 7000 वर्ष पुरानी भारतीय विज्ञान एव प्रौद्योगिकी की चर्चा की । उन्होने बताया कि प्राचीन काल में भारत न केवल कला के क्षेत्र मे समृ़द्ध था, अपितु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षे़त्र में भी समृ़द्ध था । श्री दास ने बताया कि भारत ने विश्व को पाई का मान, शून्य की खोज, दंशलव घात प्रणाली जैसी न जाने कितनी ही खोजें विश्व को दी। उन्होनें बताया कि हड़प्पा काल से ही भारत वास्तु कला मे प्रबुद्ध था । इसके अतिरिक्त भारत में आधारभूत रस शाला, जस्ता गलानें की तकनीक, लोह निर्माण, कपास चरखा, पीथ निर्माण, बीदरी कला तथा प्राचीन कांच निर्माण की विधि भी विश्व के सम्मुख प्रस्तुत की। डी ए वी महाविद्यालय, अम्बाला की तरफ से प्राचार्य प्रोफेसर सलिल दोसाज, डा॰ गरिमा सुमरान तथा डा॰ आयशा बेगम उपस्थित थे।