न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली,8 जनवरी।विज्ञान भवन में आज केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों और किसान संगठनों के बीच हुई आठवें चरण की वार्ता भी बेनतीजा रही। अब अगले चरण की वार्ता 15 जनवरी को होगी। किसान आंदोलन लगातार जोर पकड़ रहा है। हरियाणा सहित भाषा शासित प्रदेशों में भाजपा नेताओं का विरोध हो रहा है। सरकार किसी तरह भी किसानों को तीनों कृषि कानून उनके लाभ है,ये समझाने में अभी तक असफल साबित हुई है। शुक्रवार को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने विज्ञान भवन, नई दिल्ली में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से अगले दौर की वार्ता कीI उन्होंने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का स्वागत किया और कृषि सुधार के नये कानूनों में संशोधन करने हेतु बिन्दुवार चर्चा करने का अनुरोध किया।
कृषि मंत्री ने कहा कि कृषि सुधार कानूनों को देशव्यापी समग्रता की दृष्टि से एवं देश के किसानों के व्यापक हितों को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। सरकार को किसानों की पूरी चिंता है तथा सरकार चाहती है कि आंदोलन जल्द से जल्द समाप्त हो, परन्तु सरकार के सुझाव के अनुसार विकल्पों पर अभी तक प्रावधानिक चर्चा न होने के कारण उचित निर्णय तथा समाधान नहीं हो पाया है।
किसानों द्वारा अब तक आंदोलन को अनुशासित रखने पर कृषि मंत्री जी ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की प्रशंसा की। कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार किसान प्रतिनिधियों के साथ खुले मन से चर्चा करके समाधान करने का हरसंभव प्रयास कर रही है। यदि विकल्पों के आधार पर चर्चा होगी तो सरकार तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
सरकार द्वारा तीनों कृषि सुधार कानूनों पर बिन्दुवार चर्चा करने का अनुरोध किया गया, जिस पर किसान संगठनों ने अपनी असहमति जताई और कानून को रिपील करने की मांग की। इस पर कृषि मंत्री जी ने पुन: अनुरोध किया कि संबंधित प्रावधान या बिन्दु, जिन पर किसान संगठन असहमत हों या उन्हें कोई आपत्ति हो तो उसे सरकार के संज्ञान में लाया जा सकता है, तब उन पर यथोचित विचार करके संशोधन किया जा सकता है। लगातार लंबी चर्चा करने के बावजूद आज कोई विकल्प नहीं निकल पाया तत्पश्चात सरकार व किसान संगठनों ने 15 जनवरी, 2021 को दोपहर 12 बजे अगली बैठक में आगे की चर्चा करने पर अपनी सहमति प्रदान की। अगली बैठक के पूर्व कृषि सुधार कानूनों से संबंधित मुद्दों पर विकल्पों की दृष्टि से विचार-विमर्श किया जाएगा। किसान संगठनों के तेवर यह स्पष्ट कर रहे हैं कि वे तीनों कृषि कानूनों को रद कराए बिना धरने से उठने वाले नहीं है।