Tuesday, December 3, 2024
Home haryana 450 वर्षों से बघेल राजघराने पर है भगवान श्रीराम का आशीर्वाद,उसी से बढ़ता रहा साम्राज्य,यश कीर्तिःमहाराजा पुष्पराज सिंह

450 वर्षों से बघेल राजघराने पर है भगवान श्रीराम का आशीर्वाद,उसी से बढ़ता रहा साम्राज्य,यश कीर्तिःमहाराजा पुष्पराज सिंह

by Newz Dex
0 comment

महाराजधिराज के चरणों में आसन लगाकर बघेल राजवंश के सभी महाराजाओं ने उनके आदेश पर ही किया कार्य

450 साल की परंपरा,36 वीं पीढ़ी और 200 वर्ष पुराने रथ पर विराजमान राजाधिराज

दिव्य,आलौकिक और अविस्मरणीय होता है रीवा रियासत में हर साल मनाये जाने वाला विजयदशमी पर्व

आभारः एबीपी न्यूज,ट्रू मीडिया,विमर्श और धार्मिक दर्पण पर प्रसारित वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य का लेख

एनडी हिंदुस्तान संवाददाता

चंडीगढ़।450 साल की परंपरा,200 वर्ष से पुराना रथ और इस पर विराजमान राजाधिराज भगवान श्रीराम,माता जानकी और लक्ष्मण जी से जब नजर हटती है इसके पीछे चल रहे प्राचीन रथ पर नजर टिकती है। इस रथ पर विराजमान होते हैं बघेल राजवंश के महाराजा,युवराज और परिवार के अन्य सदस्य। इन अद्भुत दृश्यों को देखने का अवसर साल में एक बार मिलता है और वह दिन है पावन पर्व विजय दशमी के दिन रीवा रियासत का उत्सव । एक दौर में रीवा साम्राज्य के शक्ति का केंद्र रहे रीवा फोर्ट में आप आज भी हर साल विजय दशमी के दिन राजसी परिवार के पुराने ठाठ बाठ अंदाज के साथ सदियों पुरानी परंपराओं को काफी करीब से निहार सकते है। हां अगर आपको महाराज जी का अतिथि बनने का सौभाग्य प्राप्त हो जाए, फिर तो क्या कहने….।

जी 20 में रीवा रियासत के मोटे व्यंजन और लाजवाब इंदहारी कढ़ी
मुझे यहां विशेष अतिथि के रुप में यहां महाराज द्वारा आमंत्रित किया गया था। दशहरे के दिन सर्वप्रथम महाराज के साथ स्फटिक शिवलिंग के दर्शन,पूजा अर्चना और राजाधिराज के मंदिर में पूजा करने का अवसर मिला। तत्पश्चात् महाराजा पुष्पराज सिंह और उनके युवराज के साथ ब्रेक फास्ट,लंच और डिनर में वे व्यंजन भी चखे, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत में जी 20 में शामिल हुए प्रतिनिधियों और अन्य अतिथियों के लिए परोसने के साथ स्वास्थ्य वर्धक मोटे अनाज का प्रमोशन किया था।इनमें से मोटे अनाज के कई व्यंजन रीवा रिसायत के इस राजसी परिवार की देन हैं।इनमें कई दालों का इस्तेमाल कर तैयार की जाने वाली इंदहारी कड़ी और अन्य व्यंजन शामिल थे।

450 साल में 36 वीं पीढ़ी तक कोई क्यों नहीं बैठा सिंहासन पर ये कौतूहल का विषय
दुनिया जानती है कि भारतीय राजा महाराजाओं के शाही ठाट-बाट,सिंहासन के वैभव से जुड़े अनगिनत किस्से कहानियां है। इनमें ऐतिहासिक दस्तावेजों में राजगद्दी को लेकर असंख्य प्रसंग मिलते है।मगर भारत में करीब 450 साल से एक राजगद्दी ऐसी भी है,जिसकी परंपरा निराली है। और यह राजगद्दी है रीवा के महाराजाओं की,इस राज परिवार की 36 पीढ़ियों से कोई भी महाराज राजगद्दी पर विराजमान नहीं हुआ। लाजिमी तौर पर यह जिज्ञासा होती है कि फिर इस गद्दी पर कौन बैठता है और महाराज कहां विराजमान होते हैं। तो बता दें कि राजगद्दी पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम विराजमान होते हैं और राजगद्दी के चरणों में एक ओर रीवा रियासत के महाराज नीचे विराजमान होते हैं।

स्वतंत्रता के बाद राजशाही समाप्त मगर यहां आज भी…

बघेल राजघराने के 450 वर्षों के वैभवशाली इतिहास में महाराजाओं ने राजाधिराज भगवान को राजगद्दी में विराजमान कर इस परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी निभाया और खुद नीचे आसन लगाकर इस गद्दी को शक्ति का केंद्र बनाए रखा। आजादी के बाद राजशाही भले समाप्त हो चुकी है,मगर रीवा रियासत के महाराज इस परंपरा को उसी अंदाज में निभाते हैं जैसे राजशाही के दौर में निभाया जाता है। रीवा के किले में महाराज का महल है और यहीं पर उनके महाराजा पुष्पराज सिंह और उनके सुपुत्र दिव्य राज सिंह परिवार सहित रहते हैं। इस परिवार द्वारा आज भी राजाधिराज की राजगद्दी की विधिवत पूजा होती है और दशहरा जैसे विशेष अवसरों पर यहां विशेष पूजा और उत्सव की परंपरा निभाई जाती है।इस बार भी विजयदशमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा अर्चना हुई,कार्यक्रम और शोभायात्रा में राजाधिराज की शाही सवारी ने पूरे नगर का भ्रमण कर रीवा वासियों को आशीर्वाद दिया।  

दर्शन के लिए महाराजा उड़ाते हैं नीलकंठ पक्षी
रीवा रियासत के महाराज मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे पुष्पराज सिंह एवं तीन बार के विधायक उनके सुपुत्र दिव्यराज सिंह पूजा के उपरांत उत्सव और शोभायात्रा में परिवार सहित भाग लिया।  इस अवसर पर महाराजा द्वारा नीलकंठ आकाश में छोड़ा।महाराजा पुष्पराज सिंह ने पावन अवसर पर देश वासियों को बधाई देते हुए बताया कि सनातन धर्म में मान्यता है कि विजयदशमी के पर्व पर नीलकंठ के दर्शन शुभ होते है। इसी उद्देश्य से नीलकंठ पक्षी को उड़ाने परंपरा सदियों से यहां निभाई जाती है।

जहां 750 साल पहले बघेल वंश की स्थापना हुई,वो क्षेत्र भगवान श्रीराम ने लक्ष्यण जी को सौंपा था
बघेल राजवंश के भी अनगिनत किस्से कहानियां हैं। महाराजा पुष्पाराज सिंह ने हमें बताया कि बघेल राजवंश की जहां स्थापना हुई थी,उस बांधव गढ़ का स्वर्णिम अतीत मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से भी जुड़ता है।महाराजा पुष्पराज सिंह के अनुसार यह पूरा क्षेत्र भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण का है, क्योंकि भगवान राम ने अयोध्या में राजपाट संभालने के बाद यमुना नदी के पार वाला क्षेत्र अपने भ्राता लक्ष्मण को सौंपा था और इसी क्षेत्र में साढ़े 700 वर्ष पहले बघेल वंश की स्थापना हुई।

चालुक्यों से सीधा नाता रहा है बघेल राजवंश का,गुजरात के पाटन से आये थे मध्यप्रदेश
महाराजा पुष्पराज  सिंह के अनुसार बघेल राजवंश की श्रृंखला सदियों पुरानी है। इस राजवंश का सीधा नाता  दक्षिण भारत के चालुक्यों से भी जुड़ा है। 12वीं सदी के आसपास यह राजवंश गुजरात के पाटन क्षेत्र से मध्यप्रदेश आया था। तब यह राजवंश सतना कलिंजर के पास गहोरा आया था,जहां यह राजवंश काफी समय तक प्रभावी रहा और उसके बाद यह राजवंश मध्यप्रदेश के बांधवगढ़ पहुंचा था, तब यहां कलचुरी राजवंश की सत्ता थी। कलचुरी राजवंश के साथ कुछ युद्ध भी हुए और बाद में इनके साथ अच्छे संबंध भी कायम हुए,इन्हीं संबंधों के बीच दोनों राजवंश का रोटी बेटी का रिश्ता भी बना।कलचुरी राजवंश ने अपनी बेटी का विवाह तत्कालीन बघेल राजवंश के राजा के साथ किया था और दहेज में बांधवगढ़ सौंपा था। महाराजा पुष्पराज सिंह मानते हैं कि करीब करीब साढ़े 700 वर्ष पहले बघेल वंश की स्थापना विंध्य के बांधवगढ़ में ही हुई थी। बताया जाता है कि बघेल राजवंश के पित्रपुरुष व्याघ्रदेव उर्फ बाघ देव महाराज गुजरात से विंध्य के बांधवगढ़ में आए थे।

1618 में बांधवगढ़ से शिफ्ट कर रीवा में बनी थी नई राजधानी
महाराजा पुष्पराज सिंह बताते हैं कि बघेल राजवंश के महाराजा विक्रमादित्य सिंह जू देव ने 1618 ईस्वी में बांधवगढ़ से अपनी राजधानी शिफ्ट की थी। उन्होंने तब अपनी नई राजधानी रीवा को बनाकर राजपाट संभाला,मगर उन्होंने राज सिंहासन पर स्वयं नहीं बैठ कर भगवान श्रीराम सीता और लक्ष्मण को राजाधिराज के रूप में स्थापित करने की परंपरा शुरु की और महाराजा होते हुए भी सेवक के रुप में प्रशासक का कार्यभार संभाला और तभी से यह परंपरा चली आ रही है 36 वीं पीढ़ी तक इस राजवंश का कोई महाराज सिंहासन पर विराजमान न होकर अधिराज के चरणों में आसन लगाकर बैठता है। 

उत्सव के दौरान आप उसी दौर में पहुंच जाते हो,जो कभी आपने फिल्म,किस्से कहानियों में सुना होता है
इस बार विजय दशमी पर मुझे भी यहां विशेष अतिथि के रुप में आमंत्रित किया था। इस उद्भुत उत्सव का हिस्सा बनने के साथ आंखों के सामने जो दृश्य थे वे यकायक राजा महाराजाओं के उस दौर में लेकर खड़ा कर रहे थे। वही शानोशौकत जो किस्से कहानियों में सुनी जाती है या फिल्म या टेलीविजन के अलावा पुरानी वीडियो रील में दिखती है। राजसी ठाठ बाठ के साथ आज भी यहां की जनता महाराजा को अन्नदाता कहती है और यह कोई आर्थिक रुप से कमजोर लोग नहीं,बल्कि रीवा रियासत के अनेक आम और खास लोगों के मुंह से सुने।राजशाही परिवार के साथ इनका आज भी काफी जुड़ाव है। किला परिसर में दशहरे पर सुबह से लेकर सायंकालीन विशेष आयोजन तक जमावड़ा दिखता है।किला परिसर स्थित दरबार हाल में राजाधिराज की गद्दी का पूजन वैदिक मंत्रोच्चारण से राज पुरोहितों द्वारा किया गया।

परंपरा, उत्सव और एकता का संगम है रीवा विजयदशमी उत्सव
इस अवसर पर महराजा पुष्पराज सिंह और उनके युवराज दिव्यराज सिंह एवं परिवार के लोगों ने पूजा अर्चना की और इसके बाद प्रांगण में सजे आयोजन स्थल पर सुसज्जित मंच पर पहुंचे,जहां महाराजा और युवराज ने दो नीलकंठ पक्षियों को दर्शनार्थ आकाश में उडा़या। इसी के साथ महाराजा मार्तंड सिंह जू देव चेरिटेबल ट्रस्ट द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय कार्य कर रही विभूतियों में डा. विष्णु श्रीधर वाकणकर राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भारत सरकार के अधीक्षण पुरातत्वविद‌ डा.शिवाकांत बाजपेयी,डा,मासूमा रिजवी,संजीव आचार्य,48 कोस तीर्थ मानिटरिंग कमेटी के चेयरमैन मदन मोहन छाबड़ा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल करने वाली युवा खिलाड़ी को सम्मानित किया गया महाराजा एवं पूर्व मंत्री पुष्पराज सिंह के संबोधन के बाद 200 साल भी पुराने रथ में विराजमान होकर राजाधिराज भगवान श्रीराम,सीता माता और लक्ष्मण जी विराजमान होते हैं और इसके पीछे रथ पर महाराजा पुष्पराज सिंह और उनके युवराज के अलावा बघेल राज वंश के सदस्य विराजमान होकर भव्य शोभायात्रा के बीच पूरे नगर का भ्रमण करते है।यह शोभायात्रा दशहरा मैदान एनसीसी ग्राउंड में विश्राम करती है,जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों के उपरांत रावण दहन की परंपरा है।

You may also like

Leave a Comment

NewZdex is an online platform to read new , National and international news will be avavible at news portal

Edtior's Picks

Latest Articles

Are you sure want to unlock this post?
Unlock left : 0
Are you sure want to cancel subscription?
-
00:00
00:00
Update Required Flash plugin
-
00:00
00:00