तेरी राणी फूल कंवार के जनमेगा एक लाल’ .
एनडी हिन्दुस्तान
कुरुक्षेत्र। सांस्कृतिक महोत्सव रत्नावली के दूसरे दिन खुला मंच पर सांग ने हरियाणा के बुजुर्गों और नौजवानों को ताल पर झूमने को मजबूर कर दिया। सांग प्रतियोगिता की शुरुआत निर्णायक मंडल में सम्मिलित और राष्ट्रपति अवार्डी प्रेम सिंह देहाती (सांगी) ने मशहूर सांग ‘बादल उठया रे सखी’ पर तान उठाकर कमाल की प्रस्तुति दी। राष्ट्रपति अवार्डी प्रेम सिंह देहाती (सांगी) प्रेम सिंह की प्रस्तुति से दर्शकों ने खूब सराही। इस अवसर पर प्रेम सिंह देहाती ने बताया कि “हरियाणवी सांग को बचाकर रखने वाली एकमात्र रत्नावली ऐसा मंच है जो आज तक अपने प्रयासों पर अटल है। सांग हरियाणवी संस्कृति की ऐसी कला है जो महत्वपूर्ण होते हुए भी हरियाणा की भूमि से विलुप्त होती जा रही है”। सांग में दूसरे जज रामपाल बलहरा, हरियाणवी फिल्म निर्देशक मौजूद रहे।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कैंपस की टीम ने सांग प्रतियोगिता में नारी शक्ति को धार्मिक शैली में प्रस्तुत करते हुए सत्यवान सावित्री की कथा सुनाई। अपने सांग के माध्यम से उन्होंने बताया कि किस प्रकार एक नारी सैकड़ो दुख झेलकर अपने ससुराल में आती है और समय आने पर यमराज से अपने पति के प्राण भी वापिस छीन लेती है। यह कहानी सावित्री और सत्यवान की कथा महाभारत के वनपर्व में मिलती है जिसमें युधिष्ठिर मार्कण्डेय ऋषि से पूछते है कि “क्या द्रोपदी के समान पतिव्रता नारी कोई हुई है? ”तब मार्कंडेय ऋषि युधिष्ठिर को यह कथा सुनाते है। प्राचीन समय की बात है, दक्षिण में अश्वपति नाम का एक राजा राज्य करता था। राजा अश्वपति बहुत ही वीर, प्रतापी, धर्मात्मा और प्रजापालक था लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। ज्योतिषियों का कहना था कि उनके भाग्य में संतान का कोई योग नहीं है। लेकिन साथ ही उपचार भी बताया कि यदि वह देवी सावित्री की पूजा करे तो उनकी कृपा से उन्हें संतान की प्राप्ति हो सकती है। इस अवसर पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय व आर्य पी.जी. पानीपत ने सैकड़ो दर्शकों की भीड़ के सामने सांग प्रदर्शित किया।
इस अवसर पर आर्य पी.जी. कॉलेज पानीपत के प्रतिभागियो ने अपने सांग शीर्षक ‘संतान प्राप्ति’-देवदत्त पर अपनी प्रस्तुती दी। सांग प्रतिभा ने अपनी उम्दा आवाज के साथ दर्शकों को सुनाया ‘तेरी राणी फूल कंवार के जनमेगा एक लाल’ और वही ‘कंवर के माथे मैं चिन्ह हो महराज’ पर अपनी प्रस्तुति दी।