छोटी दीपावली को मेलुकोटे में जिंदा चला दिए गए थे 800 अयंगर ब्राह्मण
साभारःएबीपी न्यूज पर प्रसारित वरिष्ठ पत्रकार राजेश शांडिल्य का लेख
एनडी हिंदुस्तान
चंडीगढ़।राष्ट्र,धर्म,तुष्टिकरण,हिंदू मुस्लिम,ओबीसी और इतिहास के पन्नों में दर्ज वीर सावरकर और टीपू सुल्तान जैसे चुनिंदा शब्दों और नामों का सियासीकरण हो चुका है।भारत में साल भर कहीं ना कहीं चुनावी प्रक्रिया जारी रहती हैं। और चुनाव के वक्त इनका अपने अपने तरीके से इस्तेमाल सियासी लोग करते है। यह वो धारणा है,जो आम आदमी की बन चुकी है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात कहने का अधिकार है और वह अपनी समझ और क्षमता से इन्हें रखता है।जाहिर है पत्र पत्रिकाओं,अखबार,रेडियो,टीवी और इलेक्ट्रानिक मीडिया और वर्तमान में सोशल मीडिया के विस्तार और प्रभाव से पहले यह सब कुछ सीमित रहा होगा,मगर इंटरनेट के दौर में सब कुछ मुखरता से सामने होता है। इसमें कुछ सत्य और काफी कुछ सत्य के बीच में लपेट कर मिथ्या।
दीवाली के दौरान एसएम पर ट्रेडिंग में था मेलुकोटे
एक दिन पहले तक वातावरण में दीपावली पर्व और भैया दूज की धूम और उत्साह का वातावरण था।पंच कल्याण पंच दिवसीय महोत्सव, धनतेरस,रुप चतुर्दशी (नरक चतुर्दशी),दीपावली,गोवर्धन और भैया दूज जैसे पावन और उल्लास के पर्व के बीच अचानक सोशल मीडिया में ट्रेंड कर रहा था एक गांव जहां दीपावली नहीं मनाई जाती।इस काली दीवाली की वजह था टीपू सुल्तान का मेलुकोटे नरसंहार।
नरक चतुर्दशी को कराया गया था था नरसंहार
इस नरसंहार को नरक चतुर्दशी यानी छोटी दीवाली के दिन अंजाम दिया गया था और 800 अयंगर ब्राह्मणों को जिंदा जलाकर और पेड़ पर लटकाकर फांसी देकर मौत के घाट उतारा गया था। इनके वंशज आज भी मेलुकोटे टाउन में रहते हैं और इस घटना के बाद पिछले 200 वर्षों में यहां दीवाली नहीं श्राद्ध मनाने के साथ विधर्मी टीपू सुल्तान के भीषण अत्याचार के विरोध में संताप देने की परंपरा है।
रहती दुनिया तक टीपू सुल्तान का पीछा नहीं छोड़ेगा ये कटु सत्य
भारत के कई इतिहासकार,साहित्यकार और फिल्ममेकर टीपू को भारत के पराक्रमी योद्धा के रुप में प्रस्तुत करते हैं,जबकि सत्ता पर काबिज रहने और मुस्लिम धर्म का विस्तार करने का जुनून दबे मुर्दों की शक्ल में सामने खड़ा नजर आता है।संभवतः दुनिया रहने तक टीपू सुल्तान जैसे निरंकुश और अत्याचारी शासकों के जुल्मों की दास्तान बुरे संस्मरणों के रुप में पब्लिक डोमिन में रहेगी। फिर चाहे कोई इस तरह के शासकों को महान,पराक्रमी और वीर योद्धा साबित करने के कितने ही प्रयास करता रहे,लेकिन ये कटु सत्य इनका पीछा नहीं छोड़ेगा।
अनिल कपूर को तब मेलुकोटे में पत्रकारों को चाय पानी परोसने का मिला था काम
कलयुग की महाभारत के थीम पर बनी हम पांच फिल्म का निर्माण मेलुकोटे में जरूर हुआ,मगर सही मायने में अनिल कपूर के करियर निर्माण की नींव मेलुकोटे में पड़ी थी। वो भी तब हम पांच की कास्टिंग में अनिल कपूर नहीं थे,क्योंकि उनके बड़े भाई ने मेलुकोटे के गांव में बनाई गई इस फिल्म में तीन काम सौंपे थे,एक फिल्म की मेन कास्ट का ध्यान रखने का,दूसरा शूटिंग के दौरान कोई बाधा न हो इसकी और तीसरा फिल्म की पब्लिसिटी के लिए बुलाए गए पत्रकारों को चाय पानी परोसने का।
अनिल कपूर की मेहनत देख मेलुकोटे में रखी गई भविष्य के सुपर स्टार की नींव
बताते हैं कि अनिल कपूर ने यह तीनों काम काफी मेहनत से किये उनके भीतर छुपे फुल पैकेज हीरो को दक्षिण के सुविख्यात निर्देशक बापू ने पहचान लिया था। मेलुकोटे की इसी घटना के बाद बापू ने अनिल कपूर को अपनी फिल्म वो सात दिन के लिए साइन किया और इसके बाद उनकी गाड़ी चल निकली। सुपरहिट हुई इस लव स्टोरी मूवी के हीरो प्रेम प्रताप पटियाला वाले यानी अनिल कपूर के डायलॉग आज भी कई बार दोहराए जाते हैं।