पहले दिन रुतुजा लाड और अतुल खांडेकर ने अपने शास्त्रीय संगीत गायन से श्रोताओं को किया मंत्रमुग्ध
सम्मेलन के दूसरे दिन मल्लिक बंधुओं और प्रथम महिला प्रसिद्ध इंडियन क्लासिकल स्लाइड गिटार संगीतकार विदुषी डाॅ कमला शंकर प्रस्तुति देंगे
एनडी हिन्दुस्तान
चंडीगढ़ । इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा सेक्टर 26 स्थित स्ट्रोबरी फील्डस हाई स्कूल के सभागार में तीन दिवसीय 46वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के पहले दिन रुतुजा लाड और अतुल खांडेकर ने अपने शास्त्रीय संगीत गायन की कर्णप्रिय लहरियों से श्रोताओं का समां बांधा और खूब प्रशंसा बटोरी।
कलाकारों की प्रस्तुति से पूर्व ट्रिब्यून स्कूल, सेक्टर 29 के विद्यार्थियों ने स्कूल के संगीत अध्यापक अतुल दुबे के नेतृत्व में अत्यंत भावपूर्ण सरस्वती वंदना श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। कार्यक्रम से पूर्व इंडियन नेशनल थिएटर के प्रेसिडेंट अनिल नेहरू ने सभी संगीत श्रोताओं का स्वागत किया।
इस संगीत सम्मेलन में सबसे पहले शास्त्रीय संगीत गायिका रुतुजा लाड ने अपने गायन की प्रस्तुति दी। उन्होंने अपने गायन की शुरुआत राग श्री से की, जिसमें विलंबित ख्याल तीन ताल में निबद्ध ‘कहा मैं गुरु ढूढ़न जाऊं’। जिसके पश्चात अद्धा तीन ताल में निबद्ध ‘गुरु बिन कौन बतावे बात’ श्रोताओं के समक्ष बखूबी प्रस्तुत किया। इसके उपरांत इन्होंने इस राग का समापन आड़ा चौटाल में निबद्ध एक तराना से बखूबी किया।रुतुजा लाड ने अपनी अगली प्रस्तुति राग तिलक कमोद में थी, जिसमें उन्होंने तीन ताल में निबद्ध सुर संगत मध्यलय रूपक में निबद्ध ‘कोयलिया बोले अम्बवा’ प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने गायन का समापन एक दादरा ‘जिया में लागी आन बान’ से कर श्रोताओं से खूब प्रशंसा बटोरी।
वहीं शास्त्रीय संगीत गायक अतुल खांडेकर ने अपने गायन की शुरुआत राग वाचस्पति से की, जिसमें उन्होंने तीन ताल में निबद्ध विलंबित बंदिश – ‘साचो तेरो नाम’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। इसके बाद, उन्होंने अपने गायन को आगे बढ़ाते हुए मध्यलय बंदिश ‘चतुर सुघर बलमा’ प्रस्तुत किया। तत्पश्चात द्रुत तीन ताल में निबद्ध तराना, जिसे लयबद्ध विदुषी डॉ. वीना सहस्त्रबुद्धे ने किया था, सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इसके बाद, उन्होंने पंडित काशीनाथ बोडस द्वारा रचित राग जोगकोंस में लयबद्ध मध्यलय में एक तराना प्रस्तुत किया। इसके पश्चात्, उन्होंने एक द्रुत बंदिश – ‘पीर पराई जाने ना दू बलमवा’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी। अंत में, उन्होंने अपने गायन का समापन मीरा बाई के एक सुंदर भजन के साथ किया।”
कलाकारों के साथ तबले पर विनोद लेले तथा हारमोनियम पर परोमिता मुखर्जी ने बखूबी संगत की।यह सम्मेलन सभी संगीत प्रेमियों के लिये आयोजित किया जा रहा है जिसमें निःशुल्क प्रवेश है।
रुतुजा लाड को उनके माता-पिता तनुजा लाड और उमेश लाड ने 5 साल की उम्र से ही संगीत की शिक्षा लेने की प्रेरणा दी। उन्होंने दादर माटुंगा कल्चरल सेंटर, भवन्स कल्चरल सेंटर, हृदयेश आर्ट्स, आईएनटी आदित्य बिड़ला सेंटर ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स, सबर्बन म्यूजिक सर्कल, गानयोगिनी महोत्सव आदि द्वारा आयोजित प्रतिष्ठित कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया है। वह वर्तमान में एस.एन.डी.टी. विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर संगीत विभाग की विजिटिंग फैकल्टी सदस्य हैं। वहीं अतुल खांडेकर ने विश्व प्रसिद्ध ग्वालियर घराने की गायिका डाॅ वीना सहस्त्रबुद्धे के मार्गदर्शन में संगीत की तालीम ली, जिन्होंने गायकी, लयकारी, मींड, तान क्रिया आदि के विभिन्न पहलुओं की शिक्षा दी। खांडेकर ने सुप्रसिद्ध रंगमंच अभिनेत्रियों गायिकाओं जिनमें स्वर्गीय जयमालाबाई शिलेदार और कीर्ति शिलेदार से नाट्यसंगीत का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।