वर्तमान में समय की मांग, स्मार्ट फॉमिंग साल्यूशन पर सभी वैज्ञानिक मिलकर करें काम: डॉ. सुरेश मल्होत्रा
फूलों की खेती बागवानी का महत्वपूर्ण अंग हैं, जो प्रकृति के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ: डॉ धीर सिंह
एनडी हिन्दुस्तान
करनाल । महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय में बागवानी के लिए स्मार्ट खेती समाधान पर सजावटी बागवानी विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का विधिवत समापन हुआ, समापन समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर एनडीआरआई के निदेशक, कुलपति डा धीर सिंह ने शिरकत की। सम्मेलन में पहुंचने पर कार्यक्रम के चेयरमैन ओर एमएचयू के कुलपति माननीय डॉ सुरेश मल्होत्रा ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। मंच संचालन भारतीय अलकृंत बागवानी सोसायटी के सचिव डॉ एसएस सिधु ने किया।
एनडीआरआई निदेशक डॉ धीर सिंह ने देशभर से आए वैज्ञानिकों ओर उद्यमियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि फूलों की खेती बागवानी का महत्वपूर्ण अंग हैं, जो प्रकृति के साथ सीधे तौर पर जुड़ा हुआ हैं। एमएचयू कुलपति डॉ सुरेश मल्होत्रा द्वारा फूलों की खेती को बढ़ावा देने ओर इस खेती की ओर किसानों का रूझान बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन करना बहुत सराहनीय है। ये कार्यक्रम आने वाले दिनों में किसानों के खेती के तरीकों में बदलाव लाने में काफी हद तक सहायक बनेगा। उन्होंने कहा कि फूलों की खेती बढ़ेंगी, जिससे पर्यावरण को सुधारने में मदद मिलेंगी। फूलों से बनाए गए उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक होते है, इसके साथ ही फूलों की खेती से निकले फसल अवशेष भी प्रकृति के लिए लाभदायक होते हैं, क्योंकि ये खुद प्रकृति से जुड़े हुए है।
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुरेश मल्होत्रा ने बताया कि एग्रीकल्चर ओर डेयरी सेक्टर एक दूसरे से जुड़ा हुआ है। समय की मांग है कि स्मार्ट फॉर्मिंग साल्यूशन पर सभी वैज्ञानिक मिलकर काम करें। बेहतर पर्यावरण ओर लोगों के स्वास्थ्य ओर किसानों की आय बढ़ाने के लिए फूलों की खेती का महत्वपूर्ण योगदान हैं। उन्होंने कहा कि दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन में सभी सत्रों में महत्वपूर्ण चर्चा हुई। उन्होंने मुख्य अतिथि एनडीआरआई निदेशक डॉ धीर सिंह द्वारा डेयरी ओर फ्लोरिकल्चर के विषय में दी गई जानकारी को सभी के लिए महत्पवूर्ण बताया। माननीय कुलपति ने सम्मेलन को सफल बनाने के लिए एमएचयू की पूरी टीम की सराहना की। विभिन्न सत्रों में विद्यार्थियों ओर उद्यमियों ने मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथि ओर एमएचयू कुलपति से फूलों के संबंध में कई प्रश्न पूछे, जिनके बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके अलावा एक पूरा सत्र ऐसे किसानों के लिए रखा गया, जो पिछले काफी वर्षों से फूलों की खेती कर रहे है, उन्होंने अपने सुझावों को सांझा किया।
सम्मेलन में अपने-अपने अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले वरिष्ट वैज्ञानिकों को लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार देकर नवाजा गया। इसी तरह लोटस ओर पुरस्कार 6 वैज्ञानिकों को दिया गया। इंड्रस्ट्रीज कैटेगरी में 6 उद्यमियों को रोज पुरस्कार दिया गया। फैलोशिप सोसायटी पुरस्कार 10 वैज्ञानिकों को दिया गया। तीन किसानों को रोज पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। एमएचयू के अनुसंधान निदेशक, बागवानी महाविद्यालय डीन प्रो. रमेश गोयल ने सम्मेलन में आए मुख्य अतिथि ओर देशभर से आए वैज्ञानिकों, उद्यमियों का सम्मेलन में आने पर धन्यावाद किया। राष्ट्रगान के साथ सम्मेलन का समापन हुआ।
मौके पर एफएलएस, आईसीएआर-आईएआरआई नई दिल्ली के पूर्व प्रधान डॉ एपी सिंह,वाईएसआर हॉर्टिकल्चर यूनिवर्सिटी आंध्र प्रदेश के पूर्व वाइस चांसलर डॉ टी जानकी राम, पूर्व डायरेक्टर जनरल (हॉर्टिकल्चर) सीपीडब्ल्डी डॉ बीसी कटियार, पूर्व डायरेक्टर डीएफआर पूणे ओर डीन स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर एलपीयी फगवाड़ा पंजाब के डॉ रमेश कुमार, डॉ. वाईसी गुप्ता, डॉ अल्का सिंह, डीन पीजीएस डॉ धर्म पाल, डीईई डा विजय पाल यादव, वित्त नियंत्रक ओमबीर राणा सहित अन्य मौजूद रहे।