हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद किया ग्रहण
एनडी हिन्दुस्तान
कुरुक्षेत्र । ब्रह्मसरोवर तट स्थित प्राचीन श्रीदुर्गा माता एवं राधा कृष्ण मंदिर में शुक्रवार को कार्तिक पूर्णिमा पर हवन, कीर्तन के बाद भंडारा लगाया गया, जिसमें कपालमोचन मेले से लौट रहे हजारों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। मंदिर में सोनीपत के कुंडली स्थित महालक्ष्मी एसोसिएट्स संचालक सत्यवान लामसर ने पूरे परिवार के साथ मां श्रीदुर्गा की पूजा की। मंदिर संचालक पंडित तुषार कौशिक ने हवन किया। इसके बाद मां दुर्गा और राधा-कृष्ण को भोग लगाया गया। इसके बाद भंडारा आरंभ कर दिया गया। मंदिर में एक तरफ तो महिला मंडल की ओर से कीर्तन किया जाता रहा और दूसरी तरफ भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। भंडारे में श्रद्धालुओं को कढ़ी-चावल, आलू की सब्जी, पूड़ी, जलेबी, चाय और बिस्कुट परोसे गए।
मंदिर संचालक पंडित तुषार कौशिक ने बताया कि इस दिन की महिमा बहुत है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन सृष्टिकर्ता भगवान ब्रह्मा का अवतरण हुआ था। इस दिन ब्रह्माजी ने अपनी रचना शक्ति का उपयोग करके जीवों, पृथ्वी और प्रकृति का सृजन किया था, जिससे सृष्टि में जीवन का संचार हुआ। ब्रह्मसरोवर भगवान ब्रह्मा की वेदी के रूप में ही विख्यात है। ऐसी मान्यता है कि ब्रह्मा जी ने ब्रह्मसरोवर वेदी बनाकर उसकी परिक्रमा करके धर्मनगरी से ही सृष्टि की रचना शुरू की थी। कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु ब्रह्मसरोवर में स्नान, दान के लिए पहुंचते हैं। तीर्थ, मंदिरों में दीपदान करते हैं क्योंकि इसे देव दीपावली भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा पर तीर्थ पर दीपदान, सत्संग, कीर्तन करने और गुरुजन व ब्राह्मणों की संगत प्राप्त करने वाले श्रद्धालुओं के कष्ट दूर हो जाते हैं। उनकी कीर्ति बढ़ती है। खासकर इस दिन अन्नदान करने से कई गुणा फल की प्राप्ति होती है। तीर्थ पर अन्नदान करने वाले को इसका फल कई गुणा मिलता है। खासकर ब्रह्मसरोवर में स्नान करके सत्संग का विशेष फल बताया गया है। महालक्ष्मी एसोसिएट्स संचालक सत्यवान लामसर ने कहा कि हर कार्तिक पूर्णिमा पर वह पूरे परिवार के साथ धर्मनगरी में पहुंचते हैं और प्राचीन श्रीदुर्गा माता एवं राधा कृष्ण मंदिर में भंडारा किया जाता है। परिवार की महिलाएं जहां भजन कीर्तन करती हैं तो वहीं दूसरी तरफ भंडारे में श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है। उन्होंने कहा कि मंदिर में आकर पूजा करने के बाद उनके मन को बहुत शांति मिलती है। उन्होंने कहा कि मां ही है तो अपने बच्चे को कष्ट में नहीं देख सकती और एक छोटी सी पुकार से चली आती हैं। मां ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। कार्तिक पूर्णिमा पर उनके बच्चों की ओर से भंडारा करने की एक बार इच्छा जाहिर हुई थी, जिसके बाद से वह कई वर्षों से इस दिन भंडारा करते आ रहे हैं। इस अवसर पर जगदीश, विकास, महावीर, बिजेंद्र, सुभाष, विशाल, संदीप, अमित, मोनू, संजय, ललित, आर्यन और बल्लू ने भंडारे में सेवा की।