अंतराष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह-2024 के उपलक्ष्य में मातृभूमि मिशन मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय विश्व मंगल महायज्ञ एवं विविध कार्यक्रम शुभारम्भ अवसर पर श्रीमदभगवद्गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में वैदिक यज्ञ कार्यक्रम संपन्न
गीता जयंती के उपलक्ष्य में मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा अठारह दिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा दिव्य शंखनाद एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से हुआ
कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से गीता जयंती के उपलक्ष्य में विश्व मंगल के निमित्त यज्ञ में आहुति डाली
कुरुक्षेत्र । भगवद्गीता व्यवहार क्षेत्र में जीवन जीने की कला सिखाती है। वह बताती है कि हम कैसे अपने जीवन को गीता के आधार पर जीयें। हम जीवन में व्यवहार कैसे करें तथा अनुकूल प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसे कार्य करें कि हम चिंता, शोक, तनाव एवं भय व अन्य विकारों से निजात पा सकें। श्रीमदभगवदगीता में परमात्मा , आत्मा, और सृष्टि विधान के ज्ञान के बारे में बताया गया है।
यह विचार अंतराष्ट्रीय श्रीमदभगवदगीता जयंती समारोह – 2024 के उपलक्ष्य में मातृभूमि मिशन मिशन द्वारा आयोजित अठारह दिवसीय विश्व मंगल महायज्ञ एवं विविध कार्यक्रम के शुभारम्भ अवसर पर श्रीमदभगवद्गीता जन्म स्थली ज्योतिसर में आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किये। मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा गीता जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित अठारह दिवसीय कार्यक्रम का शुभारम्भ वैदिक ब्रम्हचारियों द्वारा दिव्य शंखनाद एवं वैदिक मंत्रोच्चारण से कुरुक्षेत्र संस्कृत वेद विद्यालय एवं मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों ने संयुक्त रूप से विश्व मंगल के निमित्त यज्ञ में आहुति डाली। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा भगवद गीता जीवन की जटिलताओं को समझने के लिए गहन अंतर्दृष्टि और व्यावहारिक मार्गदर्शन प्रदान करती है। कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में राजकुमार अर्जुन और भगवान कृष्ण के बीच संवाद के रूप में रचित, यह दार्शनिक कृति मानव अस्तित्व, कर्तव्य, नैतिकता और आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग के सार को गहराई से समझाती है। उनकी शिक्षाएं समय से परे हैं और हमारे आधुनिक जीवन में प्रासंगिक बनी हुई हैं, जो मूल्यवान संदेश एवं सिद्धांत प्रदान करती हैं।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने गीता के महत्व पर विचार व्यक्त करते हुए कहा भगवदगीता हमें कर्मों के फलों से विरक्ति की आवश्यकता पर जोर देती है। यह हमें सिखाती है कि सच्चा आध्यात्मिक विकास परिणामों से आसक्ति के बिना अपने कर्तव्यों का पालन करने से आता है। समभाव विकसित करके और विशिष्ट परिणामों की इच्छा को त्याग कर, हम जीवन के उतार-चढ़ाव को अनुग्रह और आंतरिक शांति के साथ पार कर सकते हैं। यह हमारी तेज़ तर्रार और परिणाम संचालित दुनिया में बहुत प्रासंगिक है, जो हमें अंतिम परिणामों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय प्रक्रिया पर ध्यान केंद्रित करने की याद दिलाती है।
डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा 22 वर्षो से मातृभूमि सेवा मिशन गीता जयंती के अवसर पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विविध कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। गीता जन्मस्थली ज्योतिसर में गीता 22 वर्षो से अनवरत गीता जयंती पर विश्व मंगल के निमित्त वैदिक यज्ञ, विचार गोष्ठी अनेक अनेक कार्यक्रम सम्पन्न हो रहे है। गीता जन्मस्थली ज्योतिसर मे मातृभूमि सेवा मिशन के तस्तावधान मे दैनिक गीता ज्ञान यज्ञ सम्पन्न होता है। कार्यक्रम को बतौर अति विशिष्ट अतिथि सम्बोधित करते हुए आचार्य सतीश कौशिक ने गूढ रहस्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। आचार्य नरेश कौशिक के नेतृत्व में समस्त वैदिक यज्ञ एवं व्याख्यान कार्यक्रम सम्पन्न हुए। आभार ज्ञापन मातृभूमि सेवा मिशन के वरिष्ठ सदस्य जसवीर राणा ने किया।मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से डा. श्रीप्रकाश मिश्र ने सभी अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में डा. मुल्तान सिंह, कैप्टन वीरेंद्र गोलन, चरणजीत सिंह, आचार्य जोगिंदर सिंह सहित अनेक गणमान्यजन एवं गीता प्रेमी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ से हुआ।